मथुरा वृंदावन के प्रसिद्ध मंदिर | Best 17 Mathura Vrindavan Famous Mandir

By | April 6, 2023

Mathura Vrindavan Famous Mandir: -why Mathura is famous

मथुरा भगवान श्री कृष्ण के जन्म इस्थान है। मथुरा के आस पास के एरिया को विरज भूमि के नाम से जाना जाता है। भगवान् श्री कृष्ण के जन्म ेस्थान के साथ साथ मथुरा सनातन धर्म के बड़े तीर्थ इस्थलों में गिना जाता है। “Mathura Vrindavan Famous Mandir” मथुरा में सनातन धर्म के बहुत से प्रशिद्ध मंदिर है। इस लेख में हम आपको मथुरा वृंदावन का भारत के इतिहास व सनातन धर्म में महत्त्व को बताएँगे

भारत देश वैसे तो अपनी अलग संस्कृति के लिए लिए जाना जाता है लेकिन उसके बाद अगर किसी चीज का नंबर आता है तो भारत देश के प्रसिद्ध मंदिर। भारत को अगर मंदिरों का देश भी कहा जाए तो यह गलत नहीं होगा । देश के विभिन्न शहरों में अलग-अलग कलाकृतियों और बनावट से सुसज्जित विभिन्न प्रकार के मंदिर दुनिया भर के लिए आकर्षण का केंद्र हैं । दुनिया भर से आने वाले हजारों की संख्या में पर्यटक भारत के मंदिरों के दर्शन करने आते हैं । वैसे तो भारत में लाखों की संख्या में मंदिर हैं जोकि अलग अलग भगवानों को समर्पित हैं ।लेकिन हिंदू धर्म के अनुसार भारत में भगवान विष्णु के सोलह अवतारों ने जन्म लिया है । उनमें से दो अवतार अत्यंत प्रसिद्ध है । एक भगवान विष्णु का कृष्ण अवतार तथा दूसरा राम अवतार । आज हम अपने हिसार टिकट में भगवान कृष्ण की जन्मस्थली वृंदावन में स्थित मंदिरों के बारे में बात करने वाले हैं।

Why Mathura is famous? मथुरा क्यों प्रशिद्ध है

Mathura Vrindavan Famous Mandir: वृंदावन भगवान कृष्ण की अद्भुत नगरी है जिसका तमाम पौराणिक कथा धार्मिक ग्रंथों में उल्लेख आया है आज पूरी दुनिया भर से लोग वृंदावन घूमने के लिए आते हैं तथा इस अद्भुत नगर का दर्शन करते हैं। वृंदावन का महत्व प्राचीन युग से ही है लेकिन जैसे-जैसे समय बढ़ता जाता है भगवान कृष्ण के बारे में पूरी दुनिया के कोने कोने में चर्चा फैलती जाती है वैसे वैसे वृंदावन में आने वाले पर्यटकों में दिन-प्रतिदिन वृद्धि होती जाती है । वृंदावन भगवान कृष्ण के लीला का स्थल है मथुरा में जन्मे भगवान कृष्ण उन्होंने वृंदावन के अलग-अलग जगह पर विभिन्न प्रकार की लीलाएं कि आज भी ऐसी मान्यता है कि उनके लीला स्थल जगह-जगह पर मौजूद है इसलिए लोग जब भी भगवान कृष्ण के बारे में सुनते हैं तो उनकी वृंदावन जाने की इच्छा अपने आप हो जाती है ऐसे में यदि आप भी वृंदावन के दर्शन करना चाहते हैं और वृंदावन घूमना चाहते हैं तो बने रहिए हमारे साथ इस आर्टिकल में जहां हम आपको बताएंगे कि वृंदावन में ऐसी कौन कौन सी जगह है जहां पर आप को जाना चाहिए और उनका क्या महत्व है इस पूरी जानकारी को जानने के लिए बनी रहे हमारे साथ इस आर्टिकल में…

