चौथ माता का मंदिर कहां पर है? Chouth Mata Mandir Barwada
चौथ माता का मंदिर कहाँ है| चौथ माता की कहानी (sawai madhopur chauth ka barwara)? कहाँ विराजती चौथ माता ये प्रश्न सभी चौथ माता के भक्तों व भारत वर्ष की सभी सुहागन महिलाओं का होता है? तो यहाँ हम आपको बता दें की चौथ माता जो सुहागिन महिलाओं की देवी के रूप में पूजी जाती है उनका प्रशिद्ध मंदिर सवी माधोपुर जिले के चौथ का बरवाड़ा नामक कस्वा में पड़ता है जैसा की आप सभी जानते हो भारत में करवा चौथ का उपवास सभी महिलाएं रखती है। जो चौथ माता से अपनी पति की लम्बी आयु की कामना करती है।
हमारे देश में सनातन संस्कृति से जुड़े बहुत से मंदिर हैं जिन्हें देखने के लिए हर वर्ष देश-विदेश से लाखों की संख्या में पर्यटक यहां आते रहते हैं, जिनमे से आज हम बात करेंगे राजस्थान के सवाई माधोपुर में स्थित चौथ माता के मंदिर के बारे में, आपने काफी बार यह सुना होगा कि महिलाएं चौथ माता का व्रत करती हैं और यह व्रत देश ही नहीं बल्कि विदेश तक रखा जाता है|
करवा चौथ का व्रत व चौथ माता सवाई माधोपुर बरवाड़ा
Sawai madhopur chauth ka barwara:-इनमें सबसे ज्यादा करवा चौथ के व्रत की महत्वता बताई जाती है, इसी करवा चौथ से जुड़ा चौथ माता का बरवाड़ा (Chouth Mata mandir sawai madhopur Rajasthan) राजस्थान के सवाई माधोपुर में स्थित है जो कि सबसे पुराना मंदिर माना जाता है. सवाई माधोपुर में इस मंदिर की स्थापना 1451 में भीम सिंह द्वारा करवाई गई थी| चौथ माता का यह मंदिर चौथ का बरवाड़ा के नाम से जाना जाता है. चौथ का बरवाड़ा शहर चारों तरफ से अरावली पर्वतमाला से घिरा हुआ है. मनो जैसे कि यह स्थान अरावली पर्वत श्रंखला की गोद में स्थित हो. चौथ का बरवाड़ा गुर्जर तथा मीणा समुदाय कि बाहुल्य वाला क्षेत्र है, चौथ का बरवाड़ा में भगवान श्री देवनारायण तथा मीन भगवान के भी मंदिर स्थित है|
आज के हमारे इस आर्टिकल में हम आपको सवाई माधोपुर में स्थित चौथ का बरवाड़ा (Chouth Mata mandir sawai madhopur Rajasthan) के बारे में संपूर्ण जानकारी उपलब्ध करवाने की कोशिश करेंगें, जिससे कि आप मंदिर के इतिहास तथा यहां की यात्रा के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकेंगे|
कब रखा जाता है चौथ माता का व्रत , 2023 में कब है करवा चौथ?
