शिला देवी मंदिर आमेर जयपुर का इतिहास, शिल्पकला,खुलने का समय (Shila Devi Temple Jaipur Rajasthan)
राजस्थान में धार्मिक मंदिरों और इमारतों की कमी बिल्कुल भी नहीं है. यहां पर वास्तुकला का प्रचुर भंडार है. राजस्थान के मंदिरों की वास्तुकला और इतिहास ही हर वर्ष लाखों की संख्या में देशी और विदेशी पर्यटकों को अपनी और आकर्षित करते हैं. बात करें जयपुर के मंदिरों की तो आमेर में स्थित शिला देवी के मंदिर (Shila Devi Temple) को बिल्कुल भी नहीं भूलाया जा सकता. शीला देवी का मंदिर सनातन धर्म से जुड़ी देवी काली को समर्पित है जो कि आमेर के किले में स्थित है. शीला देवी (Shila Devi Temple) जयपुर के कछवाहा वंश की कुलदेवी कही जाती है. शीला देवी लक्खी मेले के लिए प्रसिद्ध है|
आमेर जयपुर में स्थित शिला देवी के इस मंदिर के पीछे भगवान गणेश तथा मीणा समाज की कुलदेवी हिंगला की मूर्तियां भी स्थित है. नवरात्रों में यहा पर दो मेलों का आयोजन होता है जिसमें देवी को प्रसन्न करने के लिए पशुओं की बलि दी जाती है. शीला देवी के आमेर जयपुर में स्थित इस मंदिर में धार्मिक प्राचीन वास्तुकला की शैलियां देखने को मिलती हैं. शीला देवी का यह मंदिर (Shila Devi Temple) जयपुर के आमेर महल के जलेबी चौक के दक्षिण में स्थित है जो कि एक ऐतिहासिक मंदिर है| स्थानीय लोगों का मानना है कि शिला देवी अंबा माता का ही एक स्वरूप है तथा आमेर का नाम भी अंबा मां के नाम पर ही आमेर रखा गया था. शीला देवी के लिए यहां के स्थानीय लोगों का मानना है कि शीला देवी की यह मूर्ति एक विशाल शिला पर उकेरी गई है, इसीलिए इसे शिला देवी कहा जाता है|
शिला देवी के आमेर जयपुर स्थित इस मंदिर का निर्माण महाराजा सवाई मानसिंह द्वितीय ने 1996 करवाया था. इस मंदिर में गुजिया और नारियल का प्रसाद चढ़ाया जाता है. जयपुर की शिला देवी का मुख्य द्वार चांदी से बना हुआ है. इस मंदिर के दरवाजे के सामने आपको चांदी का नगाड़ा भी देखने को मिलता है. मंदिर के प्रवेश द्वार के दाएं और महालक्ष्मी विराजित हैं तथा बायीं और महाकाली विराजित है जिनके चित्र उकेरे गए हैं.
शिला देवी मंदिर (Shila Devi Temple) का इतिहास
जब भी हम किसी प्राचीन मंदिर यह इमारत के बारे में बात करते हैं तो उस इमारत या मंदिर से जुड़ा इतिहास भी जरूर पढ़ना चाहिए, क्योंकि उसके इतिहास से ही हमें मंदिर के बारे में जानकारी मिलती है. राजस्थान का हर मंदिर अपना अलग गौरवशाली इतिहास रखता है. जयपुर के आमेर में स्थित शिला देवी का मंदिर (Shila Devi Temple) भी अपना ही इतिहास रखता है. इस मंदिर को महाराजा सवाई मानसिंह ने 1996 बनवाया था|
इससे पहले यह मंदिर चुने का बना हुआ था. आमेर जयपुर में स्थित शिला देवी मंदिर (Shila Devi Temple) में शीला देवी के पीछे हिंगलाज माता की मूर्ति स्थापित है|
जयपुर के आमेर में स्थित शिला देवी की इस मंदिर को सवाई मानसिंह द्वारा बनवाया गया था शीला देवी को कछुआ वंश की कुलदेवी माना जाता है इसी वजह से आमेर में शिला देवी का मंदिर बनवाया गया है.
इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि इस मंदिर की मूर्ति को राजा मानसिंह बंगाल से लेकर आए थे क्योंकि मुगल काल में राजा मानसिंह को बंगाल का गवर्नर बनाया गया था. मानसिंह ने युद्ध में अपनी विजय के लिए इसी देवी की प्रतिमा से आशीर्वाद मांगा था जिसके बदले देवी ने राजा मानसिंह के सपने में मूर्ति को मुक्त कराने की शर्त रखी थी और कहा जाता है कि देवी ने राजा को युद्ध जिताने में सहायता की और राजा ने माता की इस मूर्ति को राजा केदार से मुक्त करवाकर आमेर में स्थापित करवाया. लोगों का यह भी कहना है कि राजा केदार से युद्ध हारने पर मान सिंह को यह मूर्ति भेंट स्वरूप मिली थी.
इस मूर्ति के बारे में यहां के स्थानीय लोगों का मानना है कि राजा मानसिंह से राजा केदार ने अपनी बेटी का विवाह करवाया था और यह मूर्ति भेंट की थी. राजा केदार ने यह मूर्ति समुद्र में पड़े एक विशाल पत्थर से बनवाई थी इसीलिए इस मूर्ति का नाम शिला देवी रखा गया था.
शिला देवी मंदिर (Shila Devi Temple)की शिल्पकला
शिला देवी का आमेर जयपुर स्थिति है मंदिर संगमरमर के पत्थर द्वारा बनवाया गया है जो कि महाराज सवाई मानसिंह द्वितीय ने 1996 बनवाया था मंदिर बनाने में राजस्थानी शैली का उपयोग किया गया है. जो यहां आने वाले पर्यटकों को लुभाती है.शुरुआत में जयपुर की शिला देवी का मुख पूर्व दिशा की तरफ था जिसके बाद राजा जयसिंह ने पंडितों की सलाह के अनुसार इस मूर्ति को उत्तर दिशा की ओर उत्तराविमुख करवाया था. मूर्ति काले और चमकीले पत्थर द्वारा बनाई गई है. आमेर में स्थित शिला देवी की यह मूर्ति हमेशा आभूषणों और गुलाब के फूलों से ढकी हुई रहती है जिससे मूर्ति के हाथ और मुख ही दिखाई देता है. शीला देवी की मूर्ति में महिषासुर को एक पैर के नीचे दबाकर दाहिने हाथ के त्रिशूल से मारते हुए दिखाया गया है और इसी वजह से देवी का मुख दाहिनी ओर झुका हुआ है. मूर्ति के ऊपरी भाग में बाएं से दाएं अपने वाहनों पर भगवान गणेश, ब्रह्मा, विष्णु, महेश व कार्तिकेय की छोटी-छोटी मनमोहक सुंदर आकृतियां बनाई गई है.
