mahashivratri kyon manae jaati hai: महाशिवरात्रि हिन्दू धर्म का एक पवित्र त्योहार है । हिंदू धर्म के अनुसार मुख्य रुप से तीन देवता हैं और तीनों के काम अलग-अलग हैं । पहले देवता के रूप में ब्रम्हा जी जोकि इस सृष्टि की रचना करते हैं दूसरे देवता भगवान विष्णु हैं जो इस सृष्टि के पालनकर्ता हैं और तीसरे देवता के रूप में भगवान शिव को माना जाता है जिनका दायित्व संहार करने का है। महाशिवरात्रि का पर्व इन्हीं भगवान शिव से जुड़ा हुआ है । धर्म के अनेक ग्रंथों , अनेक पुस्तकों में महाशिवरात्रि के बारे में वर्णन किया गया है । तमाम विद्वान और धार्मिक ग्रंथ महाशिवरात्रि के मनाये जाने के अलग अलग कारण बताते हैं । यदि आप भी महाशिवरात्रि के मनाने के कारण के बारे में जानना चाहते हैं तो बने रहिए हमारे साथ इस आर्टिकल में .. यहां हम बात करेंगे हिंदू धर्म में मनाए जाने वाले अलग अलग कारणों के बारे में..
महाशिवरात्रि मनाने के धार्मिक कारण
mahashivratri kyon manane ke karan: हिंदू धर्म में मनाए जाने वाले सभी त्योहारों का कोई न कोई एक विशेष कारण होता है । जैसे दीवाली का संबंध भगवान राम से है होली का संबंध हिरणाकश्यप से है , ठीक इसी प्रकार महाशिवरात्रि का संबंध भगवान शिव से है । महाशिवरात्रि मनाने के संबंध में तीन प्रमुख धार्मिक कथाएं प्रचलित हैं ।
१- शिव पार्वती विवाह
धर्म की पौराणिक और धार्मिक मान्यता के अनुसार फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था । इसी विवाह के उपलक्ष्य में लोग इसी दिन महाशिवरात्रि का पर्व मनाते हैं । महाशिवरात्रि को भगवान शिव और पार्वती के महा मिलन दिवस के रूप में भी मनाते हैं । इस दिन भगवान शिव का विधिवत पूजन करने से उन्हें जल्दी प्रसन्न किया जा सकता है , शिव भक्तों की ऐसी मान्यता है । धर्म के आधार पर महाशिवरात्रि मनाने का सबसे प्रबल कारण यही है । इस दिन भगवान शिव की पूजा करने से विवाह में आ रही समस्याओं से लाभ मिलता है । यदि किसी भी महिला या पुरुष का विवाह नहीं हो रहा है तो उसे महाशिवरात्रि के दिन विधिपूर्वक भगवान शिव व मां पार्वती की पूजा करनी चाहिए ।
२ – शिवलिंग के स्वरूप को धारण करना
एक और पौराणिक मान्यता के अनुसार भगवान शिव की आराधना के लिए महाशिवरात्रि का पर्व इसलिए मनाया जाता है क्योंकि इसी दिन भगवान शिव 64 जगहों पर विभिन्न लिंगों में प्रकट हुए थे । हालांकि अभी तक 64 लिंगो की पहचान नहीं हो सकी है । अभी तक केवल 12 ज्योतिर्लिंगों को खोजा गया है । जिन पर भारत के अलग अलग जगहों पर विशाल मंदिर बनाए गए हैं । जहां हजारों की संख्या में लोग भगवान शिव के इस स्वरूप के दर्शन करने पहुंचते हैं । इन सभी मंदिरों पर महाशिवरात्रि को विशाल मेले का भी आयोजन किया जाता है ।
३- समुद्र मंथन में विष पीना
