महाशिवरात्रि कैसे मनाते हैं? महाशिवरात्रि पर पूजा करने के क्या ‌नियम हैं?

By | February 5, 2023

Mahashivratri Kaise Manae Jaati Hai

maha shiv ratri

mahashivratri kaise manaya jata hai; महाशिवरात्रि हिन्दू धर्म में मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण त्योहार है । इस दिन सभी हिंदू धर्म को मानने वाले लोग भगवान शिव की आराधना करते हैं । महाशिवरात्रि मनाने के बहुत सारे धार्मिक , पौराणिक व वैज्ञानिक कारण हैं । धर्म को मानने वाले लोग मानते हैं इस दिन भगवान शिव की आराधना करने से भूत-भावन भोलेबाबा अति शीघ्र प्रसन्न हो जाते हैं तथा भक्तों को इच्छित वर प्रदान करता हैं । यदि आप भी जानना चाहते हैं कि महाशिवरात्रि पर भगवान शिव के पूजन की सबसे अच्छी विधि क्या है अथवा आप महाशिवरात्रि पर भगवान शिव की आराधना करना चाहते हैं तो बने रहिए हमारे साथ इस आर्टिकल में 

परमतत्व की चाहत करने वाले सभी लोगों के लिए महाशिवरात्रि बहुत महत्वपूर्ण है। मेरी कामना है कि यह रात आपके चैतन्य-जागृति की रात बन जाए।
– सद्‌गुरु

महाशिवरात्रि कैसे मनाते हैं? Mahashivratri Kaise Manaya Jata Hai

1- महाशिवरात्रि पर व्रत रखें

महाशिवरात्रि पर भगवान शिव को प्रसन्न करने का सबसे आसान और प्रभावी तरीका उनका व्रत करना है । भगवान शिव के प्रति श्रद्धा भाव रखते हुए जो भी भक्त महाशिवरात्रि पर व्रत रखता है हिन्दू धर्म के पौराणिक ग्रंथों के अनुसार भगवान शिव प्रसन्न होकर उसे इच्छित वर देते हैं । महाशिवरात्रि पर व्रत रखने की हिंदू धर्म के धार्मिक ग्रंथ गरुण पुराण में आती है । ग्रूम पुराण में महाशिवरात्रि व्रत के बारे में लिखा है महाशिवरात्रि के एक दिन पहले यानि फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष कि त्रयोदशी को शिव जी की विधिवत पूजा करनी चाहिए और अगले दिन व्रत रहने का संकल्प लेना चाहिए । भगवान शिव का ध्यान करना चाहिए । जब अगला दिन आए जिस दिन चतुर्दशी होती है अर्थात महाशिवरात्रि होती है उस दिन पूरा दिन भर निराहार रहना चाहिए । भगवान शिव का गंगा जल से अभिषेक करना चाहिए । उनका पूजन अर्चन करना चाहिए और उनके प्रति श्रद्धा का भाव रखना चाहिए । 

2- ऊं नमः शिवाय का पाठ करें 

महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव के मंदिर पर जाकर भगवान शिव के लिंग को गंगाजल से स्नान कराते हुए ऊं नमः शिवाय का जाप करना चाहिए । महाशिवरात्रि के दिन जब भी खाली टाइम मिले ऊं नमः शिवाय का जाप करना चाहिए । ऐसी मान्यता है कि ऊं नमः शिवाय भगवान शिव का सबसे प्रिय मंत्र है और महाशिवरात्रि सबसे प्यारी रात ! इसलिए इन दोनों के संयोग से निश्चित ही भक्त को बहुत प्रभावी फल मिलते हैं |

3- ब्राम्हणों को दान दें 

हिंदू धर्म के शास्त्रों के अनुसार महाशिवरात्रि में दान की बहुत महिमा है । महाशिवरात्रि पर व्रत रखकर ब्राह्मणों को दान देना चाहिए । अगर आपके घर के आस पास कोई गाय रहती है तो उसको हरा चारा अवश्य खिलाना चाहिए । महाशिवरात्रि पर ब्राम्हणों को दिया गया दान और गाय को खिलाया गया हरा चारा अत्यंत शुभ फल देता है। 

