कोणार्क मंदिर की बनावट कैसी है। कोणार्क सूर्य मंदिर के रोचक तथ्य क्या हैं?

By | April 6, 2023

कोणार्क सूर्य मंदिर के रोचक तथ्य | Konark Temple Mystery in hindi

Konark Temple Mystery in Hindi

konark temple mystery in hindi: भारत देश का इतिहास बड़ा ही रोचक है। प्राचीन समय से ही भारतवर्ष में न जाने कितने ऐसे मंदिर और कलाकृतियों का निर्माण हुआ है जिसके बारे में आज विज्ञान के इतना आगे होने के बाद भी सोचा नहीं जा सकता। हमारे देश भारत में विभिन्न विभिन्न प्रकार के प्राचीन धर्म स्थलों का निर्माण उनके कलाकृतियां उनकी बनावट आज भी दुनिया भर के पर्यटकों को अपनी तरफ आकर्षित करती है। आज हम आपको इसी तरीके के एक रहस्यमई मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जिसका इतिहास बहुत ही प्राचीन है। उड़ीसा राज्य में सूर्य मंदिर कोणार्क समुद्र तल से बस कुछ ही दूरी पर स्थित है । या मंदिर कलात्मक दृष्टि से इतना अधिक समृद्ध है कि लोग आज भी इसकी कलाकृति को देखने के लिए दूर-दूर से हजारों की संख्या में प्रतिदिन आते हैं । इस मंदिर की भव्यता इतनी अधिक है कि आज के जमाने में स्पेशल इंजीनियर भी इसे देखकर चकित रह जाते हैं आज हम इस आर्टिकल के माध्यम से इस मंदिर के विशेष बातें और इस मंदिर का इतिहास आप सबके सामने रखेंगे…

कोणार्क सूर्य मंदिर का रहस्य “konark temple mystery in hindi”

कोणार्क सूर्य मंदिर का रहस्य: भारत के प्राचीन और पौराणिक धर्म ग्रंथों से पता चलता है कि कोणार्क के सूर्य मंदिर का निर्माण लगभग तेरहवीं शताब्दी के आसपास हुआ है। इस मंदिर की कलात्मकता का निर्माण किस प्रकार से किया गया है उस समय के भारत भर के मंदिरों में यह मंदिर बनावट की दृष्टि से अत्यंत खूबसूरत और चमत्कृत कर देने वाला है । इस मंदिर के निर्माण के बारे में ऐसी मान्यता है कि गंग वंश के एक महान राजा नरसिंह देव प्रथम ने इस मंदिर को अपने शासनकाल में बनवाना शुरू किया था ।

इतिहास हमें यह भी मानयता है कि गंग वंश के राजा भगवान सूर्य के अनन्य भक्त थे वाले भगवान सूर्य की उपासना आराधना व तपस्या किया करते थे । इसलिए कोणार्क के इस मंदिर में भगवान सूर्य की रथ पर सवार बहुत बड़ी मूर्ति है। रात को सात घोड़ों के माध्यम से चलता हुआ दर्शाया गया है।

कोणार्क सूर्य मंदिर का रहस्य व इसकी बनावट

कोणार्क सूर्य मंदिर की बनावट:  कोणार्क सूर्य मंदिर की बनावट में अभूतपूर्व कलाकृतियों का उपयोग किया गया । इस मंदिर में भगवान सूर्य की मूर्ति को स्थापित किया गया है कोणार्क सूर्य मंदिर के दर्शन करने के बाद ऐसा लगता है कि भगवान सजीव रूप में रथ पर सवार है और आगे बढ़ रहे हैं कोणार्क सूर्य मंदिर के बाहर मौजूद सभी पत्थरों पर विभिन्न प्रकार के नक्काशीया हैं विभिन्न प्रकार के कलाकृतियां हैं ।

