काला-गौरा भैरव मंदिर का इतिहास (kala gora bhairav mandir Ka Itihash)

By | January 14, 2023

काला-गौरा भैरव मंदिर (kala gora bhairav mandir)

kala gora bhairav mandir: भारत में वैसे तो सनातन धर्म से जुड़े अनेकों देवी-देवताओं के प्राचीन तथा ऐतिहासिक मंदिर स्थित है, जहां पर रोजाना भक्तों की विशेष भीड़ देखने को मिलती है. ऐसे ही मंदिर राजस्थान में भी बहुत संख्या में स्थित है जो कि देश-विदेश से लाखों पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं. राजस्थान का गौरवशाली इतिहास तथा यहां की स्थापत्य कला आज भी पूरे देश में अपनी विशेष पहचान रखती है. राजस्थान की स्थापत्य कला तथा हस्तकला को देखने के लिए देश-विदेश से हर वर्ष पर्यटक आते रहते हैं. राजस्थान में जहां एक तरफ रेतीले टीले हैं तो दूसरी तरफ राजस्थान का गौरवशाली इतिहास राजस्थान को पूरी दुनिया में एक महत्वपूर्ण स्थान उपलब्ध करवाता है. आपने राजस्थान के अनेकों मंदिरों के बारे में जरूर सुना होगा, जिनमें से कुछ ऐसे मंदिर हैं जो कि राजस्थान ही नहीं देश और दुनिया में भी काफी प्रसिद्ध है. आज हमारे इस आर्टिकल में हम बात करेंगे राजस्थान के सवाई माधोपुर जिले में स्थित एक ऐसे ही मंदिर के बारे में जिसकी पहचान देश के साथ विदेशों में भी है. 

kala gora bhairav mandir

आर्टिकल का नाम काला-गौरा भैरव मंदिर (kala gora bhairav mandir)
मंदिर का नाम काला-गौरा भैरव मंदिर
चौथ का बरवाड़ा (Chouth Mata Temple) का पता  X9RC+WHJ, RJ SH 30, City, Sawai Madhopur, Rajasthan 322021
मंदिर के मुख्य पुजारी एवं महराज NA
जिला सवाई माधोपुर
राज्य राजस्थान
मंत्र ॐ भयहरणं च भैरव:
मंदिर की गूगल मैप लोकेशन यहा क्लिक करे
आधिकारिक यूट्यूब चैनल NA
मंदिर के फ़ोन नम्बर NA
गूगल लोकेशन यह क्लिक करे

हम बात करने वाले हैं काला-गौरा भैरव मंदिर (kala gora bhairav mandir) के बारे में यह मंदिर तांत्रिक क्रियाओं के लिए प्रसिद्ध है, कहा जाता है कि मंदिर में जो भी श्रद्धालु अपनी मनोकामना लेकर जाता है उसकी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं. राजस्थान का यह मंदिर भैरव भाइयों को समर्पित है. मंदिर में काला- गौरा भैरव के अलावा मंदिर में देवी दुर्गा, भगवान शिव तथा भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित है. मंदिर में सनातन धर्म संस्कृति के विपरीत मुख्य देवता मंदिर के विपरीत प्रवेश द्वार पर स्थित है, जो कि यहां आने वाले पर्यटकों तथा श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का मुख्य विषय है. मंदिर निर्माण के बारे में यहां के स्थानीय लोगों का मानना है कि इस मंदिर का निर्माण राजा हम्मीर ने करवाया था. 