चौथ माता का व्रत हर महीने की चतुर्थी को रखा जाता है। अभी जनवरी महीने में सकट चौथ का व्रत था। इस दिन चौथ माता की पूजा की जाती है जो की माता पार्वती का ही एक रूप है। इसमें करवा चौथ का व्रत की महान अनुकम्पा है। जो की कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को रखा जाता है।
चौथ माता किसकी कुलदेवी है|Chouth mata kiski kul devi hai
चौथ माता मंदिर सवाई माधोपुर राजस्थान:- चौथ माता हिन्दू धर्म की प्रमुख देवी मानी जाती है | चौथमाता कंजर जाति की कुल देवी है| जिनकी पूजा मुख्य रूप से भारत के राजस्थान राज्य में की जाती है। उन्हें कई राजस्थानी समुदायों के लिए कुलदेवी (पारिवारिक देवी) माना जाता है, जिनमें राठौड़, बिश्नोई और राजपूत शामिल हैं।
चौथ माता की उत्पत्ति और पौराणिक कथाओं के बारे में अलग-अलग मान्यताएं हैं। कुछ उन्हें देवी दुर्गा या योद्धा देवी अंबिका का अवतार मानते हैं, जबकि अन्य मानते हैं कि वह देवी शक्ति या चामुंडा का एक रूप हैं।
चौथ माता को आमतौर पर शेर या बाघ की सवारी करने वाली चार भुजाओं वाली देवी के रूप में दर्शाया जाता है। वह अक्सर लड़ाई या प्रतियोगिताओं में सुरक्षा, साहस और जीत के लिए पूजा की जाती है। कई लोग सामान्य सुख-समृद्धि के लिए भी उनसे आशीर्वाद मांगते हैं।
चौथ माता मंदिर बरवाड़ा का इतिहास (Chouth Mata mandir sawai madhopur Rajasthan)
सवाई माधोपुर जिले के चौथ का बरवाड़ा में स्थित चौथ माता का यह मंदिर तकरीबन 1100 सौ फीट की ऊंचाई पर स्थित है. इस मंदिर की स्थापना 1451 में महाराजा भीम सिंह चौहान ने करवाई थी वर्तमान में चौथ का बरवाड़ा प्राचीन काल में रणथंबोर साम्राज्य का ही एक हिस्सा हुआ करता था. चौथ माता को सनातन धर्म में माता पार्वती का ही एक अंश माना जाता है. चौथ माता का बरवाड़ा स्थित यह मंदिर शहर की शक्ति गिरी पर्वत पर बना हुआ है, चौथ माता का यह मंदिर भारत के सबसे प्राचीन मंदिरों में से एक माना जाता है|
मंदिर के बारे में यहां के स्थानीय लोगों का मानना है कि प्राचीन काल में यहां पर आदिवासी रहते थे, जहां पर अचानक एक भयानक अग्नि पुंज प्रकट हुआ था और इस अग्नि पुंज से दारुल भैरव का विनाश हुआ था. इस प्रकाश तथा प्रतिमा के चमत्कार को देखकर यहां रह रहे आदिवासी लोगों का इस प्रतिमा के प्रति लगाव हो गया और आदिवासी लोगों ने इस प्रतिमा को अपनी कुलदेवी के रूप में मान्यता दी तथा अपने कुल के आधार पर इसका नाम चौर माता रखा तथा जैसे जैसे समय बीतता गया वैसे वैसे नाम बदलता गया और आज यही नाम चौथ माता के नाम से जाना जाता है. चौथ माता को मीणा समाज तथा आदिवासियों की कुलदेवी माना जाता है. इस प्रतिमा के बारे में यह भी कहा जाता है कि यह प्रतिमा चोरों के विकट जंगलों से अचानक गायब हो गई थी, तथा कुछ समय बाद यही मूर्ति बरवाड़ा नामक स्थान में पाई गई थी, उपरोक्त किवंदती के बारे में कुछ ऐतिहासिक प्रमाण नहीं मिलता किंतु यहां के स्थानीय लोगों का यही मानना है|
कौन है चौथ माता | चौथ माता की कहानी
चौथ माता मंदिर सवाई माधोपुर राजस्थान: – चौथ माता हिन्दू धर्म की एक प्रशिद्ध देवी है जो की माता पार्वती का ही एक रूप है। इनका सबसे पुराना व प्रशिद्ध मंदिर चौथ का वरवाड़ा सवाई माधोपुर में इस्थित है।
आर्टिकल का नाम | चौथ का बरवाड़ा (Chouth Mata Temple) |
मंदिर का नाम | चौथ माता मंदिर |
चौथ का बरवाड़ा (Chouth Mata Temple) का पता | X9RM+53J, Old Grain Mandi Rd, City, Sawai Madhopur, Rajasthan 322001 |
मंदिर के मुख्य पुजारी एवं महराज | शंकर लाल सैनी |
जिला | सवाई माधोपुर |
राज्य | राजस्थान |
मंत्र | |
मंदिर की गूगल मैप लोकेशन | यहा क्लिक करे |
आधिकारिक यूट्यूब चैनल | |
मंदिर के फ़ोन नम्बर | 085058 73106 |
गूगल लोकेशन | यह क्लिक करे |
चौथ माता की पूजा भारतीय महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए रखती हैं, माना जाता है कि महिलाओं द्वारा इस व्रत को पूर्ण करने से उनके पति की आयु बढ़ती है, इसीलिए चौथ माता के व्रत को सुहाग का व्रत भी कहा जाता है. चौथ माता के बरवाड़ा स्थित इस मंदिर को शक्तिपीठ भी माना जाता है.
