यमुनोत्री धाम का इतिहास | यमुनोत्री धाम kaha hai | बंद होने व खुलने का समय | रोचक तथ्य

By | January 31, 2023

यमुनोत्री धाम की यात्रा Yamunotri Dham Mandir

Yamunotri Dham Mandir

यमुनोत्री धाम की यात्रा : भारत में उत्तर से दक्षिण तथा पूर्व से पश्चिम की यात्रा करने पर हमें बहुत से ऐसे प्राचीन तथा ऐतिहासिक मंदिर देखने को मिलते हैं जो कि हर वर्ष देश-विदेश से लाखों की संख्या में पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं । आज के हमारे इस आर्टिकल में भी हम बात करने वाले हैं उत्तराखंड राज्य के उत्तरकाशी जिले में गढ़वाल क्षेत्र के पश्चिमी हिमालय में स्थित सनातन धर्म से जुड़े एक पवित्र तीर्थ स्थल के बारे में, जिसकी की समुद्र तल से ऊंचाई 3200 मीटर है. हम बात करने वाले हैं यमुनोत्री धाम के बारे में जो कि सनातन धर्म के अनुसार दूसरी सबसे पवित्र नदी जानी जाती है।सनातन धर्म के चार वेदों के अनुसार यमुना को भगवान सूर्यनारायण की बेटी तथा भगवान यमदेव की जुड़वा बहन बताया जाता है । आज के हमारे इस आर्टिकल में हम जानेंगे मंदिर के इतिहास तथा यहां की यात्रा के बारे में साथ ही हम मंदिर के बारे में कुछ रोचक तथ्य के बारे में जानने की कोशिश करेंगे. यदि आप भी मंदिर के बारे में जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं तो बनी रहे हमारे साथ आज के इस आर्टिकल में

यमुनोत्री धाम मंदिर के बारे में संक्षिप्त जानकारी

आर्टिकल का नाम यमुनोत्री धाम मंदिर Yamunotri Dham mandir
मंदिर का नाम यमुनोत्री धाम
मंदिर  का पता XFX7+W38, Yamunotri, Uttarakhand 249141
मंदिर के मुख्य पुजारी एवं महराज NA
जिला Yamunotri
राज्य Uttarakhand
मंत्र NA
मंदिर की गूगल मैप लोकेशन यहा क्लिक करे
आधिकारिक वेबसाइट NA
मंदिर के फ़ोन नम्बर  0135 255 9898
गूगल लोकेशन यह क्लिक करे

यमुनोत्री धाम का इतिहास

बात करें यमुनोत्री धाम के इतिहास के बारे में तो यह मंदिर मां यमुना को समर्पित एक बहुत ही पवित्र तीर्थ स्थल है जो कि यमुना नदी के स्रोत पर स्थित है। नदी के वास्तविक स्रोत की बात करें तो नदी का वास्तविक स्रोत एक बर्फ की झील है तथा हिमनद ग्लेशियर है जो समुद्र तल से 4421 मीटर की ऊंचाई पर कालीन्द पर्वत पर स्थित है।धार्मिक ग्रंथों के अनुसार कहा जाता है कि प्राचीन काल में यहां पर ऋषि असित का आश्रम था।इसी स्थान पर मा यमुना को समर्पित मंदिर स्थित है।यमुनोत्री मंदिर का निर्माण गढ़वाल महाराजा प्रताप द्वारा करवाया गया था तथा वर्तमान में जो मंदिर स्थित है इसका निर्माण जयपुर की महारानी गुलेरिया ने 19वीं सदी के दोरान कराया था जो कि वहां पर आये एक भूकंप के कारण नष्ट हो गया था जिसके बाद दोबारा से मंदिर का पुनर्निर्माण करवाया गया था।

