जगन्नाथ पुरी का मंदिर कहां पर है? जगन्नाथ पुरी मंदिर in hindi
जगन्नाथ पुरी मंदिर: हिंदुस्तान में उत्तर से दक्षिण तथा पूर्व से पश्चिम की यात्रा करने पर यह देखा जा सकता है कि हिंदुस्तान में अनेकों धर्म से जुड़े हुए प्राचीन तथा आधुनिक बहुत से मंदिर दिखाई पड़ते हैं जो कि भारत को एक धर्मनिरपेक्ष देश के तौर पर भी दर्शाते हैं।वैसे तो देश में अनेकों विश्व प्रसिद्ध मंदिर बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है. आज हम बात करेंगे जगन्नाथ पूरी मंदिर के बारे में जो कि सनातन धर्म के भगवान जगन्नाथ को समर्पित एक मंदिर है। मंदिर उड़ीसा राज्य के तटवर्ती शहर पूरी में स्थित है।इस शहर को जगन्नाथपुरी भी कहा जाता है।मंदिर के नाम की बात करें तो जगत का अर्थ संसार तथा नाथ का अर्थ स्वामी होता है इसीलिए इस मंदिर को संसार के स्वामी मंदिर के रूप में देखा जाता है।उड़ीसा राज्य का यह मंदिर सनातन धर्म के चारों धाम से जुड़ा एक विशेष स्थान है जो कि प्रश्न संप्रदाय का एक प्रमुख मंदिर है।आज के हमारे इस आर्टिकल में हम बात करेंगे मंदिर के इतिहास तथा मंदिर से जुड़े कुछ रोचक तथ्य और यहाँ की यात्रा के बारे में तो बने रहिये हमारे साथ इस लेख में…
मंदिर के बारे में संक्षिप्त जानकारी
आर्टिकल का नाम | जगन्नाथपुरी मंदिरJagannath Temple |
मंदिर का नाम | जगन्नाथपुरी मंदिर |
मंदिर का पता | Grand Rd, At post, Puri, Odisha 752001 |
मंदिर के मुख्य पुजारी एवं महराज | NA |
जिला | Puri |
राज्य | Odisha |
मंत्र | NA |
मंदिर की गूगल मैप लोकेशन | यहा क्लिक करे |
आधिकारिक वेबसाइट | NA |
मंदिर के फ़ोन नम्बर | 06752 222 829 |
गूगल लोकेशन | यह क्लिक करे |
जगन्नाथ पूरी मंदिर का इतिहास
हाल ही में प्राप्त हुए ताम्रपत्र से मंदिर के बारे में यह ज्ञात होता है कि वर्तमान मंदिर निर्माण का कार्य कलिंग राजा अनंतवर्मन चोडगंगदेव ने शुरू किया था। जगन्नाथ पुरी मंदिर के जगमोहन और विमान भाग इसी राजा के शासनकाल में बनाए गए थे जिसके बाद मंदिर का वर्तमान स्वरूप ओड़िया शासक आनंद भीम देव ने बनवाया था।मंदिर पर अफगान जनरल कालापहाड़ ने ओडिशा पर पर आक्रमण के समय जगन्नाथ पुरी के मंदिर को नष्ट किया तथा मंदिर में उपस्थित मूर्तियों को भी ध्वस्त कर दिया और मंदिर में होने वाली पूजा तथा आरतीयों को भी बंद करवा दिया था। जिस समय मंदिर के विग्रहों को गुप्त में चिलकी झील में स्थित एक दीप में रखा गया था बाद में राजा रामचंद्र देव खुर्दा ने स्वतंत्र राज्य स्थापना करने के बाद झील में स्थित मूर्तियों की स्थापना करवाई थी।
जगन्नाथ पुरी मंदिर से जुड़ी रोचक कथाएं | जगन्नाथ पुरी मंदिर के आश्चर्यजनक तथ्य
जगन्नाथ पुरी मंदिर के बारे में बहुत सी लोक कथाएं प्रचलित हैं जिनके अनुसार मंदिर में स्थित भगवान जगन्नाथ इंद्रनील या नीलमणि से निर्मित है। जो की एक अगरु के पेड़ के नीचे प्राप्त हुई थी।यह इतनी चकचौंध करने वाली थी, कि धर्म ने इसे पृथ्वी के नीचे छुपा ना चाहा।प्रचलित कथाओं के आधार पर कहा जाता है कि मालवा के शासक नरेश इंद्रद्युम्न को सपने में यह मूर्ति दिखाई दी थी जिसके बाद इंद्रदेव ने भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए बहुत लंबी तपस्या की थी और भगवान विष्णु उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर उन्हें बताया था कि वह पूरी के समुंदर तट पर जाएं और उन्हें एक लकड़ी प्राप्त होगी जिस लकड़ी से मूर्ति का निर्माण करवाएं यह सुनकर राजा ने ठीक वैसा ही किया जैसा भगवान विष्णु ने आदेश किया था।
