Holi kaise manate hain: होली हिंदुओं का मनाया जाने वाला सबसे अधिक प्रसिद्ध त्यौहार है । इसे रंगो के त्यौहार के रूप में भी जाना जाता है । होली की तैयारी एक सप्ताह पहले ही पूरे भारत भर के हिंदुओं के घर प्रारंभ हो जाती हैं । बच्चे बूढ़े और जवान सभी मिलकर पूरा साल इस त्योहार का इंतजार करते हैं। क्योंकि हमारा भारत बहुत बड़ा देश है और इस देश में विभिन्न संस्कृतियों और विभिन्न विचारधारा को मानने वाले लोग रहते हैं इसलिए होली का त्यौहार भी भारत भर में कई स्थानों पर अलग-अलग रीति-रिवाजों के माध्यम से मनाया जाता है और हर जगह पर मनाई जाने वाली होली का अपना अलग महत्व है। अगर होली मनाने की पारंपरिक तथा धार्मिक विधि पर बात करें तो इसे मनाने के बारे में विभिन्न धार्मिक पुस्तकों में कई विधियां प्रचलित है। लेकिन सर्वाधिक जगहों पर होली का त्यौहार दो दिनों का होता है । इस हिसाब से पहले दिन होलिका का दहन होता है तथा दूसरे दिन लोग रंग खेलते हैं तथा एक दूसरे के घर जाकर आपस में गले मिलते हैं तथा बड़े बुजुर्गों का आशीर्वाद लेते हैं। कुछ विशेष स्थानों को छोड़कर बाकी सभी जगह इसी तरीके से होली मनाई जाती है। शाम को होलिका जलाने के बाद दूसरे दिन लोग एक दूसरे के घर जाकर बड़े बूढ़ों के पैर छूते हैं तथा उनका आशीर्वाद लेते हैं ऐसी मान्यता है होली के त्यौहार पर लोग आपसी मन भेद व मतभेद को खत्म कर देते हैं तथा सभी बैर भाव भुला कर पुनः नए रिश्तो की शुरुआत करते हैं । होलिका दहन के बाद खेला जाने वाला अमीर गुलाल रंग भाईचारे का प्रतीक होता है तथा आपस के रिश्तो में सद्भाव स्थापित करता है ।
हिंदुओं का यह पारंपरिक त्यौहार प्रत्येक वर्ष हिंदी कैलेंडर के अनुसार फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार इसकी तिथियां प्रतिवर्ष बदलती रहती हैं अंग्रेजी कैलेंडर के हिसाब से होली का त्यौहार हर साल लगभग मार्च के महीने में मनाया जाता है । अगर आप भी होली मनाने की विधियों के बारे में जानकारी चाहते हैं तो इस पूरी जानकारी को हम इस आर्टिकल में …
1- होलिका दहन होली कैसे मनाएं? holi kaise manae jaati hai
होली मनाने का सबसे पहला पड़ाव होलिका दहन से शुरू होता है । एक पौराणिक कथा के अनुसार होलिका भक्त प्रहलाद की बुआ थी जो कि छल से प्रहलाद को आग में जलाकर मारना चाहती थी तथा भगवान विष्णु जिनका प्रहलाद अनन्य भक्त था उन्होंने होलिका को खत्म कर दिया था इसलिए हर वर्ष होली अधर्म पर धर्म की विजय के लिए मनाई जाती है तथा इस दिन होलिका का पुतला जलाया जाता इसलिए पौराणिक मान्यता के अनुसार होली मनाने से पहले होलिका दहन करना बहुत आवश्यक है। होलिका दहन करने के लिए सबसे पहले आपको होलिका जलाने के लिए लकड़ियां इकट्ठी करनी होंगी । जब लकड़ियां और जलने वाला ईंधन इकट्ठा हो जाए तो तो उन्हें एक ढेर पर रखकर इकट्ठा कर लें। होलिका दहन करने के लिए सूखी लकड़ियां और जो भी धन आग