कोणार्क सूर्य मंदिर में सूर्य भगवान के अतिरिक्त भगवान का रथ भी बनाया गया है जिसमें विभिन्न प्रकार की धातुओं से रथ के 12 जोड़ी चक्के बनाए गए हैं और रथ के आगे सात घोड़े लगे हुए हैं । लेकिन समय के साथ इस समय सात घोड़ों में से रात में केवल एक ही घोड़ा शेष बचा हुआ है । विभिन्न धार्मिक विद्वानों का मानना है कि इस मंदिर के रथ में लगे हुए 12 पहिए साल के 12 महीनों को प्रदर्शित कर रहे हैं तथा हर चक्र आठ अरों से बना हुआ है जो 1 दिन के 8 पहरों को प्रदर्शित करता है और सूर्य के मंदिर में जो सात घोड़े रथ को खींच रहे हैं वह 1 हफ्ते में दिनों की संख्या को प्रदर्शित करते हैं । ऐसी मान्यता है कि प्राचीन समय में जब घड़ी नहीं थी तो उस समय रथ के पहियों पर बने चक्र पर जब सूर्य की रोशनी की छाया पड़ती थी तो उससे लोग समय का अनुमान लगा लेते थे।

पारंपरिक कलिंग प्रणाली के अनुसार बनाए गए कोणार्क सूर्य मंदिर को इस प्रकार से बनाया गया है कि सूरज की उगते हुए पहली किरण सीधा मंदिर पर ही पड़े इस मंदिर के निर्माण में विशेष रुप से खोदातिल पत्थरों का उपयोग किया गया है । इस मंदिर की ऊंचाई जमीन तल से 229 मीटर यानी कि 70 मीटर की है भगवान सूर्य देव कोणार्क सूर्य मंदिर में तीन प्रतिमाएं लगी हुई है और इन तीनों ही प्रतिमा का निर्माण एक ही पत्थर से हुआ है। कोणार्क के इस भगवान सूर्य के मंदिर का निर्माण बलुआ मिट्टी कीमती धातु तथा ग्रेनाइट पत्थरों से किया गया है।

इतिहासकारों के अनुसार कोणार्क सूर्य मंदिर के निर्माण में 1200 से अधिक मजदूरों ने दिन-रात लगातार 12 वर्षों तक काम किया होगा। भौगोलिक दृष्टि से यह मंदिर उड़ीसा राज्य के पुरी जिले में चंद्रभागा नदी से लगभग 37 किलोमीटर दूरी पर स्थित है। ऐसी भी मान्यता है कि यह मंदिर नदी के समीप बनाया गया था लेकिन धीरे-धीरे नदी का जल कम होता गया इसलिए नदी से इस मंदिर की दूरी इतनी हो गई।

कोणार्क मंदिर के बारे में रोचक तथ्य

कोणार्क सूर्य मंदिर के बारे अनेक रूचक तथ्य है| भगवान सूर्य का कोणार्क मंदिर विशेष रुप से सूर्य भगवान के लिए जाना जाता है कोणार्क सूर्य मंदिर में भगवान सूर्य को इस प्रकार स्थापित किया गया है कि जैसे वह अपने रथ पर सवार होकर कहीं जा रहे हों।