1- श्री कृष्ण जन्मभूमि मंदिर Shree Krishan Janam Bhoomi Mandir Mathura In Hindi

Mathura Vrindavan Famous Mandir

मथुरा में कृष्ण जन्मभूमि मंदिर (Mathura Vrindavan Famous Mandir shree krishan janam bhoomi) अपनी पवित्रता के लिए अत्यंत प्रसिद्ध है । ऐसी मान्यता है कि इसी जगह पर लीला पुरुषोत्तम भगवान श्री कृष्ण जी ने जन्म लिया था । मंदिर प्राचीन शैली में बना हुआ है हजारों की संख्या में लोग प्रतिदिन इस मंदिर का दर्शन करते हैं। ऐसी मान्यता है कि भगवान श्री कृष्ण के पर पोते वीर सिंह ने इस मंदिर को बनवाया था । मंदिर के निर्माण से पहले वहां पर कंस द्वारा बनवाई गई जेल थी स्थानीय लोग ऐसा भी मानते हैं। जवाब मंदिर में प्रवेश करते हैं तो उसके बाद से ही भगवान श्री कृष्ण का गर्भ ग्रह पड़ता है अंदर ही एक जेल जैसी संरचना बनी हुई है जिस स्थान पर भगवान श्री कृष्ण का जन्म माना जाता है वहां पर दर्शन करते वक्त बहुत उजाला नहीं होता है । क्योंकि भगवान श्री कृष्ण का मंदिर श्री कृष्ण जन्मास्थली का अभी न्यायालय में विवाद चल रहा है इसलिए वहां पर आपको अत्यंत सुरक्षा देखने को मिलेगी हालांकि अन्य मंदिरों में भी सुरक्षा रहती है लेकिन इस मंदिर की अपेक्षा हर जगह कम रहती है इस मंदिर में आप मोबाइल फोन नहीं ले जा सकते।

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2- गीता मंदिर मथुरा Geeta Mandir Mathura

मथुरा के विभिन्न मंदिरों में से एक अत्यंत प्रसिद्ध गीता मंदिर विशेष रूप से दर्शनीय मंदिर है । वृंदावन के केंद्र से कुछ ही दूरी पर स्थित यह मंदिर पौराणिक रूप से अत्यंत समृद्धशाली मंदिर है । कुरुक्षेत्र के युद्ध मैदान के बीच भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को गीता के जो भी उपदेश दिए वह सभी इस मंदिर की विभिन्न दीवारों पर अंकित हैं। गीता मंदिर को बिरला मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। लाल बलुआ पत्थर से बने इस मंदिर की दीवारें अत्यंत आकर्षक है तथा गीता के विभिन्न अध्यायों को चित्र के माध्यम से स्पष्ट करती हैं। मंदिर के अंदर भगवान श्री कृष्ण का रथ पर सवार एक विशेष चित्र है जिसकी पूजा और आराधना करने के लिए लोग पूरी दुनिया भर से इस मंदिर में आते हैं। यह मंदिर प्रतिदिन 5:00 से लेकर के दोपहर के 12:00 बजे तक खुला रहता है इसके बाद 4:00 बजे से लेकर के शाम को 7:00 बजे तक आप इस मंदिर में दर्शन कर सकते हैं तथा भगवान श्री कृष्ण का अद्भुत अध्यात्म पूर्ण आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं।

3- द्वारिकाधीश मंदिर मथुरा | Dwarika Dheesh Mandir Mathura

भगवान कृष्ण को समर्पित द्वारिकाधीस मंदिर मथुरा के सभी मंदिरों में प्राचीनतम मंदिर है। इस मंदिर में भगवान श्री कृष्ण तथा मां राधा की मूर्ति है । यह मंदिर मथुरा शहर के पूर्वी भाग में स्थित है । मंदिर के अंदर जाने पर काले रंग के संगमरमर पत्थर से बनी हुई भगवान श्री कृष्ण तथा भगवान राधा की मूर्ति अत्यंत आकर्षण के साथ मंदिर में आने वाले सभी भक्तजनों को अपनी तरफ आकर्षित करती है। इस मंदिर के बारे में ऐसी मान्यता है कि भगवान श्री कृष्ण अपनी जन्मस्थली को छोड़कर के अंतिम सांस तक इस जगह पर बसने के लिए आए हुए थे तभी से इस स्थली का नाम द्वारिकाधीश रखा गया है। राजस्थानी शैली में बना हुआ भगवान श्री कृष्ण के मंदिर की दीवारों पर चित्रों के माध्यम से कृष्ण लीला का चित्रण किया गया है। मंदिर परिसर में अंदर भगवान द्वारिकाधीस का झूला विशेष रूप से मंदिर में आने वाले भक्तों को अपनी तरफ आकर्षित करता है । भगवान कृष्ण का यह मंदिर सुबह 6:00 बजे से 1:30 बजे तक खुला रहता है। शाम को फिर 5:00 से यह मंदिर खोला जाता है जो कि 8:30 बजे तक खुला रहता है।