शिला देवी मंदिर (Shila Devi Temple) में मेला
जयपुर के आमेर में स्थित शिला देवी के पीछे भगवान गणेश और मीणा समाज की कुलदेवी कहीं जाने वाली हिंगला माता की मूर्तियां स्थापित है जहां पर हर वर्ष चेत्र और अश्विन के नवरात्रों में मेला लगता है जिसमें माता का विशेष श्रंगार किया जाता है. शीला देवी के यहां लगने वाले इन मेलों में देवी को प्रसन्न करने के लिए पशुओं की बलि दी जाती है. नवरात्रों में लगने वाले इस मेले में राज परिवार के सदस्य और भूतपूर्व जयपुर रियासत के सामंत गण शामिल होते हैं|
शिला देवी मंदिर (Shila Devi Temple)मंदिर खुलने का समय/प्रवेश शुल्क
कहीं मंदिर घूमने जाते हैं तो मंदिर खुलने और बंद होने के समय की जानकारी होना बहुत आवश्यक है. यदि आप आमेर जयपुर की शिला देवी मंदिर(Shila Devi Temple) घूमने आ रहे हैं तो आपको इस मंदिर के खुलने तथा बंद होने की जानकारी भी आवश्यक रूप से होनी चाहिए. शिला देवी का जयपुर आमेर स्थित यह मंदिर सुबह 5:00 बजे से 12:00 बजे तक खुलता है जिसके बाद दोपहर 4:00 बजे से शाम को 7:00 बजे तक खुलता हैं. इस बीच आप कभी भी मंदिर दर्शन कर सकते हैं. जयपुर के आमेर में स्थित शिला देवी के मंदिर(Shila Devi Temple) दर्शन के लिए आपको किसी भी तरह की प्रवेश शुल्क नहीं देना होता है. यहां श्रद्धालुओं के लिए देवी के दर्शन निशुल्क रखे गए हैं|
शिला देवी मंदिर (Shila Devi Temple) में होने वाली आरती व पूजा पाठ
जयपुर के आमेर में स्थित शिला देवी के मंदिर में यदि आप घूमने आते हैं और मंदिर में होने वाली आरती में शामिल होना चाहते हैं तो आपको मंदिर में होने वाले भारतीयों का समय भी जरूर ध्यान रखना चाहिए|
दर्शन और बाल भोग सुबह 6:00 बजे
जल भोग दही और पतासा से सुबह 7:00 बजे
पूजा गुजिया और मिठाई सुबह 8:00 बजे
5 मिनट की आरती सुबह 10:00
राजभोग सुबह 10:30 से 11:00 तक
राजभोग में किसी भी श्रद्धालुओं को आने की अनुमति नहीं है
संध्या आरती और भोग शाम 6:00 बजे से 6:30 बजे तक
शयन आरती रात्रि 8:00 बजे होती है
उपरोक्त समय और त्योहरों के अनुसार बदला भी जा सकता है|
शिला देवी मंदिर (Shila Devi Temple) आने का बेहतरीन समय
जब भी हम कहीं घूमने जाते हैं तो वातावरण के अनुसार ही हम वहां जाने का प्लान बनाते हैं जैसे कि यदि आप राजस्थान में कहीं भी घूमने आते हैं तो यहां के वातावरण को ध्यान में रखकर ही आप यहां आने का विचार बनाते हैं. राजस्थान का तापमान अक्टूबर से मार्च के महीने तक सामान्य रहता है, इस बीच राजस्थान में सर्दी का मौसम रहता है. यदि आप आमेर जयपुर की शिला देवी के दर्शन के लिए आते हैं तो आपको अक्टूबर से मार्च के बीच का समय ही चुनना चाहिए जो कि आपकी यात्रा के लिए सहज अनुभव होगा.
कैसे पहुंचे शीला देवी मंदिर(Shila Devi Temple)
फ्लाइट
यदि आप शिला देवी के मंदिर अपने परिवार के साथ घूमने आ रहे हैं और आप हवाई जहाज के जरिए यहां आना चाह रहे हैं तो जयपुर के सांगानेर हवाई अड्डे पर पहुंचकर आप आमेर के लिए अपनी सुविधा अनुसार बस या कैब की सहायता ले सकते हैं, जहां से आप आसानी से मंदिर दर्शन कर सकेंगे.
सड़क मार्ग से
जयपुर राजस्थान की राजधानी है और जयपुर को सड़क मार्ग द्वारा देश के प्रमुख प्रदेशों से सड़क मार्ग द्वारा जोड़ा गया है. जयपुर बस स्टैंड से आप आमेर के लिए अपनी सुविधा अनुसार कैब टैक्सी बुक कर सकते हैं, जिसके बाद आप आसानी से शीला देवी के मंदिर जा सकते हैं.
रेल मार्ग से
यदि आप आमेर जयपुर स्थित शिला देवी के दर्शन के लिए आ रहे हैं और आप रेलमार्ग से आ रहे हैं तो जयपुर की रेलवे स्टेशन जयपुर रेलवे स्टेशन से आमेर के लिए आपको अपनी सुविधा के अनुसार कैब या टैक्सी बुक कर सकते हैं जिसके बाद आप आसानी से मंदिर दर्शन कर सकते हैं|