  • कोणार्क सूर्य मंदिर के बारे में रूचक तथ्य यह भी है की यह मंदिर पूरी तरीके से भगवान सूर्य को ही समर्पित है लेकिन यहां पर फिर भी सूर्य भगवान की पूजा नहीं की जाती है।
  • कोणार्क में स्थित भगवान सूर्य के इस मंदिर के बारे में विभिन्न विद्वानों और धार्मिक ग्रंथों का मानना है कि यह मंदिर नकारात्मक उर्जा से मुक्त दिलाता है।
  • कोणार्क सूर्य मंदिर का निर्माण समुद्र तट के नजदीक हुआ था लेकिन धीरे-धीरे समुद्र कोणार्क सूर्य मंदिर के पास से कम होता जा रहा है इसलिए हम समुद्र से इसकी कुछ दूरी हो गई है।
  • सन् 1954 में अंतरराष्ट्रीय संगठन यूनेस्को ( United Nations educational scientific and cultural organisation ) ने भारत के कोणार्क मंदिर को वैश्विक धरोहर का दर्जा दिया था। तभी से इसे वर्ल्ड हेरिटेज के रूप में जाना जाता है।
  • कोणार्क मंदिर की प्रमुख विशेषताएं जब सूर्य का उदय होता है तथा जब सूर्य का अर्थ होता है उस समय हजारों की संख्या में लोग यहां पर मौजूद रहते हैं क्योंकि उस समय इस मंदिर का दृश्य अत्यंत आकर्षक हो जाता है।
  • कोणार्क मंदिर में कामुकता से भरी हुई मूर्तियों को विशेष प्रकार के कलात्मकता से सजाया गया है।
    इस मंदिर को देखने के लिए भगवान सूर्य के भक्तों से ज्यादा इस मंदिर के बारे में प्रचलित रहस्य को देखने के लिए सैलानी विभिन्न देशों और दूर-दूर से हजारों की संख्या में आते हैं।
  • कोणार्क के सूर्य मंदिर के दक्षिणी हिस्से में दो घोड़े बने हुए हैं जिससे वहां की राज्य सरकार ने अपने राज्य चिन्ह के तौर पर चुना है।
    कोणार्क के सूर्य मंदिर में प्रवेश करते ही एक मंदिर है जिसके बारे में ऐसी मान्यता है कि यहां लड़कियां सूर्य देव को प्रसन्न करने के लिए नृत्य किया करती थी।
  • कोणार्क सूर्य मंदिर की विशेषता यह भी है की कोणार्क सूर्य मंदिर उड़ीसा के अन्य दो विश्व प्रसिद्ध मंदिरों की तीसरी कड़ी माना जाता है जिसमें उड़ीसा के पुरी में स्थित जगन्नाथ मंदिर और भुवनेश्वर में लिंगराज मंदिर शामिल है।
  • कोणार्क के सूर्य मंदिर के अंदर जगह जगह पर ज्यामितीय नमूनों के आधार पर सुंदर नक्काशी या की गई हैं जिनमें खुशियों में बेल फुल की आकृतियां बनी हुई हैं। मंदिर की दीवारों पर देवता गंधर्व किन्नर और इंसानों का भी विभिन्न मुद्राओं में चित्रांकन किया गया है।
    स्थापत्य कला के आधार पर इस मंदिर को प्राचीन उड़िया स्थापत्य कला के नाम से जानते हैं तथा यह उस कला का बेजोड़ उदाहरण है।
  • कोणार्क सूर्य मंदिर, भारतीय राज्य ओडिशा में स्थित है, जो सूर्य देवता सूर्य को समर्पित एक प्राचीन हिंदू मंदिर है। मंदिर अपनी प्रभावशाली वास्तुकला, जटिल नक्काशी और एक विशाल रथ के रूप में अपनी अनूठी आकृति के लिए प्रसिद्ध है।हालांकि, मंदिर से जुड़ा एक ऐसा रहस्य भी है, जिसने इतिहासकारों और विद्वानों को बरसों से उलझाए रखा है। मुख्य मंदिर टॉवर, जो लगभग 70 मीटर की ऊंचाई पर खड़ा था, माना जाता है कि 17 वीं शताब्दी में संभवतः प्राकृतिक आपदाओं या आक्रमणकारी सेनाओं के कारण गिर गया था।रहस्य इस तथ्य में निहित है कि मंदिर का टॉवर पूरी तरह से पत्थर से बना था, इसे एक साथ रखने के लिए कोई गारा या सीमेंट नहीं था। फिर भी, टावर ढहने से पहले कई शताब्दियों तक खड़ा रहा, जिसने इसे बनाने वाली प्राचीन भारतीय सभ्यता के इंजीनियरिंग चमत्कारों के बारे में सवाल उठाया।मंदिर के टॉवर की स्थिरता की व्याख्या करने के लिए विभिन्न सिद्धांत प्रस्तावित किए गए हैं, जैसे कि लोहे के क्लैंप का उपयोग, वजन का संतुलन और चुम्बकों का उपयोग। हालाँकि, इनमें से कोई भी सिद्धांत निर्णायक रूप से सिद्ध नहीं हुआ है।