यमुनोत्री मंदिर कॉलिंन्द पर्वत पर स्थित है जो कि 3030 मीटर लंबा है यमुनोत्री मंदिर का निर्माण 19वीं शताब्दी के दौरान कराया गया था. यमुना देवी के मंदिर तक पहुंचने का मार्ग बहुत ही दुर्गम तथा रोमांचित करने वाला है। मार्ग के दोनों साइड गगनचुंबी तथा मनोहारी नंग- धड़ंग बर्फीली चोटियां स्थित है जो यह आने वाले पर्यटकों को अपनी और विशेष आकर्षित करता है। मंदिर के लिए चड़ाई करते समय पास के घने जंगल की हरियाली यहाँ आने वाले श्रद्धालुओं के मन को मोह लेती है।यमुनोत्री मंदिर परिसर मैं एक विशाल स्तंभ है जिसे दिव्य शिला के नाम से भी जाना जाता है।

यमुनोत्री धाम मंदिर से जुड़ी कहानियां

जब भी हम किसी प्राचीन ऐतिहासिक मंदिर के बारे में बात करते हैं तो उस मंदिर से जुड़ी कुछ कहानियां आवश्यक रूप से होती है बात करें यमनोत्री मंदिर से जुड़ी कहानियों के बारे में तो प्राचीन काल से चली आ रही कहानियों के अनुसार कहा जाता है कि यमुना भगवान सूर्यनारायण की पुत्री तथा मृत्यु के देवता भगवा यम की बहन है तथा यमुना ने अपने भाई को लगे छाया के अभीश्राप से मुक्त कराने के लिए पृथ्वी पर बहुत खूब तपस्या की थी और उन्होंने अपने भाई को उस अभिशाप से मुक्त करवाया था।यमन की तपस्या से प्रसन्न होकर ही भगवान यम ने यमुना को यह वरदान दिया था कि धरती पर किसी को भी पानी पीने में कोई परेशानी नहीं होगी।कहा जाता है कि यमुना नदी में स्नान करने पर अकाल मृत्यु से भी बचा जा सकता है तथा मोक्ष की प्राप्ति होती है।

यमुनोत्री धाम मंदिर खुलने तथा बंद होने का समय

यदि आप यमुनोत्री के पावन मंदिर की यात्रा करने का विचार कर रहे हैं तो आपको बता दें कि मंदिर में मई से अक्टूबर के दौरान यहां पर बहुत से श्रद्धालु देखे जा सकते हैं. मंदिर के खुलने के बारे में बात करें तो मंदिर हिंदी महीनों के अनुसार अक्षय तृतीया के पावन पर्व पर खोला जाता है तथा दीपावली के दिन बंद कर दिया जाता है।

मंदिर में दर्शन करने के लिए श्रद्धालुओं के लिए खुलने के बारे में बात करें तो मंदिर सुबह की आरती 6:30 बजे से खोल दिया जाता है जिसके पश्चात शाम को 7:30 बजे मंदिर को बंद कर दिया जाता है. इस समय के दौरान आप यमुनोत्री मंदिर दर्शन बहुत आसानी से कर सकते हैं.

यमुनोत्री धाम के बारे में रोचक तथ्य

यमुनोत्री मंदिर यात्रा करने वाले भक्तगण अपने द्वारा लाए गए कपड़े कपडे में बंधे हुए चावल तथा आलू मंदिर के निकट सूर्य कुंड में पकाते हैं जिसके बाद देवी को प्रसाद चढ़ाते हैं औरउन चावलों को ही प्रसाद के रूप में खाया जाता है. तथा अपने घर लेकर आते हैं. सूर्य कुंड अपने उच्चतम तापमान के लिए जाना जाता है. सूर्य कुंड के पास ही एक विशाल पत्थर देखा जा सकता है, जिसे दिव्य शिला के नाम से जाना जाता है तथा इसे ज्योति शीला भी कहा जाता है. यहां आने वाले भक्त  मां यमुना की पूजा करने से पहले इस दिव्य शिला की पूजा करते हैं.