सवाई माधोपुर शहर से 25 किलोमीटर की दूरी पर स्थित चौथ के बरवाड़ा मंदिर में माता के दर्शन के लिए पहुंचने के लिए आने वाले श्रद्धालुओं को 700 सीढ़ियां चढ़नी होती है जिसके बाद ही वह चौथ माता के दर्शन कर पाते हैं.
चौथ माता की कहानी | Chauth mata ki kahani | Chouth Mata Story Sawaimadopur
चौथ माता की कहानी:- चौथ माता एक हिंदू देवी हैं जिनकी पूजा भारत के राजस्थान के सवाई माधोपुर जिले में की जाती है। स्थानीय किंवदंतियों के अनुसार, चौथ माता का मंदिर राव हम्मीर नामक एक राजपूत राजा द्वारा बनवाया गया था। ये है चौथ माता की कहानी:
एक बार राजपूतों और मुगलों में भयंकर युद्ध हुआ। राजपूतों की संख्या कम थी और उनका मनोबल गिरा हुआ था। इस महत्वपूर्ण क्षण में, युद्ध के मैदान में एक रहस्यमयी महिला दिखाई दी। वह लाल रंग के कपड़े पहने हुए थी और हाथों में तलवार और त्रिशूल लिए हुए थी। महिला ने जमकर संघर्ष किया और अकेले दम पर मुगलों को हरा दिया।
युद्ध के बाद, राजपूतों ने उस महिला से पूछा कि वह कौन थी, और उसने उत्तर दिया कि वह चौथ माता थी, जो बहादुर और धर्मी की रक्षा करने वाली देवी थी। राजपूत उसकी बहादुरी से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने उसके सम्मान में एक मंदिर बनाने का फैसला किया।
वर्षों से, चौथ माता का मंदिर तीर्थस्थल बन गया, और पूरे क्षेत्र के लोग अपनी प्रार्थना करने और देवी का आशीर्वाद लेने आते थे। ऐसा माना जाता है कि चौथ माता सवाई माधोपुर के लोगों की रक्षक हैं, और वह अपने भक्तों को साहस, शक्ति और समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं।
आज भी चौथ माता का मंदिर पर्यटकों और भक्तों के बीच समान रूप से लोकप्रिय है। मंदिर एक पहाड़ी पर स्थित है, और यह आसपास के परिदृश्य का मनोरम दृश्य प्रस्तुत करता है। मंदिर परिसर में एक छोटा बाज़ार भी है जहाँ आप देवी के लिए स्मृति चिन्ह और प्रसाद खरीद सकते हैं।
ऐसी है सवाई माधोपुर की योद्धा देवी चौथ माता की कहानी। Google चौथ माता की कहानी सुनाइए
चौथ माता मंदिर बरवाड़ा की वास्तु कला (Chouth Mata Mandir Sawaimadhopur)
सवाई माधोपुर में स्थित चौथ माता के मंदिर का निर्माण परंपरागत राजपूताना शैली में किया गया है, मंदिर में सफेद संगमरमर के पत्थरों पर स्मारक बनवाए गए हैं, साथ ही मंदिर की छत और दीवारों पर भी अनेकों शिलालेख उकरे गए हैं. मंदिर परिसर में चौथ माता की मूर्ति के अलावा आपको भगवान गणेश और भैरव की मूर्ति भी देखने को मिलती है. यहां के स्थानीय लोग किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत करने से पूर्व चौथ माता को निमंत्रण आवश्यक करते हैं, साथ ही चौथ माता के प्रति अपनी प्रगाढ़ आस्था और श्रद्धा के चलते ही कोटा शहर में चौथ माता के नाम से एक बाजार भी बनाया गया है, जिसे चौथ माता बाजार कहा जाता है.