4- श्री केशव देव मंदिर मथुरा | Shree Keshav Dev Mandir Mathura

भगवान श्री कृष्ण की जन्मस्थली श्री कृष्ण जन्मभूमि मंदिर के पास ही स्थित भगवान शिव केशवदास मंदिर मथुरा के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। यह मंदिर अत्यंत विशाल क्षेत्र में फैला हुआ है तथा इस मंदिर के अंदर हिंदू धर्म में मनाए जाने वाले सभी त्यौहार मनाए जाते हैं। इस मंदिर का अपना अलग कैलेंडर है। होली के त्यौहार में होने वाली लट्ठमार होली इस मंदिर के प्रमुख त्योहारों में से एक है । इसके अलावा कृष्ण जन्माष्टमी, 56 भोग और अन्य त्यौहार भी इस मंदिर में पत्नी तो धूमधाम के साथ मनाए जाते हैं। मथुरा शहर के पूरे भाग में स्थित इस मंदिर में मैं प्रतिदिन सुबह 8:00 बजे से शाम 8:30 बजे तक घूम सकते हैं दर्शन कर सकते हैं तथा भगवान श्री कृष्ण का केशवदास के रूप में आशीर्वाद पा सकते हैं ।

5- चामुंडा देवी मंदिर मथुरा | Chamunda Devi Mandir Mathura

चामुंडा माता का मंदिर कहां है:- वृंदावन और मथुरा भगवान कृष्ण के मंदिरों के लिए ही प्रसिद्ध है लेकिन मथुरा में चामुंडा देवी मंदिर मां चामुंडा की आराधना के लिए विशेष महत्व रखता है । मंदिर में विशेष प्रकार की आध्यात्मिकता बहती है तथा यदि आप आध्यात्मिक विचारधारा को मानने वाले हैं तो आप मथुरा और वृंदावन की यात्रा करते समय इस मंदिर में अवश्य ही जाएं। इस मंदिर के बारे में ऐसी मान्यता है कि मां गायत्री का इकबाल इस स्थान पर गिरा था तभी से यह स्थान पर इस दैवीय शक्ति की पूजा व आराधना की जाती है। चुकी है मंदिर आध्यात्मिक रूप से अत्यंत प्रसिद्ध है इसलिए इसके पीछे ऐसी भी मान्यता है कि ऋषि सैंडल इस स्थान पर आध्यात्मिक रूप से अधिक सफल होने के लिए तपस्या करते थे। नवरात्रि में हजारों की संख्या में दूर-दूर से आने वाले श्रद्धालु इस मंदिर में अपनी चेतना के स्तर को उठाने के लिए मां चामुंडा से प्रार्थना करते हैं। मंदिर के अंदर आपको कोई भी मूर्ति देखने को नहीं मिलेगी। मंदिर के बारे में एक और भी मान्यता है कि भगवान श्री कृष्ण ने एक बार अजगर को मोक्ष प्रदान करने के बाद इस मंदिर में दर्शन करने के लिए गए थे ।

6- बांके बिहारी मंदिर , वृंदावन | Banke Bihari Mandir Vrindavan

वृंदावन में भगवान श्री कृष्ण के ठाकुर नाम से प्रचलित 7 मंदिरों में से एक मंदिर बांके बिहारी मंदिर अत्यंत रूप से प्रसिद्ध मंदिर है। वल्लभ मंदिर के पास स्थित बांके बिहारी मंदिर में हजारों की संख्या में श्रद्धालु प्रतिदिन दर्शन करने के लिए आते हैं। मंदिर का विशेष प्रकार की जटिल कलाकृतियों द्वारा बनाया गया है तथा भक्ति और वात्सल्य की मूर्ति भगवान कृष्ण का यह मंदिर सुबह 8:00 बजे से लेकर के शाम को 8:30 बजे तक खुला रहता है। इस समय के बीच में दोपहर 1:00 बजे से 4:00 बजे तक मंदिर परिसर में दर्शन रोते जाते हैं इसलिए जब भी आप मंदिर में बांके बिहारी के दर्शन करने जाएं तो इस समय के अंतराल पर जाएं।