में आसानी के साथ जल जाता है जैसे गोबर के कंडे याद उपयोग किए जाते हैं । जब होलिका दहन के लिए उपयुक्त तथा पर्याप्त मात्रा में ईंधन इकट्ठा हो जाए तो होलिका का पुतला उस ईंधन पर रखें। तथा होलिका के पुतले के साथ साथ उस लकड़ी और इंधन के ढेर पर ज्वलनशील उत्प्रेरक पदार्थ जिनसे की आग अत्यधिक आसानी के साथ जल जाती है उन्हें उस ढेर में डालें । जलन सील पदार्थों में मिट्टी का तेल डीजल पेट्रोल आदि का उपयोग किया जा सकता है। यह ज्वलनशील पदार्थ इसलिए डालने आवश्यक हो जाते हैं जिससे आग आसानी के साथ जलने लगे।
होलिका दहन से पहले महत्वपूर्ण बातें
होलिका दहन करने से पहले कुछ बातों की जानकारी कर लेना बहुत आवश्यक है ।
- होलिका दहन हमेशा सावधानीपूर्वक करना चाहिए। होलिका उस स्थान पर रखें जिसके आसपास कोई भी अन्य जलने की चीज हिना मौजूद है जिससे की आग किसी भी चीज के लिए कोई खतरा न बन सके।
- होली का त्यौहार आपसी भाईचारे तथा सद्भाव के त्यौहार के रूप में मनाया जाता है । इसलिए जब भी होलिका का दहन करें तो उससे पहले आसपास के रिश्तेदारों तथा आसपास के दोस्तों और परिवार के लोगों को एक पास इकट्ठा कर ले उसके बाद ही होलिका जलाएं। जिससे आपस में प्रेम और सद्भाव बना रहे ।
- होलिकादहन देखते वक़्त भगवान विष्णु का स्मरण करते रहें। होलिका दहन में उपयोग किए जाने वाले मंत्रों को पढ़ते रहें। होलु से संबंधित अनेक मंत्रों को भारतीय वैदिक संस्कृत स्त्रोत ऋग्वेद में पाया गया है। बुरी आत्माओं को अपने से दूर भगाने के लिए आग के चारों ओर नृत्य करते हुए और मंत्रों का उच्चारण करते हुए होलिकादहन का आनंद लें।
- आप चाहें, तो इन मंत्रों को ऑनलाइन भी खोज सकते हैं या फिर बाज़ार में मौजूद ऋग्वेद की किताब खरीद कर ला सकते हैं।
2- रंग खेलना होली कैसे मनाएं?
होलिका दहन के बाद अगले दिन सुबह से ही रंग खेला जाता है। बच्चे बूढ़े और जवान सभी लोग आपस में रंग खेलते हैं। एक दूसरे को रंग लगाते हुए आपसे प्रेम और सद्भाव को दर्शाते हैं। इसलिए होलिका दहन के बाद आप भी अपने परिवार दोस्तों रिश्तेदारों के घर गए और बड़े ही श्रद्धा से उन्हें रंग लगाएं। ऐसी धार्मिक मान्यता है कि रंग लगाने से रिश्तो में प्रीति व सद्भाव बढ़ता है। होली में रंग खेलने के लिए अक्सर अमीर गुलाल का प्रयोग किया जाता है और इसी को शुभ में माना जाता है । अमीर अभ्रक के छोटे-छोटे टुकड़ों से मिलकर के बनाया जाता है तथा यह होली के समय आसानी के साथ मार्केट में मौजूद दुकानों से मिल जाता है। लोग अमीर गुलाम को मिलाकर लोगों की चेहरे पर लगाते हैं तथा यह गुलाल होली के त्यौहार को और अधिक उल्लास के साथ भर देता है। भारत के विभिन्न संस्थानों में नौकरी करने वाले लोग कॉलेज में पढ़ने वाले छात्र गांव के स्कूलों में पढ़ने वाले छोटे-छोटे बच्चे यह सभी होली के समय इन रंगों का उपयोग करके अपनी दोस्ती को अक्षुण्ण रखने का संकल्प लेते हैं तथा आपस में गले मिलते हैं।
