चैत्र नवरात्रि कब है, पूजा कैसे करें | 9 देवी के नाम और उनकी पूजा की विधि व मन्त्र
Navratri Mata Ki Puja Kaise Kare :- नवरात्रि हिंदू देवी दुर्गा की पूजा के लिए समर्पित नौ दिनों का त्योहार है। इस दौरान लोग देवी से आशीर्वाद लेने के लिए विभिन्न अनुष्ठान और पूजा करते हैं। नवरात्रि में 9 दिनों की पूजा विधि और मंत्र |
चैत्र नवरात्रि कब है: -साल भर में चार मास चैत्र, आषाढ़, आश्विन और माघ इन चार मासों में नवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। लेकिन, इनमें से चैत्र और शारदीय नवरात्रि प्रमुख होते हैं। इस बार मार्च 22 से चैत्र या बासंतिक नवरात्र शुरू हो रहे हैं। चैत्र नवरात्रि 2023 मार्च 22 से शुरू होगा और 30 मार्च को समाप्त होगा
नवरात्रि में आप इस तरह कर सकते हैं माता की पूजा: नवरात्रि की पूजा कैसे करें
पूजा स्थल को साफ करें: पूजा स्थल को अच्छी तरह से साफ करें और इसे फूलों, रंगोली और रोशनी से सजाएं।
पूजा की थाली तैयार करें: एक थाली लें और उस पर एक नारियल, कुछ फूल, हल्दी, कुमकुम और एक दीया रखें।
मूर्ति स्थापित करें: पूजा के मंच पर देवी दुर्गा की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें।
दीया जलाएं: दीया और अगरबत्ती जलाएं।
मंत्रों का जाप करें: मां दुर्गा को समर्पित मंत्रों का जाप करते हुए पूजा की शुरुआत करें। आप दुर्गा चालीसा, दुर्गा सप्तशती या किसी अन्य दुर्गा मंत्र का जाप कर सकते हैं।
फूल चढ़ाएं: मंत्र बोलते हुए देवी को ताजे फूल चढ़ाएं।
प्रसाद चढ़ाएं: देवी को प्रसाद जैसे फल, मिठाई या कोई अन्य खाद्य पदार्थ चढ़ाएं।
पूजा समाप्त करें: अंत में, आरती करके पूजा समाप्त करें, इसके बाद भक्तों के बीच प्रसाद वितरित करें। नवरात्रि पूजन सामग्री लिस्ट 2023
कैसे करें व्रत-उपवास और माता जी की पूजा, नवरात्रि के दौरान इन बातों का रखें ध्यान
व्रत-उपवास करने और माता जी की पूजा करने के लिए निम्नलिखित टिप्स अपनाएं:
शुभ मुहूर्त का चयन करें: नवरात्रि के दौरान माता जी की पूजा के लिए शुभ मुहूर्त का चयन करें। इसके लिए पंडित या ज्योतिषी से सलाह लें या कैलेंडर के अनुसार दिन का चयन करें।
स्नान करें: नवरात्रि के दौरान उपवास करने से पहले स्नान करें और शुद्ध रहें।
सात्विक आहार का सेवन करें: नवरात्रि के दौरान सात्विक आहार का सेवन करें जैसे कि फल, सब्जियां, दूध, दही आदि। अन्न बहुत उपयोगी होता है इसलिए आप दूध और दही का सेवन भी कर सकते हैं।
रुद्राक्ष की माला पहनें: नवरात्रि के दौरान उपवास के समय रुद्राक्ष की माला पहनना शुभ माना जाता है।
पूजा के लिए स्थान तैयार करें: माता जी की पूजा के लिए एक शुद्ध स्थान तैयार करें और उसे सजाएं। यह स्थान शुद्ध होना चाहिए और पूजा के लिए सजाने के लिए फूल और धूप आदि का इस्तेमाल कर सकते है|
कैसे करें माता की चौकी की स्थापना
माता की चौकी स्थापित करने के लिए निम्नलिखित चरणों का पालन करें:
स्थान चुनें: पहले तो आपको उस स्थान का चयन करना होगा जहां आप माता की चौकी स्थापित करना चाहते हैं। इसके लिए आप किसी भी शुभ स्थान का चयन कर सकते हैं जैसे मंदिर, पूजा कक्ष या अपने घर का पूजा कमरा।
सामग्री का विनियोग: आपको माता की चौकी स्थापित करने के लिए विभिन्न सामग्री की आवश्यकता होगी जैसे थाली, रोली, मोली, कुमकुम, फूल, दीपक आदि। सभी यह सामग्री आपके पास उपलब्ध होनी चाहिए।