जगन्नाथ पुरी मंदिर तथ्य |जगन्नाथ पुरी मंदिर का रहस्य | जगन्नाथ पुरी मंदिर in hindi
भगवान जगन्नाथ पुरी का मंदिर अनेकों प्रकार के रहस्यों से भरा पढ़ा है जिसको वैज्ञानिक भी नहीं समझ पाए और अभी तक इसके ऊपर रीसर्च कर रहें हैं।
जगनाथ पुरी मंदिर रोचक तथ्यों की बात करें तो बहुत से रोचक तथ्य हैं जगनाथ पुरी मंदिर के बारे में जैसे जगनाथ पुरी मंदिर का ध्वज हमेशा हवा के विपरीत दिशा में लहराता है। मंदिर की कभी परछाई नहीं बनती सुदर्शन चक्र हमेशा सामने ही दिखेगा। हवा हमेशा समुद्र से धरती की तरफ आती है पर जगनाथ पुरी मंदिर में इसका उल्टा होता है। जगनाथ पुरी मंदिर का रसोई घर दुनिया का सबसे बड़ा रसोई घर है।
जगन्नाथ पुरी मंदिर की विशेषता
जगन्नाथ पुरी मंदिर में भगवान जगन्नाथ भाई बालभद्र और बहन सुभद्रा की काठ (लकड़ी) की मूर्तियां है। जगन्नाथ मंदिर काठ की लकड़ियों से बना दुनिया का एक मात्रा मंदिर है।
जगन्नाथ पुरी मंदिर का निर्माण किसने करवाया
विश्वकर्मा ने बनाई थी जगन्नाथ मंदिर की मूर्ति जब राजा को यह लकड़ी प्राप्त हुई तो विश्वकर्मा प्रकट हुए और उन्होंने इस मूर्ति को बनाने की इच्छा जाहिर की तब राजा ने विश्वकर्मा के सामने शर्त रखी की मूर्ति को केवल एक माह में ही तैयार करके देना होगा. तब तक एक कमरे में बंद होंगे और इस दौरान राजा या कोई भी उस कमरे के अंदर नहीं आएगा।तब मूर्ति निर्माण के कार्य के लिए कमरे को बंद कर दिया गया जिसके बाद एक एक माह पूरा होने के अंतिम दिन तक कमरे से किसी भी तरह की आवाज ना आने पर राजा ने कमरे में झांका और वह कारीगर कमरा खोल कर कमरे से बाहर आ गया जिसके बाद राजा ने कहा कि अभी भगवान की मूर्ति अपूर्ण है जिसके बाद विश्वकर्मा ने कहा कि वह देवबस हुआ है।अब जिस स्थिति में तैयार है उसी स्थिति में मूर्ति को मंदिर में स्थापित किया जाएगा और वही हमेशा पूजनीय होगी जिसके बाद जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा की मूर्तियां मंदिर में उसी स्थिति में स्थापित कर दी गई।
समुद्र में बह कर आये थे जगन्नाथ पुरी भगवान यहाँ पर
चारण परंपरा के अनुसार इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि जब भगवान श्री कृष्ण का स्वर्गवास हुआ था तो उनके शव को समुद्र किनारे अग्नि के सुपुर्द कर दिया गया था जिसके बाद समुद्र में आए उफान के कारण सबको बहाकर पूरी नामक स्थान पर ले आया। जहां पूरी के राजा ने समुद्र से शव को प्राप्त कर अलग-अलग रथो में विराजमान करके नगर भ्रमण करवाया था तथा मूर्ति के साथ आए लकड़ी से ही पेति बनवा कर तीनों को मां धरती को समर्पित कर दिया गया था. तब से लेकर आज तक इस परंपरा को निभाया जाता है लेकिन इस परंपरा के बारे में ज्यादातर लोग नहीं जानते हैं. पूरी में भगवान श्रीकृष्ण जीवित पधारे थे अधिकतर लोगो को आज भी यही मानना है।
जगन्नाथ मंदिर की बनावट