7- वृंदावन का प्रेम मंदिर | Prem Mandir Vrindavan

मथुरा वृंदावन के प्रेम मंदिर: यदि कोई वृंदावन मथुरा की यात्रा पर जाएं और दर्शनीय रमणीय और आध्यात्मिक रूप से समृद्ध प्रेम मंदिर की यात्रा न करें तो उस यात्रा को पूरी तरीके से सफल यात्रा क्या नहीं माना जा सकता। भगवान श्री कृष्ण को समर्पित प्रेम मंदिर सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि दुनिया भर के लिए एक आकर्षक का केंद्र बना हुआ है। नई शैली में सफेद संगमरमर से बने हुए इस मंदिर के आसपास प्रतिदिन हर समय हजारों की संख्या में लोगों की उपस्थिति रहती है। भारत ही नहीं अपितु पूरी दुनिया भर से लोग इस मंदिर को देखने के लिए प्रतिदिन आते हैं। यह मंदिर वृंदावन के एक और प्रसिद्ध स्थान मंदिर के पास स्थित है । मंदिर के आसपास डिजिटल तरीके से पूरी कृष्ण लीला का दर्शन होता है जो कि इस मंदिर की शोभा को और अधिक रमणीय बना देता है। 50 एकड़ से भी अधिक की भूमि पर फैला हुआ यह बृहद और विशाल मंदिर सुबह 8:00 बजे से लेकर के शाम को 8:30 बजे तक अनवरत खुला रहता है मंदिर में हजारों की संख्या में प्रतिदिन भीड़ होती है।

 

प्रेम मंदिर किसने बनवाया है? प्रेम मंदिर का इतिहास

8- निधिवन वृंदावन | Nidhi Van Vrindavan

कहा जाता है भगवान श्री कृष्ण वृंदावन के कण कण में बसे हुए ऐसा ही एक स्थान जिसे निधिवन के नाम से जानते हैं उसके बारे में आज भी लोगों की ऐसी मान्यता है कि यह मंदिर भगवान श्री कृष्ण का लीला स्थल है तथा आज भी भगवान श्रीकृष्ण तथा राधा दोनों मिलकर इस जगह पर रास रचाते हैं। इसी मान्यता के लिए ही इस मंदिर को 5:00 बजे के बाद बंद कर दिया जाता है तथा सभी श्रद्धालुओं को परिसर से बाहर निकलने के लिए कह दिया जाता है क्योंकि मंदिर के पुजारी तथा अन्य स्थानीय लोगों का मानना है कि 5:00 बजे के बाद भगवान श्री कृष्ण गोपियों के साथ इस मंदिर में रास रचाते हैं। मंदिर में प्रवेश करते ही सैकड़ों की संख्या में पेड़ लगे हुए हैं इन्हें पौधों के होने के कारण ही इस जगह का नाम निधिवन पड़ा। आसपास एक ही जैसे सैकड़ों की संख्या में पेड़ पौधे की टहनियां आपस में मिलती है तथा एक दूसरे से उलझी हुई है। इस मंदिर के बारे में एक और मान्यता है कि सूर्यास्त के बाद कोई भी व्यक्ति इस मंदिर में प्रवेश करता है अथवा इस वन में प्रवेश करता है तो या तो वह अंधा हो जाता है या बहरा हो जाता है लोगों का मानना है उस समय भगवान श्री कृष्ण मां राधा और गोपियों के साथ रास रचा रहे होते हैं जिसे देखने के बाद कोई भी व्यक्ति बाहरी संसार में इस घटना का वर्णन कर दे इसलिए भगवान कृष्ण उसे अंधा कर देते हैं।

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9- श्री कृष्ण बलराम मंदिर (इस्कॉन मंदिर) | Shree Krishan Balram Mandir