चौकी को स्थापित करें: चौकी को स्थापित करने के लिए सबसे पहले आपको थाली पर दीपक रखना होगा। इसके बाद थाली के ऊपर कुमकुम और रोली रखें और थाली के बाएं और दाएं ओर फूल रखें। अब थाली को आपके चयनित स्थान पर रखें और चौकी को थाली के ऊपर रखें। अब चौकी के चारों ओर मोली बांधें।
पूजा करें: माता की चौकी को स्थापित करने के बाद आपको उसे पूजना होगा।
नवदुर्गा के नौ रूप हैं:
- माँ शैलपुत्री
- माँ ब्रह्मचारिणी
- माँ चंद्रघंटा
- माँ कुष्मांडा
- माँ स्कंदमाता
- माँ कात्यायनी
- माँ कालरात्रि
- माँ महागौरी
- माँ सिद्धिदात्री की पूजा विधि
इन नौ देवियों की पूजा विधि इस प्रकार है:
नवरात्रि एक प्रसिद्ध हिंदू त्योहार है जो देवी दुर्गा की पूजा के लिए मनाया जाता है। इस त्योहार के दौरान, लोग मंदिरों में देवी की मूर्ति की पूजा करते हैं और घरों में धूम-धाम से इसका उत्सव मनाते हैं। नवरात्रि का उत्सव 9 दिन तक चलता है और हर दिन एक अलग-अलग रूप में देवी की पूजा की जाती है। नीचे नवरात्रि के 9 दिनों की पूजा विधि और मंत्र दिए गए हैं:
- दिन 1 – शैलपुत्री की पूजा विधि इस दिन शैलपुत्री माता की पूजा की जाती है। उन्हें शंख, चक्र, गदा और त्रिशूल जैसे आध्यात्मिक आयुधों से सजाया जाता है। शैलपुत्री की पूजा के दौरान निम्न मंत्र का जाप किया जाता है:मां शैलपुत्री: इस देवी को धन, समृद्धि और सुख-समृद्धि का दाता माना जाता है। उन्हें एक रुद्राक्ष माला से पूजा करें। देवी के सामने पुष्प चढ़ाएं और धूप दीप जलाएं।
वन्दे वांछितलाभाय चंद्रार्धकृतशेखराम्। वृषारूढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्।।
दिन 2 माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि :-
माँ ब्रह्मचारिणी देवी को समर्पित पूजा विधि निम्नलिखित रूप से है:
सामग्री:
- ब्रह्मचारिणी देवी की मूर्ति या फोटो
- लाल फूल, अखंड दिया, दूध, दही, शक्कर, घी, मिश्री, फल, नारियल और नए कपड़े
- शुद्ध जल, कलश, गंगाजल, अगरबत्ती, धूप, कंघी, कुमकुम और अभिषेक के लिए चमत्कारी तन्त्र मंत्र
पूजा विधि:
- पूजा के लिए एक शुद्ध स्थान चुनें और उसमें ब्रह्मचारिणी देवी की मूर्ति या फोटो को स्थापित करें।
- उसके बाद, जल कलश को स्थापित करें और उसमें गंगाजल डालें।
- अब शुद्ध जल को कलश में डालें और उसमें कुमकुम डालें।
- अब एक फूल लाल रंग से रंग दें और कलश पर रखें।
- अब दीपक का अगरबत्ती जलाएं और धूप लगाएं।
- फिर ब्रह्मचारिणी देवी के नाम का मंत्र उच्चारण करें और उसके बाद उसे धूप से समर्पित करें।
- अब फल, नारियल और नए कपड़े को देवी को अर्पित करें।
- अब दूध, दही, शक्कर देवी को अर्पित करें
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दिन 3 माँ चंद्रघंटा की पूजा विधि
माँ चंद्रघंटा देवी, नवरात्रि के तीसरे दिन की पूजा की जाती है। यह दिन माता कालरात्रि से संबधित है जो कि बहुत ही महत्वपूर्ण है। नीचे दी गई है माँ चंद्रघंटा की पूजा की विधि:
सामग्री:
- माँ चंद्रघंटा की मूर्ति
- दीपक और घी
- पुष्प
- अक्षत
- नारियल
- धूप
- गंगाजल
पूजा की विधि:
- पूजा का आरंभ करने से पहले, सभी सामग्री को एक स्थान पर रखें।
- मूर्ति के सामने अपनी बैठक ले और अपनी आसन को पूर्णतया साफ़ करें।
- पूजा का आरंभ करने के लिए दीपक जलाएं और माँ चंद्रघंटा की पूजा के लिए अपने मन में संकल्प लें।
- अक्षत को माँ चंद्रघंटा के चरणों पर रखें और मांसिक सुख समृद्धि के लिए इसका विसर्जन करें।