रंग खेलने से पहले ध्यान रखने योग्य महत्वपूर्ण बातें
- जब भी हम मार्केट में किसी भी दुकान पर रंग खरीदने जाएं तो हमें इस बात को ध्यान रखना चाहिए कि मार्केट से खरीदा गया रंग त्वचा के लिए हानिकारक नहीं होना चाहिए ।
- आज कल मार्केट में ऐसे भी रंग चले हैं जो कि चावल की आंटे से अथवा अन्य खाद्य सामग्रियों से बनाए जाते हैं इसलिए आप इनका भी उपयोग कर सकते हैं।
- एक दूसरे को रंग लगाते समय हमें इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि किसी भी ऐसे व्यक्ति को नहीं लगाना चाहिए जिससे रंग से परहेज हो । होली आपसी प्रेम और सद्भाव का त्यौहार है इसलिए किसी को जबरदस्ती रंग लगाना बिल्कुल भी उचित नहीं है।
- कई जगहों पर ऐसा भी प्रचलन है कि होली के दिनों में लोगों के कपड़े तक फाड़ दिए जाते हैं। यह प्रथा अत्यंत गलत है इसलिए जहां तक हो सके ऐसे काम करने से बचें।
- कभी-कभी लोगों को रंग लगवाना पसंद नहीं होता है लेकिन सामने वाला रंग लगा देता है तो आपस में लड़ाई झगड़ा हो जाता है। यदि आपके साथ भी ऐसा होता है और आप भी रंग लगवाना पसंद नहीं करते तो होली के दिन यदि संभव हो तो आप घर से बाहर ना निकले।
3- होली मिलन कैसे मनाएं?
होलिका दहन और रंग खेलने के बाद का जो सबसे महत्वपूर्ण कार्यक्रम होता है वह होली मिलन का होता है। रंग खेलने के दो-तीन घंटे के बाद लोग अच्छे से साफ सफाई और नहा धोकर नए कपड़े पहनते हैं तथा एक दूसरे के घर जाकर बड़े बुजुर्गों का आशीर्वाद लेते हैं और उनके गले लगते हैं। इसलिए यह कार्यक्रम सद्भाव और प्रेम की दृष्टि से अत्यंत शुभ होता है । इसीलिए रंग खेलने के बाद आपको अपने आसपास परिवार के लोगों के घर तथा रिश्तेदार और समाज के अन्य लोगों के घर जाकर होली मिलना चाहिए ।
होली मिलने से पूर्व ध्यान रखने योग्य महत्वपूर्ण बातें
- जैसा कि हमें पता है होली प्रेम और सद्भाव का त्यौहार है तथा इसे अधर्म पर धर्म की जीत के अवसर और यादगार के लिए मनाया जाता है। इसलिए होली पर हमें सभी पुराने मन मुटाव जोकि हमारे आसपास और हम से संबंधित लोगों के बीच हुआ करते हैं उन्हें भुलाकर एक नए साल की शुरुआत के रूप में मनाना चाहिए।
- होली मिलन के अवसर पर अपने घर पर आने वाले लोगों को को खिलाने के लिए पारंपरिक व्यंजन और पारंपरिक मिठाइयों को बनवाएं तथा बाहर से खरीद करके लाएं। ऐसी मान्यता है कि होली के दिन अपने परिवार रिश्तेदार और आसपास के लोगों को मीठा खिलाने से आपसी रिश्ता और अधिक सुदृढ तथा मजबूत हो जाता है।
- होली का त्यौहार इसलिए भी मनाया जाता है कि हम जिन लोगों से साल भर में किसी भी मनमुटाव के द्वारा अलग हो जाते हैं उनके और अपने मध्य इस भेदभाव को दूर कर सकें। इसलिए होली के त्यौहार पर जिनसे भी आप का लड़ाई झगड़ा या कुछ भी मनमुटाव को उनके घर भी आपको जाना चाहिए इससे हमारा चार दिनों का जीवन और अधिक सुखी और सद्भाव पूर्ण व्यतीत होगा।