यमुनोत्री धाम कैसे पहुंचे

यदि आप यमुनोत्री यात्रा का विचार कर रहे हैं तो आपको बता दें कि आप मंदिर की यात्रा हवाई मार्ग, रेल मार्ग तथा सड़क मार्ग द्वारा बहुत ही आसानी से कर सकते हैं. तीनों ही मार्ग मंदिर के लिए बहुत अच्छे से उपलब्ध है. आप अपनी सुविधा अनुसार किसी भी मार्ग की सहायता लेकर मंदिर यात्रा कर सकते हैं।

यमुनोत्री धाम कैसे पहुंचे हवाई मार्ग

यदि आप यमुनोत्री मंदिर यात्रा करने के लिए हवाई मार्ग का चयन करते हैं तो आपको बता दें की मंदिर यात्रा के लिए आपको सर्वप्रथम देहरादून के जौली ग्रांट एयरपोर्ट की यात्रा करनी है जो कि मंदिर से तकरीबन 210 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, जहां से आप आगे की मंदिर यात्रा के लिए अपनी सुविधा अनुसार कैब, टैक्सी की सहायता ले सकते हैं और अपनी मंदिर यात्रा पूरी कर सकते हैं.

यमुनोत्री धाम कैसे पहुंचे रेल मार्ग

यदि आप यमुनोत्री धाम मंदिर आने का विचार कर रहे हैं और आप रेल परिवहन के जरिए मंदिर आने पर विचार कर रहे हैं तो आपको बता दें कि इसके लिए आपको सर्वप्रथम देहरादून रेलवे स्टेशन की यात्रा करनी होगी जहां से मंदिर की दूरी 175 किलोमीटर है. रेलवे स्टेशन से मंदिर यात्रा के लिए आप अपनी सुविधा अनुसार  कैब, टैक्सी या फिर स्थानीय परिवहन की सहायता से मंदिर बहुत आसानी से पहुंच सकते हैं.

यमुनोत्री धाम कैसे पहुंचे सड़क मार्ग से

यदि आप यमुनोत्री धाम यात्रा सड़क मार्ग के जरिए करने पर विचार कर रहे हैं तो आपको बता दें की मंदिर यात्रा सड़क मार्ग के जरिए बहुत ही आसानी से की जा सकती है इसके लिए सर्वप्रथम आपको बढ़ कोटा और देहरादून से होकर धाराशिव से यमुनोत्री की तरफ बड़कोट की तरफ जाना है, जहां से जानकी चट्टी तक बस द्वारा यात्रा कर सकते हैं. इसे आगे 6 किलोमीटर की दूरी आपको पैदल ही तय करनी होती है. इस तरह आप यमुनोत्री मंदिर यात्रा आसानी से कर सकते हैं|

Frequently Ask question (FAQ)

Q.1 यमुनोत्री धाम मंदिर किस राज्य में स्थित है?

उत्तराखंड राज्य के उत्तरकाशी जिले में गढ़वाल क्षेत्र के पश्चिमी हिमालय में स्थित सनातन धर्म से जुड़े एक पवित्र तीर्थ स्थल के बारे में, जिसकी की समुद्र तल से ऊंचाई 3200 मीटर है

Q.2 यमुनोत्री धाम का सबसे नजदीकी एअरपोर्ट कौनसा है ?

यदि आप यमुनोत्री मंदिर यात्रा करने के लिए हवाई मार्ग का चयन करते हैं तो आपको बता दें की मंदिर यात्रा के लिए आपको सर्वप्रथम देहरादून के जौली ग्रांट एयरपोर्ट की यात्रा करनी है जो कि मंदिर से तकरीबन 210 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, जहां से आप आगे की मंदिर यात्रा के लिए अपनी सुविधा अनुसार कैब, टैक्सी की सहायता ले सकते हैं और अपनी मंदिर यात्रा पूरी कर सकते हैं।

Q.3 यमुनोत्री मंदिर किस ने बनवाया था ?

यमुनोत्री मंदिर का निर्माण गढ़वाल महाराजा प्रताप द्वारा करवाया गया था तथा वर्तमान में जो मंदिर स्थित है इसका निर्माण जयपुर की महारानी गुलेरिया ने 19वीं सदी के दोरान कराया था जो कि वहां पर आये एक भूकंप के कारण नष्ट हो गया था जिसके बाद दोबारा से मंदिर का पुनर्निर्माण करवाया गया था।

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