आज के हमारे इस आर्टिकल में हम आपको मंदिर के बारे में संपूर्ण जानकारी देने की कोशिश करेंगे, जिससे आपको मंदिर के इतिहास तथा यहां की यात्रा के बारे में जानने में आसानी होगी|

काला-गौरा भैरव मंदिर का इतिहास (kala gora bhairav mandir Ka Itihash)

जब भी किसी स्थान विशेष की यात्रा करते हैं तो उसके इतिहास के बारे में हम आवश्यक रूप से चर्चा करते हैं. आधुनिक हो या प्राचीन किसी भी इमारत या भवन से जुड़ा कुछ ना कुछ इतिहास जरूर रहता है, जो कि उस स्थान की पहचान होती है. यदि बात करें राजस्थान के सवाई माधोपुर जिले में स्थित काला-गौरा भैरव मंदिर (kala gora bhairav mandir) के बारे में तो राजस्थान का यह मंदिर तांत्रिक क्रियाओं के लिए लोकप्रिय है. मंदिर भैरव भाइयों को समर्पित है जिसमें गौरा तथा काल भैरव मुख्य देवता के रूप में है.

सवाई माधोपुर शहर के काला- गोरा भैरव मंदिर की स्थापना के बारे में कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण राजा हम्मीर ने अलाउद्दीन खिलजी के साथ युद्ध जीतने के पश्चात करवाया था. कहा जाता है कि राजा ने यह प्रण लिया था कि यदि वह अलाउद्दीन खिलजी से युद्ध जीतता है तो सब कुछ मंदिर को समर्पित कर देगा.

यहां के स्थानीय लोगों का यह भी मानना है कि पुराने जमाने में राजस्थान का यह मंदिर तंत्र- मंत्र, जादू- टोना, वशीकरण के लिए विख्यात था. सवाई माधोपुर शहर का यह मंदिर जिले के पूर्वी भाग में आकाश को छूता हुआ एक मंदिर है. मंदिर के प्रवेश द्वार पर दो हाथी सूंड उठाए हुई मुद्रा में बने हुए हैं|

काला-गौरा भैरव मंदिर की शिल्प कला (Kala Gaura Bhairav Mandir Ki silp Kala) 

किसी स्थान विशेष को बनाने में जिस कार्यशैली का उपयोग किया जाता है उस कार्यशैली को ही उस स्थान की शिल्प कला के नाम से जाना जाता है. बात करें सवाई माधोपुर शहर के पूर्वी भाग में स्थित काला-गौरा भैरव मंदिर (Kala Gaura Bhairav Temple) कि शिल्प कला के बारे में तो मंदिर का निर्माण तामसी व राजसी शैली में करवाया गया है.

प्रवेश द्वारों पर दो हाथियों की सूंड उठाए हुए प्रतिमाएं चित्रित की गई है, काला गोरा भैरव मंदिर प्राचीन सवाई माधोपुर शहर के मुख्य द्वार पर बना हुआ है.

मंदिर की सीढ़ियों में भगवान गणेश की उग्र रूप में एक प्रतिमा स्थापित है, जिसमें भगवान गणेश किसी राक्षस पर बैठे हुए दिखाई पड़ते हैं. मंदिर के पांचवी मंजिल पर काला गोरा भैरव की दो अलग-अलग प्रतिमाएं स्थापित है. 

काला गोरा भैरव मंदिर में काला गोरा भैरव की मूर्ति के पास ही 2-2 कुत्तों की मूर्तियां भी बनाई गई है. मंदिर में हमेशा तेल का दीपक जलता रहता है जिसे अखंड ज्योति के नाम से जाना जाता है. मंदिर की मुख्य प्रतिमाओं के पास ही एक छोटे बच्चों का झूला भी देखने को मिलता है.  मंदिर में पालने के पास ही एक विशाल भैरव चक्र बना हुआ है जो कि कहा जाता है कि तांत्रिक पूजा का सबसे ऊंचा व सबसे पवित्र चिन्ह है|

काला-गौरा भैरव मंदिर जाने के लिए उपयुक्त समय (Kala Gaura Bhairav Mandir Jane Ka Sahi Samay) 