4- माथे पर त्रिपुंड लगाएं

महाशिवरात्रि पर भगवान शिव का पूजन व अभिषेक करने से पूर्व अपने मस्तक पर चंदन का त्रिपुंड अवश्य लगाएं । धर्म के पौराणिक ग्रंथों के अनुसार ऐसी मान्यता है कि बिना माथे पर त्रिपुंड लगाए भगवान शिव का अभिषेक पूर्ण फल नहीं देता है । इसीलिए आपने देखा होगा भगवान शिव के हर बड़े से बड़े मंदिर में पूजन करने से पूर्व वहां के पुजारी भक्तों के माथे पर त्रिपुंड लगाते हैं।

5- बेल पत्र चढ़ाएं

भगवान शिव पर तीन पत्ती वाले बिना कटा छटा बेलपत्र चढ़ाने चाहिए । शिव पुराण की एक कथा के अनुसार एक शिकारी जो शिकार करने के लिए एक जंगल गया हुआ था । रात में वह बेल पत्र के पेड़ पर जा बैठा। उसके पेड़ पर बैठने से बेल के पेड़ से रात भर बेल पत्र नीचे गिरते रहे । पेड़ के नीचे भगवान शिव का एक लिंग था ।भगवान शिव के लिंग पर बेल पत्र गिरने से भगवान शिव प्रसन्न हो गए और उस शिकारी के आगे प्रकट हो गए। इस तरह वो शिकारी मोक्ष पा गया । इस कहानी से तात्पर्य यह है कि भगवान शिव का बेल पत्र से बहुत गहरा संबंध है। इसलिए महाशिवरात्रि पर भगवान शिव को बेल पत्र अवश्य समर्पित करें ।

6- महाशिवरात्रि पर चढ़ाए अक्षत 

भगवान शिव की पूजा में अक्षत का विशेष महत्व है । अक्षत चावलों को कहते हैं । भगवान शिव के मंदिर में हमेशा ऐसे चावल चढ़ाने चाहिए जो कहीं से भी टूटे न हों । शिव लिंग पर अटूट अक्षत चढ़ाने से आर्थिक विकास होता है । यदि संभव हो तो पीले वस्त्र धारण करके अक्षत चढ़ाएं।

7- गंगाजल से करें शिव का अभिषेक 

भगवान शिव की जटाओं में मां गंगा का निवास है । ऐसी मान्यता है कि जब भागीरथ मां गंगा को लेने स्वर्ग पहुंचे तो मां गंगा ने कहा कि मैं जब प्रथ्वी पर सबसे पहले पहुंचूंगी तो प्रथ्वी मेरी थपेड़ सह नहीं पाएगी । इस विचार से सभी देवता परेशान होकर भगवान शिव के पास पहुंचे तो भगवान शिव ने अपनी जटाओं पर मां गंगा से उतरने के लिए कहा। इसलिए मां गंगा सबसे पहले भगवान शिव की जटाओं पर आईं उसे बाद प्रथ्वी पर आईं। इसलिए भगवान शिव के मंदिर पर अभिषेक हमेशा गंगा जल से करना चाहिए । यदि गंगाजल न उपलब्ध हो तो स्वच्छ पानी का भी प्रयोग कर सकते हैं । कई भक्त भगवान शिव को दूध भी चढ़ाते हैं । लेकिन दूध चढ़ाते समय हमेशा इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि दूध उबला हुआ , अथवा गर्म नहीं होना चाहिए। भगवान शिव पर हमेशा कच्चा दूध ही चढ़ता है । 

8 – महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें –

महामृत्युंजय जाप अत्यंत प्रभावशाली है । हिंदू धर्म में ऐसी मान्यता है कि यदि किसी व्यक्ति को खतरा हो और वैदिक ज्ञान के द्वारा उस खतरे को जान लिया जाए तो उसके काट के लिए महामृत्युंजय मंत्र का जाप ही काम आता है । यह एक ऐसा मंत्र है यदि इसका ठीक प्रयोग किया जाए तो मरणासन्न व्यक्ति के भी प्राणों की रक्षा कर देता है । महाशिवरात्रि पर भगवान शिव के मंदिर में महामृत्युंजय का जाप अत्यंत लाभकारी है । महामृत्युंजय का जाप करते समय एक बात का ध्यान रखना चाहिए कि इस मंत्र का जाप केवल रुद्राक्ष की माला पर ही करना चाहिए । 