- अब धूप जलाएं और घी का दीपक जलाएं।
- पुष्पों को माँ चंद्रघंटा के चरणों पर रखें।
- नारियल को माँ चंद्रघंटा के सामने रखें और इसका विसर्जन भी करें।
- अंत में, गंगाजल से माँ चंद्रघंटा क
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दिन 4 माँ कुष्मांडा की पूजा विधि
माँ कुष्मांडा देवी हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण देवी माता हैं। वह दुर्गा, काली, चंडी और शक्ति की रूप में जानी जाती हैं। माँ कुष्मांडा की पूजा भारतीय संस्कृति में एक महत्वपूर्ण पूजा है। माँ कुष्मांडा की पूजा विधि इस प्रकार है:
सामग्री:
- माँ कुष्मांडा की मूर्ति या तस्वीर
- दीपक
- घी
- बत्ती
- सुगंधित धूप
- पुष्प (फूल)
- फल
- प्रसाद (मिठाई)
पूजा की विधि::
- सबसे पहले, माँ कुष्मांडा की मूर्ति या तस्वीर को साफ सुथरा करें और उसे पूजा स्थल पर रखें।
- अपने मन को शुद्ध करने के लिए ध्यान धरें और आत्मीय शांति के लिए प्रार्थना करें।
- अब, दीपक जलाएं और घी डालें।
- दीपक के सामने माँ कुष्मांडा की मूर्ति को रखें और सुगंधित धूप जलाएं।
- फल और पुष्प चढ़ाएं और प्रसाद के रूप में मिठाई भोग लगाएं।
- माँ कुष्मांडा के मंत्रों का जाप करें और अपने जीवन में शुभ कामनाएं करें।
- इसके बाद, पूजा को समाप्त करने के लिए माँ कुष्मांडा की कृपा की आशीर्वाद प्रार्थना करें।
यह पूजा विशेष अवसरों पर जैसे नवरात्रि, दुर्गा पर ही की जाती है :
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दिन 5 माँ स्कंदमाता की पूजा विधि :-
माँ स्कंदमाता की पूजा हिंदू धर्म में बहुत महत्वपूर्ण है। इस पूजा के द्वारा हम माँ स्कंदमाता को अपनी भक्ति और समर्पण का अर्पण करते हैं और उनसे आशीर्वाद मांगते हैं। निम्नलिखित है माँ स्कंदमाता की पूजा विधि:
सामग्री:
- माँ स्कंदमाता का मूर्ति या फोटो
- चौकोर आसन
- फूल, दीपक और अर्घ्य पात्र
- अखंड दिया
- चांदी का कलश, गंगाजल और पंचामृत
पूजा विधि:
- सबसे पहले, चौकोर आसन पर माँ स्कंदमाता की मूर्ति या फोटो रखें।
- फूल, दीपक और अर्घ्य पात्र उपलब्ध होने पर, फूलों की माला लें और माँ को उसे अर्पित करें। उसके बाद, दीपक जलाएं और माँ के चरणों में अर्घ्य दें।
- अब, चांदी का कलश लें और उसे गंगाजल से भर दें। उसके बाद, पंचामृत जैसे दूध, दही, घी, मधु और शहद को इसमें मिलाएं।
- अब, माँ स्कंदमाता के चरणों में पंचामृत का अर्पण करें।
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दिन 6 माँ कात्यायनी की पूजा विधि
माँ कात्यायनी देवी को मां दुर्गा की एक रूप भी माना जाता है और यह पूजा नवरात्रि के दूसरे दिन के रूप में भी जानी जाती है। माँ कात्यायनी की पूजा के लिए निम्नलिखित विधि का पालन किया जा सकता है:
सामग्री:
- माँ कात्यायनी की मूर्ति या फोटो
- रोली, अक्षत, कुमकुम, लाल फूल, गंध, दीपक, नरियल
- पूजा की थाली
- कलश, नारियल, पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, गंगाजल), फूल
- पूजन स्थल, आसन
विधि:
- पूजन स्थल पर चौकी लगाएं और आसन विस्तार करें।
- थाली पर माँ कात्यायनी की मूर्ति या फोटो रखें।
- मूर्ति या फोटो के सामने रोली, अक्षत, कुमकुम, लाल फूल, गंध, दीपक आदि रखें।
- अपने हाथों में फूल लेकर माँ कात्यायनी की पूजा के लिए संकल्प लें।
- एक कलश में नारियल रखें और उसमें पंचामृत डालें।
- फूलों से कलश को सजाएं और उसे माँ कात्यायनी की पूजा के लिए प्रस्तुत करें।