प्रेम मंदिर से कुछ ही दूरी पर स्थित भगवान श्री कृष्ण का अत्याधुनिक शैली में बनाया हुआ एक मंदिर इसका नाम इस्कॉन मंदिर है वह बेहद प्रसिद्ध है। यह मंदिर सर्वाधिक रूप से विदेश से आने वाले भक्तों का विश्राम स्थल भी है। इस्कॉन संस्था ने दुनिया भर के अलग-अलग देशों में भगवान श्रीकृष्ण के अलग-अलग मंदिर बनाए हुए हैं। भगवान श्री कृष्ण का जन्म भारत में हुआ है इसलिए विदेश में रहने वाला कोई भी व्यक्ति जब भगवान श्री कृष्ण के बारे में सुनता है तो वह भारत आने की इच्छा जरूर ही करता है इसलिए विदेश से आने वाला हर इंसान अधिकांश तौर पर सबसे पहले इस्कॉन मंदिर जाता है। हजारों की संख्या में प्रतिदिन इस मंदिर में वृहद भंडारा चलता है। ऐसी मान्यता है कि इस कान संस्था के संस्थापक श्री प्रभुपाद लीला प्रभु इस मंदिर की स्थापना की थी इसलिए मंदिर के बाहर शुरुआत में ही प्रभु पाद लीला प्रभु जी की 1 दिव्य मूर्ति स्थापित की गई है। मंदिर के अंदर अलग-अलग देशों के भक्तों के लिए अलग-अलग भाषाओं में श्रीमद्भगवद्गीता की पुस्तकें तथा अन्य धार्मिक और पौराणिक पुस्तके उपलब्ध रहती हैं। सुबह 9:00 बजे से लेकर के शाम 5:00 बजे तक यह मंदिर अनवरत खुला रहता है आप किसी भी समय जाकर इस मंदिर में दर्शन कर सकते हैं तथा भगवान श्री कृष्ण के नित्य होते कीर्तन भजन का लाभ ले सकते हैं।

10- श्री राधाबल्लभ मंदिर मथुरा | Shree Radha Vallabh Mandir Mathura

यदि आपको वृंदावन की यात्रा पर आए तो श्री राधा बल्लभ जी का मंदिर भी आपको अवश्य घूमना चाहिए। राजस्थानी शैली में बनाया गया यह मंदिर इतिहास की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। ऐसी मान्यता है मोबाइल शासनकाल के दौरान इस मंदिर को नष्ट कर दिया गया था जिसके बाद इस मंदिर का स्थानांतरण राजस्थान में कर दिया गया था हालांकि वर्तमान समय में पुनः इस मंदिर में पूजन अर्चन का कार्य चल रहा है। इस मंदिर के बारे में ऐसी जानकारी मिलती है कि इस मंदिर का निर्माण लगभग 450 वर्ष पहले हुआ था।

11- राधा रमण मंदिर वृंदावन | Radha Raman Mandir Vrindavan

राधा रमण शब्द का शाब्दिक अर्थ सुख देने वाला होता है। इसलिए आप जब भी वृंदावन की यात्रा करें तो राधा रमण मंदिर अवश्य जाएं। ऐसी मान्यता है कि भगवान राधारमण जी के एक बार दर्शन कर लेने के बाद मनुष्य के कष्टों का पारायण हो जाता है। स्थानीय लोगों की कथा भगवान श्री कृष्ण के भक्तों का मानना है कि इस मंदिर में भगवान श्री कृष्ण ने शालिग्राम बन कर कई लोगों को दर्शन दिया था। इसलिए सम 1542 से हर साल वैशाखी के दिन इस मंदिर में बेहद महत्वपूर्ण आयोजन होते हैं।

12- जयपुर मंदिर , वृंदावन Jaipur Mandir Vrindavan

साल 1917 में सम्राट सवाई माधो सिंह द्वारा बनाया गया जयपुर मंदिर पेड़ों से घिरा हुआ एक सुखद वातावरण प्रदान करता है। इस मंदिर की विशेषता ये है कि यहां आने पर आपको ऐसा महसूस होगा कि आप जयपुर में हैं, वास्तव में, इस मंदिर को बलुआ पत्थर और मूल पत्थरों का उपयोग करके निर्मित वास्तुकला की एक सुंदर शैली द्वारा‌ बनाया जाता है । ऐसी मान्यता है कि इस भव्य मंदिर परिसर को पूरा होने में लगभग 30 साल लगे थे। जयपुर मंदिर में पूजे जाने वाले मुख्य देवता हंस-गोपाल, श्री राधा-माधव और आनंद-बिहारी हैं। जयपुर मंदिर भारत में आपके आध्यात्मिक पर्यटन के दौरान वृंदावन की यात्रा और धार्मिक महत्वपूर्ण स्थानों में से एक विशेष मंदिर हो सकता है । यह मंदिर वृंदावन शहर के केंद्र में स्थित है इसलिए आप इस जगह की यात्रा आसानी से कर सकते हैं।