9- घर पर सत्संग रखें –

महाशिवरात्रि के अवसर पर भगवान शिव के भक्त पूरी रात पर शिव भजन करते हैं । देश भर के बड़े-बड़े मंदिरों पर लोग हजारों की संख्या में इकट्ठे होते हैं । महाशिवरात्रि के अवसर पर भगवान शिव का भजन और सत्संग करने भोले बाबा प्रसन्न होते हैं । इसलिए यदि संभव हो तो महाशिवरात्रि के अवसर पर पास के मंदिर अथवा अपने घर पर अपनी सुविधा के अनुसार भगवान शिव का सत्संग करें।

10- सिद्ध मंदिर में जाएं 

महाशिवरात्रि के अवसर पर यदि संभव हो अपने घर के आस पास किसी सिद्ध मंदिर में अवश्य जाएं । यह और भी अच्छा होगा कि पूजन की ऊपर बताई विधियां भी आप सिद्ध मंदिर में ही करें । भगवान शिव के प्राचीन और सिद्ध मंदिर पर जाने का लाभ यह होता है कि वहां भगवान शिव की चेतना से अन्य जगहों की अपेक्षा आप आसानी के साथ जुड़ पाएंगे। 

11- भगवान शिव से क्षमा मांगे

भगवान शिव का पूजन अर्चन करने के बाद सच्चे मन से महाशिवरात्रि के अवसर पर भगवान शिव का ध्यान करें। हम सब इंसानों से गलतियां अक्सर होती रहती हैं । इसलिए इंसान को गलतियों का पुतला कहा जाता है । भूत काल में जाने अनजाने हुई सारी गलतियों के लिए भगवान शिव से क्षमा मांगे । भगवान शिव को दया का सागर कहा जाता है। इसलिए भक्तों द्वारा की गई प्रार्थना को सबसे जल्दी भगवान शिव ही सुनते हैं। अपनी गलतियों का पश्चाताप करने के लिए ईश्वर सबसे उपयुक्त सहारा होता है। इसलिए बिना किसी झिझक के भगवान शिव की प्रार्थना करें। वैदिक ग्रंथों में भी प्रार्थना को बहुत अधिक महत्व दिया गया है । 

Frequently Ask Questions ( FAQ)

1- महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव की पूजा कैसे करें?

महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव की पूजा स्नान ध्यान करके हाथ में अक्षत व गंगाजल लेकर शिवलिंग का अभिषेक करें । इसके बाद ऊं नमः शिवाय मंत्र का जाप करें । 

2- भगवान शिव का सबसे शक्तिशाली मंत्र कौन सा है?

भगवान शिव के सभी मंत्र शक्तिशाली हैं। लेकिन उन सबमें महामृत्युंजय मंत्र की महिमा सबसे अधिक है । यदि इस मंत्र का उपयोग सावधानी व सही से किया जाए तो कोई भी व्यक्ति जो मरणासन्न अवस्था में है उसे बचाया जा सकता है। 

3- भगवान शिव का सबसे आसान मंत्र कौन सा है ?

भगवान शिव के भक्त पूरी दुनिया में हैं । वैदिक काल से ही भगवान शिव की पूजा करने के लिए भिन्न भिन्न मंत्रों का प्रयोग होता है लेकिन एक मंत्र जो आसानी के साथ हर कोई जप सकता है वह है ऊं नमः शिवाय ! यह मंत्र छोटे बच्चे से लेकर बूढ़ा बुजुर्ग हर कोई ले सकता है । 

4- भगवान शिव से क्षमा मांगने का मंत्र कौन सा है ?

भगवान शिव बड़े दयालु हैं । अपने भक्तों की मन की बातें जानकर वे खुद ही उन्हें क्षमा कर देते हैं  । वैदिक ग्रंथों वह संस्कृत की पुस्तकों में उनसे क्षमा मांगने के कई मंत्र हैं ।यदि आप मंत्र के माध्यम से उनसे क्षमा मांगना चाहते हैं तो इस मंत्र का उपयोग कर सकते हैं –

आह्वानं ना जानामि, ना जानामि तवार्चनम, पूजाश्चैव न जानामि क्षम्यतां परमेश्वर:।

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