वैसे तो राजस्थान प्रदेश एक रेतीला प्रदेश है जहां पर अधिकांश समय धूल भरी आंधियां और तेज गर्मी रहती है और गर्मी के मौसम के दौरान राजस्थान के किसी भी शहर की यात्रा करना कतई सुखद अनुभव नहीं देता है. यदि आप भी राजस्थान के किसी भी शहर की यात्रा करने का विचार कर रहे हैं तो आपको बताते चलें कि आपको यात्रा के लिए अक्टूबर से मार्च के मध्य का समय चुनना चाहिए, इस दौरान राजस्थान में कुछ ही समय पहले बारिश हुई होती है, जिससे चारों तरफ हरियाली छाई हुई रहती है और इस दौरान राजस्थान में सर्दी का मौसम रहता है तो आप आसानी से राजस्थान भ्रमण कर सकते हैं और साथ में राजस्थान की सर्दी का भी आनंद उठा सकते हैं|

काला-गौरा भैरव मंदिर खुलने तथा बंद होने का समय

मंदिर सुबह 8:00 बजे भक्तो के लिए खुल जाता है जो की शाम को 7:00 बंद हो जाता है. इस समय आप मंदिर में आसानी से घूम सकते है.

कैसे पहुचे काला-गौरा भैरव मंदिर (Kala Gaura Bhairav Mandir)

जब भी हम कही घुमने जाते है तो वहां के उपस्थित परिवहन के साधनों के बारे में आवश्यक रूप से चर्चा करते हैं जिससे कि हमें अपनी यात्रा के दौरान किसी तरह की समस्या का सामना ना करना पड़े. यदि आप राजस्थान के सवाईमाधोपुर शहर के काला-गौरा भैरव मंदिर (Kala Gaura Bhairav Mandir) घूमने आ रहे हैं तो आपको बता दें कि मंदिर दर्शन के लिए आप हवाई मार्ग, सड़क मार्ग तथा रेल मार्ग से आसानी से सवाईमाधोपुर पहुंच सकते हैं और मंदिर के दर्शन बहुत ही आसानी से कर सकते हैं|

मंदिर से प्रमुख स्टेशनों की दुरी

1 एअरपोर्ट 135.7 KM
2 रेलवे स्टेशन 5.9  KM
3 बस स्टैंड 800 M

 

हवाई मार्ग से

काला-गौरा भैरव मंदिर (Kala Gaura Bhairav Temple) का भ्रमण करने का विचार कर रहे हैं और आप हवाई मार्ग की सहायता से मंदिर आना चाहते हैं तो आपको बता दें कि कोटा एयरपोर्ट शहर को देश के विभिन्न प्रमुख प्रदेशों तथा शहरों से जोड़ता है, जिससे आप आसानी से कोटा शहर की यात्रा कर सकते हैं. कोटा एयरपोर्ट से मंदिर की दूरी केवल 135.7 किलोमीटर की है यहां से आप अपनी सुविधा अनुसार टैक्सी या ऑटो की सहायता ले सकते हैं और आसानी से मंदिर पहुंच सकते हैं|

रेल मार्ग द्वारा

यदि आप रेल मार्ग द्वारा काला-गौरा भैरव मंदिर (Kala Gaura Bhairav Temple) घूमने का विचार कर रहे हैं तो आपको बता दें कि सवाईमाधोपुर रेलवे जंक्शन से काला-गौरा भैरव मंदिर (Kala Gaura Bhairav Temple) की दूरी मात्र 5.9  किलोमीटर है जिसे आप ऑटो या टैक्सी की मदद से आसानी से पूरी कर सकते हैं.

सड़क मार्ग द्वारा

सड़क मार्ग द्वारा सवाईमाधोपुर शहर को प्रदेश के विभिन्न शहरों तथा देश के विभिन्न राज्यों से जोड़ा गया है जिससे आप देश में कहीं से भी बहुत आसानी से सवाईमाधोपुर शहर की यात्रा कर सकते हैं. सवाईमाधोपुर  शहर के बस स्टैंड से काला-गौरा भैरव मंदिर (Kala Gaura Bhairav Temple) की दूरी मात्र 800 M है जिसे आप अपनी सुविधा अनुसार परिवहन के साधनों का चयन करके आसानी से कर सकते हैं|

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