13- मदन मोहन मंदिर , वृंदावन | Madan Mohan Mandir Vrindavan

श्री मदन मोहन मंदिर वृंदावन का सबसे पुराना मंदिर है। इस मंदिर का निर्माण 1580 में हुआ था। औरंगजेब के शासनकाल के दौरान जिस तरह से वृंदावन के अन्य मंदिरों को राजस्थान में स्थानांतरित कर दिया गया था ठीक उसी तरह इस मंदिर की मूल मूर्ति को सुरक्षित रखने के लिए भी राजस्थान में स्थानांतरित कर दिया गया था और एक प्रतिकृति रखी गई थी ये मंदिर सनातन गोस्वामी जी के आशीर्वाद से श्रीकृष्ण दास कपूर ने बनाई थी। और जिसमे गोस्वामी जी के मदन मोहन के विग्रह को स्थापित किया गया था।

14- गोविन्द देव जी मंदिर , वृंदावन | Govind Dev Ji Mandir, Vrindavan

वृंदावन में स्थित गोविंद देव जी का मंदिर वैष्णव सम्प्रदाय का प्रसिद्ध मंदिर है। इसका निर्माण 1590 ईस्वी में हुआ था। इस मंदिर के शिलालेख से यह जानकारी पूरी तरह सुनिश्चित हो जाती है कि इस भव्य देवालय को आमेर के राजा भगवान दास के पुत्र राजा मान सिंह के द्वारा बनवाया गया था। इस मंदिर के बारे में ऐसी मान्यता है कि कि यहां आज भी भगवान कृष्ण राधा गोपियों के साथ नित्य विहार करते हैं। श्री गोविंद देव का इस मंदिर का निर्माण श्री रूप गोस्वामी और सनातन गुरु श्री कल्याणदास जी की देखरेख में हुआ था।‌ श्री गोविंद देव जी मंदिर का पूरा निर्माण का खर्च राजा श्री मान सिंह के पुत्र राजा श्री भगवान दास, आमेर (जयपुर, राजस्थान) ने किया था। जब मुगल सम्राट औरंगजेब ने इसे नष्ट करने की कोशिश की थी तब गोविंद देव जी को वृंदावन से ले जाकर जयपुर में स्थापित कर दिया गया था। इसलिए इस मंदिर के मूल देवता अब भी जयपुर में है।

15- शाहजी मंदिर , वृंदावन | Shahaji Mandir, Vrindavan

सफेद संगमरमर से बना शाहजी मंदिर वृंदावन का प्रसिद्ध मंदिर और अत्यन्त आकर्षक मन्दिर है ।‌इस मंदिर की विशेषता है कि इसके खम्बे सर्पाकार में एक ही पत्थर की शिला से निर्मित हैं।शाह जी मन्दिर उत्तर प्रदेश की प्रसिद्ध धार्मिक नगरी मथुरा के तीर्थ स्थल वृन्दावन में स्थित है। यह मन्दिर वास्तुकला, चित्रकला तथा शानदार मूर्तिकला का अद्भुत समन्वय है।
श्वेत संगमरमर के इस अत्यन्त आकर्षक मन्दिर की विशेषता है कि इसके खम्बे सर्पाकार में एक ही पत्थर की शिला से निर्मित हैं।
पत्थर में जड़ाऊ काम के चित्र भी यहाँ अद्भुत हैं। इस मंदिर में एक बसन्ती कमरा भी है।
यहाँ वर्ष में अनेकों आकर्षक उत्सव होते हैं। बात करें इस मंदिर के निर्माण की तो आपको बताते चलें कि लखनऊ निवासी सेठ कुन्दनलाल शाह ने 1835 ई. में इस मन्दिर का निर्माण प्रारम्भ करवाया था। ऐसी मान्यता है कि सफ़ेद मकराना पत्थरों के द्वारा बनाए गए इस मंदिर में बहुत अधिक धन लगाया गया था । इस लिए यह मंदिर अत्यंत भव्य मन्दिर है । कहां जाता है इस मंदिर का निर्माण कराने वाले सेठ कुन्दनलाल शाह श्री चैतन्य महाप्रभु के अनन्य भक्त थे।