कुछ धार्मिक ग्रंथ महाशिवरात्रि को मनाने का कारण समुद्र मंथन में विष का पीना बताते हैं । इसके पीछे एक कहानी आती है कि देवासुर संग्राम के समय जब देवताओं और दैत्यों ने मिलकर समुद्र मंथन किया तो समुद्र से कई अमूल्य चीजें प्राप्त हुई । समुद्र से लक्ष्मी , धन , अमृत और अन्य ढेर सारी चीजें प्राप्त हुई । जिसमें से देवताओं व दैत्यों ने एक एक चीज बारी बारी से मिलकर बांट लिया । और अधिक समुद्र को मथने से अंत में विष का प्याला निकला जिसे देखकर सभी लोग डर गए । देवताओं और दैत्यों में से कोई भी उस विष का प्याला पीने के लिए तैयार नहीं हुआ । कहा जाता है वह विष का प्याला इतना खतरनाक था अगर प्रथ्वी पर गिर जाता तो सारी सृष्टि का विनास हो जाता । सृष्टि के विनास को सोचकर देवता व राक्षस एक साथ ब्रम्हा जी के पास गए लेकिन उनके पास भी इस समस्या का कोई सटीक समाधान नहीं था । इसलिए ब्रह्म जी , देवता और राक्षस ये सभी एक साथ मिलकर भगवान शिव के पास पहुंचे । भगवान शिव ने यह पीड़ा समझकर खुद विष का प्याला पी लिया । तभी से भगवान शिव के भक्त महाशिवरात्रि का त्योहार शिव के इस दयालु स्वभाव के कारण मनाते हैं । हिंदू धर्म में ऐसी मान्यता है कि शिव जी ने विष का प्याला फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी के दिन ही पिया था । इसलिए इसी दिन महाशिवरात्रि का त्यौहार मनाया जाता है।
महाशिवरात्रि मनाने के वैज्ञानिक कारण
भगवान शिव को शक्ति का दूसरा रूप बताया जाता है । यही कारण है धार्मिक ग्रंथों के अनुसार भगवान शिव को संहार करने का दायित्व मिला है । अपनी शक्ति के दम पर भगवान शिव अधर्म को हराकर धर्म की विजय करा देते हैं । शक्ति का ऐसे स्वरूप भगवान शिव की आराधना व पूजा करने का सबसे उपयुक्त समय महाशिवरात्रि को माना जाता है । शिव के भक्त व धर्म और शास्त्रों को जानने वाले लोग बताते हैं कि महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव की पूजा करने से असीम पुण्य की प्राप्ति होती है । इसके पीछे सिर्फ धार्मिक कारण ही नहीं अपितु एक ठोस वैज्ञानिक कारण भी है । वैज्ञानिक महत्व के अनुसार महाशिवरात्रि के दिन ग्रह का उत्तरी गोलार्द्ध इस प्रकार से व्यवस्थित हो जाता है कि इंसान के अंदर की ऊर्जा स्वयमेय ऊपर की ओर बहने लगते है। आपको बता दें अंदर की ऊर्जा को ऊपर की ओर करने के लिए साधु सन्यासी वर्षों तपस्या करते हैं । लेकिन महाशिवरात्रि के दिन यह सब प्राकृतिक रूप से ही होता है । महाशिवरात्रि के दिन प्रकृति स्वयं मनुष्य को आध्यात्मिक रूप से मुक्त कराने का प्रयास करती है। इसलिए जो भी शिव भक्त अथवा आध्यात्मिक व्यक्ति इस दिन भगवान ऊर्जा कुंज के साथ सीधे बैठकर भगवान शिव की आराधना व पूजा करता है । उसे एक सुपर नेचुरल पावर का एहसास होता है । यदि आप भी विज्ञान को मानते हैं तो महाशिवरात्रि के दिन इस तथ्य की जांच कर सकते हैं ।
महाशिवरात्रि मनाने के आध्यात्मिक कारण