चौथ माता मंदिर बरवाड़ा घूमने के लिए उपयुक्त समय (Chouth Mata Mandir ghoomane ka sahi samaye)
जब भी हम किसी स्थान विशेष की यात्रा करते हैं तो हमारे गंतव्य स्थान के वातावरण, प्रकृति तथा इतिहास के बारे में हम आवश्यक रूप से चर्चा करते हैं, जिससे कि हमें अपनी यात्रा के दौरान किसी समस्या का सामना ना करना पड़े. यदि आप राजस्थान के सवाई माधोपुर शहर में स्थित चौथ का बरवाड़ा (Chouth Mata mandir) भ्रमण करने का विचार कर रहे हैं तो आपको बता दें कि राजस्थान की यात्रा के लिए आपको अक्टूबर से मार्च के मध्य का समय चुनना चाहिए, इस दौरान राजस्थान में शीत ऋतु रहती है जिससे आपको यात्रा के दौरान किसी भी समस्या का सामना नहीं करना पड़ेगा. अक्टूबर से मार्च के अलावा राजस्थान में अधिकांश समय गर्मी का माहौल रहता है और इस दौरान राजस्थान में तेज गर्म धूल भरी आंधियां चलती है जो की यात्रा के लिए सुखद अनुभव नहीं देती है, इसलिए आपको अक्टूबर से मार्च के मध्य का समय ही चुनना चाहिए|
चौथ माता के बरवाड़ा स्थित मंदिर में विवाहित जोड़ों तथा सुहागिन स्त्रियों विशेष रूप से अपने सुहाग की रक्षा की प्रार्थना करने हेतु आते हैं, चौथ माता के पूजन करने से विवाहित स्त्रियों को अखंड सौभाग्य का वरदान मिलता है|
करवा चौथ भारतीय कैलेंडर के अनुसार कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को माना जाता है, इस दिन महिलाएं अपने सुहाग की रक्षार्थ व्रत रखती हैं|
यदि आप चौथ का बरवाड़ा (Chouth Mata mandir) के दर्शन के लिए आने का विचार कर रहे हैं तो आपको बता दें कि यहां नवरात्रि और करवा चौथ के समय भक्तों की विशेष भीड रहती है नवरात्रों में माता के मंदिर में विशेष मेले का आयोजन भी होता है|
चौथ माता का मंदिर कहां है? कैसे पहुंचे चौथ का बरवाड़ा (Chouth Mata Mandir varwada sawaimadhopur)
जब भी किसी स्थान विशेष की यात्रा करते हैं तो वहां के उपलब्ध परिवहन के साधनों की अनावश्यक रूप से चर्चा करते हैं जिससे कि हमें अपनी यात्रा के लिए किसी भी समस्या का सामना ना करना पड़े. यदि आप राजस्थान के सवाई माधोपुर में स्थित बरवाड़ा चौथ माता मंदिर दर्शन के लिए आ रहे हैं तो आपको बता दें कि बरवाड़ा चौथ माता के दर्शन के लिए आप हवाई मार्ग, सड़क मार्ग तथा रेल मार्ग किसी की भी सहायता ले सकते हैं और आसानी से सवाई माधोपुर की यात्रा कर सकते हैं|
चौथ माता मंदिर कैसे पहुंचें हवाई मार्ग से
चौथ माता का मंदिर कहां है?: यदि आप चौथ का बरवाड़ा (Chouth Mata Mandir) का भ्रमण करने का विचार कर रहे हैं और आप हवाई मार्ग की सहायता से मंदिर आना चाहते हैं तो आपको बता दें कि कोटा एयरपोर्ट शहर को देश के विभिन्न प्रमुख प्रदेशों तथा शहरों से जोड़ता है, जिससे आप आसानी से कोटा शहर की यात्रा कर सकते हैं. कोटा एयरपोर्ट से मंदिर की दूरी केवल 137.1 किलोमीटर की है यहां से आप अपनी सुविधा अनुसार टैक्सी या ऑटो की सहायता ले सकते हैं और आसानी से मंदिर पहुंच सकते हैं.