16- जुगुल किशोर मंदिर , वृंदावन | Jugal Kishore Mandir Vrindavan

मां यमुना के किनारे वृंदावन का जुगुल किशोर मंदिर भगवान श्री कृष्ण का अत्यंत प्रसिद्ध मंदिर है । जन्माष्टमी पर्व पर श्री जुगुल किशोर मंदिर को जहां आकर्षक ढंग से सजाया जाता है वहीं मंदिर परिसर के चारों ओर साफ-सफाई, पुताई कर मंदिर को स्वच्छ व सुन्दर बनाया जाता है। रात्रि के समय मंदिर की सुन्दरता में चार चांद लगाने के लियें विद्युत लडिय़ां भी लगी रहती है। मंदिर में कृष्ण जन्माष्टमी के दिन रात 12 बजे भगवान कृष्ण जी का जन्म बड़े धूमधाम तरीके से मनाया जाता है ।

17- श्री गिरिराज जी महाराज दानघाटी मंदिर गोवर्धन | Giriraj ji maharaj govardhan Mathura

श्री गिरिराज जी महाराज दानघाटी मंदिर गोवर्धन | Giriraj ji maharaj govardhan Mathura

History of Mathura In Hindi | मथुरा का इतिहास

मथुरा भारतीय राज्य उत्तर प्रदेश में स्थित एक शहर है, और इसका एक समृद्ध और आकर्षक इतिहास है।

मथुरा प्राचीन काल से ही संस्कृति और शिक्षा का एक महत्वपूर्ण केंद्र रहा है। ऐसा माना जाता है कि इसकी स्थापना छठी शताब्दी ईसा पूर्व में यादव वंश द्वारा की गई थी। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, मथुरा भगवान कृष्ण का जन्मस्थान था, जो हिंदू देवताओं में सबसे प्रतिष्ठित देवताओं में से एक थे।

मौर्य साम्राज्य, कुषाण साम्राज्य और गुप्त साम्राज्य सहित पूरे इतिहास में मथुरा पर विभिन्न राजवंशों का शासन रहा है। कुषाण साम्राज्य के शासनकाल के दौरान, मथुरा कला और वास्तुकला का एक प्रमुख केंद्र बन गया। इस अवधि के दौरान कई सुंदर मूर्तियों और मंदिरों का निर्माण किया गया और उनमें से कुछ आज भी जीवित हैं।

11वीं शताब्दी में महमूद गजनवी ने मथुरा को जीत लिया और यह मुस्लिम शासन के अधीन आ गया। इस अवधि के दौरान, शहर में कई खूबसूरत मस्जिदों और अन्य इस्लामी इमारतों का निर्माण किया गया।

16वीं शताब्दी में मथुरा मुगल साम्राज्य के शासन में आ गया। मुग़ल बादशाह अकबर इस शहर से विशेष रूप से प्यार करता था, और उसने वहाँ कई खूबसूरत इमारतों और उद्यानों के निर्माण का आदेश दिया। मथुरा की प्रसिद्ध जामा मस्जिद का निर्माण भी इसी काल में हुआ था।

ब्रिटिश राज के दौरान, मथुरा व्यापार और वाणिज्य का एक महत्वपूर्ण केंद्र बन गया। यह शहर 1874 में स्थापित मथुरा कॉलेज सहित कई महत्वपूर्ण शैक्षणिक संस्थानों का घर भी था।

आज, मथुरा एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है, जो अपने सुंदर मंदिरों, ऐतिहासिक इमारतों और समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के लिए जाना जाता है।

Where Mathura is located? मथुरा कहाँ इस्थित है

मथुरा भारतीय राज्य उत्तर प्रदेश का एक शहर है, जो भारत की राजधानी नई दिल्ली से लगभग 150 किलोमीटर दक्षिण-पूर्व में स्थित है। यह यमुना नदी के तट पर स्थित है, जो उत्तरी भारत की प्रमुख नदियों में से एक है। मथुरा को हिंदू धर्म में एक पवित्र शहर माना जाता है और यह अपनी समृद्ध सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत के लिए जाना जाता है।

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