महाशिवरात्रि के दिन सुबह से ही लोग शिव के प्रति आसक्त हो जाते हैं । शिव के प्रति भक्तों की अपार आस्था उन्हें समाज और अन्य सभी तरह के मोह से अलग कर देती है । आध्यात्म का अर्थ सही मायने में अपनी आत्मा को जानना होता है । चूंकि हर इंसान आज अपने अपने माया जाल में फंसा हुआ है । हमारी दुनिया की स्ट्रक्चर इतना जटिल हो गया है कि आज इस दुनिया के मोह माया से निकल पाना इंसान के बस से बाहर की बात है । इसी लिए महाशिवरात्रि पर भारत भर के विभिन्न राज्यों के अलग अलग मंदिरों पर हजारों की संख्या में लोग भगवान शिव का ध्यान करते हैं । भारत के प्रसिद्ध आध्यात्मिक वक्ता सद्गुरु महाशिवरात्रि के बारे में बताते हैं कि महाशिवरात्रि की अकेली रात मनुष्य के शरीर को संपूर्ण बनाने की शक्तिशाली संभावना प्रदान करती है। सद्गुरु कहते हैं कि फाल्गुन महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी की रात महीने की सबसे अंधेरी रात होती है । इसे सब शिवरात्रि कहते हैं जिसमें शिव का अर्थ सृष्टि के ठीक विपरीत होता है अर्थात जो नहीं है वह सब शिव है । इसलिए इस रात को शिव का पूजन करने से , शिव की स्तुति करने से , शिव की आराधना करने से कोई भी इंसान दुनिया के मोह बंधन से छुटकारा पा सकता है ।
Frequently Ask Questions ( FAQ)
1- महाशिवरात्रि क्यों मनाई जाती है ?
महाशिवरात्रि को मनाने के पीछे विभिन्न पौराणिक ग्रंथ बताते हैं कि इसी दिन भगवान शिव व पार्वती का मिलन हुआ था । महाशिवरात्रि मनाने के पीछे धर्म ग्रंथ कुछ और कारण जैसे इसी दिन भगवान शिव का लिंग के रूप में पृथ्वी पर अवतरित होना तथा इसी दिन भगवान शिव का समुद्र मंथन के दौरान विष का पीना बताते हैं ।
2- महाशिवरात्रि मनाने के पीछे वैज्ञानिक कारण क्या है ?
वैज्ञानिक महत्व के अनुसार महाशिवरात्रि के दिन ग्रह का उत्तरी गोलार्द्ध इस प्रकार से व्यवस्थित हो जाता है कि इंसान के अंदर की ऊर्जा स्वयमेय ऊपर की ओर बहने लगते है। आपको बता दें अंदर की ऊर्जा को ऊपर की ओर करने के लिए साधु सन्यासी वर्षों तपस्या करते हैं । लेकिन महाशिवरात्रि के दिन यह सब प्राकृतिक रूप से ही होता है ।
3- महाशिवरात्रि मनाने का आध्यात्मिक कारण क्या है?
भारत के प्रसिद्ध आध्यात्मिक वक्ता सद्गुरु महाशिवरात्रि के बारे में बताते हैं कि महाशिवरात्रि की अकेली रात मनुष्य के शरीर को संपूर्ण बनाने की शक्तिशाली संभावना प्रदान करती है।
4- शिवरात्रि व महाशिवरात्रि में क्या अंतर है ?
महाशिवरात्रि भगवान शिव की आराधना करने का सबसे उपयुक्त समय होता है । यह हर साल एक बार आती है जबकि शिवरात्रि वर्ष में 12 बार आती है । भगवान शिव के भक्त प्रत्येक शिव रात्रि को अपनी आस्था के अनुसार पूजन व व्रत रखते हैं । महाशिवरात्रि पर लगभग सभी लोग जो भगवान शिव को मानते हैं वे पूजन व व्रत रखते हैं।
5- महाशिवरात्रि कब मनायी जाती है ?
महाशिवरात्रि का त्योहार हर वर्ष हिंदी पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाता है । अंग्रेजी कैलेंडर की तिथियां प्रतिवर्ष बदलती रहती हैं । आने वाली 2023 में महाशिवरात्रि का त्योहार 18 फरवरी को मनाया जाएगा ।
mahashivratri kyon manae jaati hai