चौथ माता का मंदिर कहां है? कैसे पहुंचें रेल मार्ग द्वारा
यदि आप रेल मार्ग द्वारा चौथ का बरवाड़ा (Chouth Mata Mandir) घूमने का विचार कर रहे हैं तो आपको बता दें कि चौथ का बरवाड़ा रेलवे स्टेशन सवाई माधोपुर-जयपुर रेलवे मार्ग के बीच पड़ता है। सवाईमाधोपुर रेलवे जंक्शन से चौथ का बरवाड़ा (Chouth Mata Temple) की दूरी मात्र 5. 7 किलोमीटर है जिसे आप ऑटो या टैक्सी की मदद से आसानी से पूरी कर सकते हैं.
चौथ का बरवाड़ा से सवाई माधोपुर की तरफ जाने वाली रेल गाड़ियाँ
क्रमांक नं. | ट्रेन नं. | ट्रेन नाम | समय | दिन |
1 | 22982 | श्री गंगानगर-कोटा सुपर फास्ट पैसेंजर | 07:09 | डेली |
2 | 59805 | जयपुर-बयाना सुपर फास्ट पैसेंजर | 08:4 | डेली |
3 | 12466 | रणथम्भौर सुपर फास्ट एक्सप्रेस | 12:38 | डेली |
4 | 12182 | दयोदया सुपर फास्ट एक्सप्रेस | 19:03 | डेली |
5 | 54812 | जोधपुर-भोपाल पैसेंजर | 19:40 | डेली |
चौथ माता का मंदिर कहां है? चौथ का बरवाड़ा से जयपुर की तरफ जाने वाली रेल गाड़ियाँ
क्रमांक नं. | ट्रेन नं. | ट्रेन नाम | समय | दिन |
1 | 59801 | चकोटा-जयपुर फास्ट पैसेंजर | 2:23 | डेली |
2 | 54811 | भोपाल-जोधपुर पैसेंजर | 06:16 | डेली |
3 | 12181 | दयोदया सुपर फास्ट एक्सप्रेस | 09:57 | डेली |
4 | 12465 | रणथम्भौर सुपर फास्ट एक्सप्रेस | 14:57 | डेली |
5 | 59806 | बयाना-जयपुर सुपर फास्ट पैसेंजर | 17:21 | डेली |
6 | 22981 | कोटा-हनुमानगढ़ सुपर फास्ट पैसेंजर | 19:47 | डेली |
चौथ माता का मंदिर कहां है? चौथ का बरवाड़ा तहसील में पड़ने वाले रेलवे स्टेशन
1 | चौथ का बरवाड़ा |
2 | ईसरदा |
3 | देवपुरा |
4 | सुरेली |
चौथ माता कैसे पहुंचें सड़क मार्ग द्वारा
सड़क मार्ग द्वारा सवाईमाधोपुर शहर को प्रदेश के विभिन्न शहरों तथा देश के विभिन्न राज्यों से जोड़ा गया है जिससे आप देश में कहीं से भी बहुत आसानी से सवाईमाधोपुर शहर की यात्रा कर सकते हैं. सवाईमाधोपुर शहर के बस स्टैंड से चौथ का बरवाड़ा (Chouth Mata mandir) की दूरी मात्र 700 मीटर है जिसे आप अपनी सुविधा अनुसार परिवहन के साधनों का चयन करके आसानी से कर सकते हैं|
चौथ माता का वाहन क्या है?
करवा चौथ से के दिन ही माता लक्ष्मी के वाहन उल्लू के पूजन का भी विधान है|
चौथ माता के कितनी सीढ़ियां हैं?
राजस्थान के सबसे बड़े चौथ माता मंदिर से रिपोर्ट:1000 फीट की ऊंचाई पर 570 साल पुराना मंदिर, 700 सीढ़ियां चढ़कर भक्त पाते हैं दर्शन चौथ माता के मंदिर की स्थापना राजा भीम सिंह ने कराई थी।
चौथ माता का मेला कब आता है?
चौथ माता मंदिर बरवाड़ा की स्थापना माघ मास कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को की गई थी। इसलिए माघ मास कृष्ण पक्ष को प्रतिवर्ष चौथ माता के मंदिर में मेले का आयोजन किया जाता है।