    मुख्य मीनार के ढहने के बावजूद, कोणार्क सूर्य मंदिर एक महत्वपूर्ण पुरातात्विक स्थल बना हुआ है और प्राचीन भारतीय सभ्यता के स्थापत्य और इंजीनियरिंग कौशल का एक वसीयतनामा है।

Frequently asked questions (FAQs)

1- सूर्य मंदिर पर पत्थरों से बनी घड़ी क्या सही समय बताती है?

Ans. जी हां सूर्य मंदिर में पत्थरों से बनी घड़ी बिल्कुल सही समय बताती है । ऐसा माना जाता है कि प्राचीन समय में लोग जब घड़िया नहीं होती थी तो लोग इसी घड़ी का प्रयोग समय देखने के लिए करते थे। इस मंदिर में इस घड़ी को इस प्रकार से बनाया गया है कि जब सूर्य की परछाई पहली सीढ़ी पर पड़ती है तब एक बजता है । इसी प्रकार बारी-बारी से सूर्य के प्रकाश के अनुरूप ही रथ की तीलियों पर‌ प्रकाश बढ़ता है।

2 – कोणार्क मंदिर का इतिहास क्या है?

Ans. कोणार्क का सूर्य मंदिर अत्यंत प्राचीन शैली में बना हुआ है । 13वीं शताब्दी में गंग वंश के राजा नरसिंह देव प्रथम ने इसके निर्माण की आधारशिला रखी थी।

3- कोणार्क मंदिर का निर्माण किसने करवाया था?

Ans. इतिहास से प्राप्त साक्ष्य के आधार पर कोणार्क मंदिर का निर्माण तेरहवीं शताब्दी में हुआ । उस समय पुरी व उसके आसपास के क्षेत्र में गंग वंश का शासन था । गंग वंश के शासक राजा नरसिंह देव ने इस मंदिर की आधारशिला रखी थी।

4- कोणार्क सूर्य देव मंदिर को बाढ़ हेरिटेज साइट में कब शामिल किया गया?

Ans. कोणार्क के सूर्य मंदिर को यूनेस्को 12 वर्ल्ड हेरिटेज साइड में सन 1954 में शामिल किया गया।

5- उड़ीसा राज्य में तीन प्रसिद्ध मंदिर कौन- कौन से हैं?

Ans. उड़ीसा राज्य मंदिरों के लिए प्रसिद्ध स्थान है। देशभर के पर्यटक उड़ीसा में साल भर विभिन्न मंदिरों के दर्शन के लिए जाया करते हैं लेकिन इन सब मंदिरों में तीन सबसे प्रमुख मंदिर इस प्रकार हैं।
1- जगन्नाथ मंदिर
2- लिंगराज मंदिर
3- कोणार्क का सूर्य देव मंदिर

6- कोणार्क शब्द का अर्थ क्या है?

Ans. कोणार्क शब्द का निर्माण दो शब्दों से मिलकर हुआ है । जिसमें पहला शब्द है कोड जिसका अर्थ होता है कोना दूसरा शब्द अर्थ जिसका अर्थ सूर्य होता है। अर्थात कोणार्क शब्द का पूरा अर्थ सूर्य के कोने से है।

7 – कोणार्क मंदिर में पूजा क्यों नहीं होती

Ans. कोणार्क सूर्य मंदिर में पूजा नहीं होती है क्योंकि वहां जो सूर्य देवता की मूर्ति थी वह खंडित हो जाने के कारण हटा दी गई है हिंदू शास्त्रों के अनुसार खंडित मूर्ति की पूजा करना वर्जित है इसीलिए कोणार्क मंदिर में पूजा नहीं की जाती है क्योंकि वहां कोई भगवान की मूर्ति नहीं है।

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