जगन्नाथ पुरी मंदिर की बनावट के बारे में बात करें तो जगन्नाथपुरी का यह मंदिर 400000 वर्ग फुट में फैला हुआ है और चारों तरफ से चारदीवारी से घिरा हुआ एक विशाल मंदिर है।जगन्नाथपुरी मंदिर के निर्माण शैली के बारे में बात करें तो इस मंदिर का निर्माण कलिंग शैली में करवाया गया है जिसमें शिल्प कला के परिपूर्ण बहुत ही सुंदर कलाकारी दिखाई गई है।यह मंदिर हिंदुस्तान के भव्यतम स्मारकों में से एक स्थल है. मंदिर के शिखर पर भगवान विष्णु का सुदर्शन चक्र मंडित किया गया है।मंदिर एक वक्र रेखाकार के रूप में बनवाया गया है, इसे निलचक्र कहा जाता है।मंदिर के शीर्ष पर स्थित भगवान श्री कृष्ण का अष्टधातु का चक्र बहुत ही पवित्र मान गया है।जगन्नाथ पुरी मंदिर के मुख्य देवता के रूप में भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा मंदिर के मुख्य देवता है जिनकी रतन मंडित पत्थर के चबूतरे पर गर्भ ग्रह में स्थापित किया गया है।इतिहास के अनुसार इन मूर्तियों के बनावट के बारे में कहा जात है की इन मूर्तियों का निर्माण मंदिर निर्माण से बहुत पहले किया जा चुका था।ऐसा कहा जाता है कि यह मूर्तियां प्राचीन जनजातियों द्वारा पूजित रही होंगी।
जगन्नाथपुरी मंदिर में होने वाले पर्व और त्यौहार
जगन्नाथ पुरी मंदिर में वैसे तो अनेकों पर्व और त्योहार मनाए जाते हैं कुछ विशेष पर्व और त्यौहार भी है जो की बहुत ही धूमधाम से मंदिर में आयोजित होते हैं. इन त्योहारों में भगवान की रथ यात्रा जो हिंदी महीनों के अनुसार आषाढ़ शुक्ल पक्ष द्वितीय को लगता है जो कि जून तथा जुलाई में होती है, इस दौरान मंदिर के मुख्य मूर्तियों को सजावट करके शहर की यात्रा में घुमाया जाता है।
जगन्नाथ पुरी मंदिर कैसे पहुंचे
यदि आप उड़ीसा के जगन्नाथ पुरी मंदिर आने का विचार कर रहे हैं तो आपको बता दें की जगन्नाथ पुरी मंदिर के लिए आप अपनी सुविधा अनुसार रेल मार्ग, सड़क मार्ग तथा हवाई मार्ग की सहायता लेकर मंदिर की यात्रा बहुत आसानी से कर सकते हैं।
हवाई मार्ग से जगन्नाथ मंदिर पुरी puri odisha कैसे पहुंचे
यदि आप जगन्नाथ पुरी मंदिर हवाई मार्ग की सहायता लेकर आने पर विचार कर रहे तो आपको बता दे की मंदिर यात्रा के लिए आपको biju patnaik airport एयरपोर्ट की यात्रा करनी होगी जो कि मंदिर से मात्र 60 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. यहाँ से आप अपनी सुविधा के अनुसार कैब, टैक्सी की सहायता ले सकते हैं और मंदिर यात्रा कर सकते है।
रेल मार्ग से जगन्नाथ मंदिर पुरी कैसे पहुंचे
यदि आप जगन्नाथ पुरी मंदिर रेल मार्ग की सहायता लेकर आने का विचार कर रहे हैं तो आपको बता दें कि रेल मार्ग के जरिए आपको पूरी रेलवे स्टेशन की यात्रा करनी होगी जो कि मंदिर से मात्र 3.5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।यहाँ से आप मंदिर यात्रा के लिए कैब या टैक्सी की सहायता ले सकते है।
Frequently Ask question (FAQ)
Q.1 जगन्नाथ पुरी मंदिर मंदिर किस राज्य में स्थित है?
जगन्नाथ पुरी मंदिर भारत के उड़ीसा राज्य के पूरी में स्थित है। पूरा पता Grand Rd, At post, Puri, Odisha 752001 है।
Q.2 जगन्नाथ पुरी मंदिर का सबसे नजदीकी एअरपोर्ट कौनसा है ?
यदि आप जगन्नाथ पुरी मंदिर हवाई मार्ग की सहायता लेकर आने पर विचार कर रहे तो आपको बता दे की मंदिर यात्रा के लिए आपको biju patnaik airport एयरपोर्ट की यात्रा करनी होगी जो कि मंदिर से मात्र 60 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. यहाँ से आप अपनी सुविधा के अनुसार कैब, टैक्सी की सहायता ले सकते हैं और मंदिर यात्रा कर सकते है।
Q.3 जगन्नाथ पुरी मंदिर किस देवी– देवता को समर्पित है ?
मंदिर के मुख्य देवता के बारे में बात करे तो यहाँ के मुख्य देवता भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा, है जिनकी पूजा इस मंदिर में की जाती है।