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दिन 7 माँ कालरात्रि की पूजा विधि निम्नलिखित रूप से है:
सामग्री:
- माँ कालरात्रि के मूर्ति या फोटो
- दीपक, माचिस, कुमकुम, चावल, हल्दी, फूल, फल, नारियल
- शंख और घंटा
- गंगा जल और जल कलश
- पूजा की थाली
- माला
पूजा की विधि:
- पूजा स्थल की तैयारी: पूजा स्थल को साफ-सुथरा और शुद्ध करें। उसमें पूजा की थाली रखें और उसमें चावल, हल्दी, कुमकुम, फूल और फल रखें। माँ कालरात्रि की मूर्ति या फोटो के सामने दीपक रखें।
- पूजा का आरंभ: पूजा का आरंभ घंटा बजाकर करें। फिर माँ कालरात्रि के नाम से उसकी आराधना करें और उसे नमस्कार करें।
- शोधस्नान: अब माँ कालरात्रि के लिए शुद्ध जल से शोधस्नान कराएं। इसके बाद प्रतिष्ठापन मंत्र का उच्चारण करें और माँ कालरात्रि की मूर्ति पर चावल, कुमकुम और हल्दी चढ़ाएं।
- पूजा का अर्चन: अब माँ कालरात्रि को दीपक जलाकर अर्चन करें। इसके बाद माँ कालरात्रि के लिए फूल, फल और नारियल चढ़
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दिन 8 माँ महागौरी की पूजा विधि
माँ महागौरी नवरात्रि के नौ दिवसों में दो दिनों तक पूजी जाती है। इस दिन मां भगवती की पूजा के लिए निम्नलिखित विधि का पालन कर सकते हैं:
सामग्री:
- माँ महागौरी की मूर्ति
- गंध
- अक्षत
- दीप
- पुष्प
- फल
- पानी
- दूध
- घी
- शहद
- दूर्वा ग्रास
- कलश
- चांदी का चमचमाता या कुंडल
पूजा विधि:
- पूजा के लिए एक साफ स्थान चुनें और उस पर अपनी पूजा सामग्री रखें।
- साफ-सुथरी वस्तुओं का उपयोग करें और अपने हाथ धो लें।
- माँ महागौरी की मूर्ति के सामने बैठें।
- अक्षत के बदले माँ को अर्पण करें और उसे पूजन के लिए तैयार करें।
- माँ को गंध और पुष्पों से धूप दें।
- दीपक का जल लगाएं और माँ को उसकी ज्योति से पूजें।
- माँ को फल, पानी, दूध, घी, शहद, दूर्वा ग्रास और कलश से पूजें।
- मंत्रों के साथ माँ की पूजा करें और उसे प्रणाम करें।
- अंत में, माँ महागौरी को चांदी के चमचमाते या कुंडल से सज
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दिन 9 माँ सिद्धिदात्री की पूजा विधि
माँ सिद्धिदात्री हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण देवी हैं। वे शक्ति के देवी हैं जो समस्त सिद्धियों की प्राप्ति करने में सक्षम हैं। उन्हें सिद्धिदात्री के नाम से जाना जाता है क्योंकि वे अपने भक्तों को सभी सिद्धियों की प्राप्ति देती हैं। नीचे दी गई है माँ सिद्धिदात्री की पूजा विधि:
सामग्री:
- मूर्ति या छवि माँ सिद्धिदात्री की
- अगरबत्ती, धूप, दीपक
- फूल, अक्षता, सिंदूर, हल्दी, चावल, सुहागा, पंचामृत (दूध, दही, शहद, घी और गंगाजल)
- पूजा थाली, कपड़ा, नारियल, मिठाई
पूजा विधि:
- सबसे पहले, एक शुभ मुहूर्त पर माँ सिद्धिदात्री की मूर्ति या छवि के सामने एक थाली रखें।
- अगरबत्ती और धूप को जलाकर आरती करें।
- माँ सिद्धिदात्री के चरणों को अक्षता चढ़ाएं। उन्हें सुहागा और सिंदूर से सजाएं।
- माँ सिद्धिदात्री को फूल चढ़ाएं।
- माँ सिद्धिदात्री की पूजा के लिए पंचामृत तैयार करें।
यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि पूजा एक बहुत ही व्यक्तिगत अनुभव है और इसे करने के लिए कोई कठिन और तेज़ नियम नहीं हैं। आप अपने तरीके से और अपने रीति-रिवाजों से भी माता की पूजा कर सकते हैं। नवरात्रि की पूजा कैसे करें