बद्रीनाथ मंदिर का इतिहास और जानकारी | History of badrinath temple in hindi

By | February 20, 2023

Badrinath Mandir ka itihas

Badrinath Mandir ka itihas: बद्रीनाथ मंदिर विष्णु भगवान का एक प्रसिद्ध मंदिर है । सनातन धर्म की मान्यता के अनुसार चार प्रमुख मंदिर में से बद्रीनाथ का विशेष महत्व है। यदि आप भी बद्रीनाथ मंदिर घूमना चाहते हैं अथवा मंदिर के बारे में जानकारी पाना चाहते हैं तो बने रहिए हमारे साथ आज हम इस आर्टिकल के माध्यम से आपके साथ Badrinath Mandir ka itihas और Badrinath Mandir ki jankari साझा करेंगे।

बद्रीनाथ मंदिर का इतिहास Badrinath Mandir ka itihas

बद्रीनाथ मंदिर अत्यंत प्राचीन मंदिर है। इस मंदिर के निर्माण का कार्य नौंवी शताब्दी में पूरा हुआ था। उस समय के आदि शंकराचार्य ने बद्रीनाथ का तीर्थ स्थल के रूप में विकसित कराया था। ऐसी मान्यता है कि आदि शंकराचार्य को भगवान विष्णु की एक सिद्ध मूर्ति किसी पहाड़ पर मिली थी जिसके बाद वह निरंतर पूरे भारत भर में अच्छी जगह की खोज करते घूम रहे थे जहां पर वह उस मूर्ति को स्थापित कर पाते । धीरे-धीरे घूमते घूमते वह उत्तराखंड के चमोली जनपद के एक पर्वत श्रृंखला पर पहुंचे जहां उन्होंने देखा कि दो पर्वतों के बीच एक बहुत अच्छी जगह है इसलिए उसी स्थान को आदि गुरु शंकराचार्य ने भगवान विष्णु के मूर्ति स्थापित कर दी और तभी से बद्रीनाथ मंदिर में पूजन अर्चन का कार्य प्रारंभ हो गया । नवी शताब्दी से लेकर आज तक बद्रीनाथ मंदिर में हजारों की संख्या में भक्त प्रतिदिन दर्शन करने के लिए जाते हैं ।

बद्रीनाथ मंदिर किसने बनवाया था? History of badrinath temple in hindi

बद्रीनाथ मंदिर इतना अधिक प्राचीन है कि इसके बारे में कोई लिखित साक्ष्य पूरी तरीके से विवरण नहीं देता है । नवी शताब्दी में जब आदि गुरु शंकराचार्य जी ने इस मंदिर का लोकार्पण किया उसके बाद 16 वीं शताब्दी में गढ़वाल के राजा ने उसी जगह पर मंदिर का निर्माण कर दिया। जहां बद्रीनाथ जी का मंदिर है वह स्थान अत्यंत दुर्गम है तथा पहाड़ों के बीच है इसलिए कई बार भूस्खलन और भूकंप आदि के प्रकोप के कारण मंदिर में टूट-फूट भी आई और मंदिर में कई बड़े-बड़े जीर्णोद्धार किए गए हैं। मंदिर के आस पास अक्सर हिमस्खलन हो जाता है। 17 वीं शताब्दी में पुनः गढ़वाल के एक राजा ने इस मंदिर को विस्तारित रूप दिया था। 17 वीं शताब्दी के बाद मंदिर काफी लोकप्रिय हो गया था लेकिन दुर्भाग्यवश सन 1803 में हिमालय में बहुत तेज भूकंप आया जिसके फलस्वरूप बद्रीनाथ मंदिर का पूरा किनारा भूकंप की चपेट में आ गया । भूकंप के बाद क्षतिग्रस्त मंदिर का निर्माण और उसकी मरम्मत का काम जयपुर के एक राजा ने करवाया था ।

बद्रीनाथ मंदिर मंदिर खुलने का समय 

बद्रीनाथ मंदिर सुबह 4:30 बजे खुल जाता है और यह रात को 9:00 बजे तक खुला रहेगा मंदिर दोपहर में 1:00 से 4:00 के बीच बंद होता है।  कभी-कभी मौसम और परिस्थितियों के कारण नवंबर से अप्रैल के बीच मंदिर को बंद कर दिया जाता है ।

बद्रीनाथ मंदिर का महत्व 

सनातन धर्म के अनुसार बद्रीनाथ मंदिर का विशेष महत्व प्राप्त है । वेद और पौराणिक ग्रंथों के अनुसार पूरे भारत में चार धाम विष्णु जी को समर्पित है –

पूर्व में – जगन्नाथ पुरी धाम (उड़ीसा)

पश्चिम में- द्वारिकाधीस मंदिर ( गुजरात)

उत्तर में- बद्रीनाथ धाम ( उत्तराखंड)

दक्षिण में- रामेश्वरम धाम ( तमिलनाडु)।

  • उत्तर में स्थित भगवान विष्णु के इस महत्वपूर्ण धाम के बारे में मान्यता है कि अन्य तीनों धामों की यात्रा करने के बाद स्थान की यात्रा करना सर्वाधिक फल देता है ऐसी भी मान्यता है कि यदि पूरे भारत भर की यात्रा कर ली जाए लेकिन बद्रीनाथ मंदिर की यात्रा न की जाए तो यात्रा का फल अधूरा रहता है। 
  • बद्रीनाथ मंदिर में लोग अपने पूर्वजों का पिंडदान करते हैं इसके पीछे एक मान्यता है कि पांडवों ने अपने पूर्वजों का पिंडदान इसी स्थान पर किया था। ऐसे मान्यता है कि यहां अपने पूर्वजों का पिंडदान करने से पितर अतिशीघ्र तर जाते हैं। 
  • हिंदू धर्म की पौराणिक मान्यता के अनुसार पृथ्वी पर वैकुंठ लोक और कोई नहीं बद्रीनाथ मंदिर ही है। इसके पीछे ऐसी भी मान्यता है कि भगवान विष्णु 6 महीने सृष्टि का संचालन करते हैं तथा शेष 6 महीने इसी बद्रीनाथ में मां लक्ष्मी के साथ विश्राम करते हैं। 

बद्रीनाथ जाने से पहले महत्वपूर्ण बिंदु

यदि आप बद्रीनाथ मंदिर की यात्रा हाल फिलहाल में करना चाहते हैं तो मंदिर जाने से पहले आपको कुछ महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखना जरूरी है जो आप के सफर में आपके काम आएगी।

  • बद्रीनाथ मंदिर उत्तराखंड में पहाड़ों के बीच स्थित है इसलिए वहां पर हमेशा सर्दी पड़ती है।  इसलिए मंदिर घूमने का सबसे अच्छा समय मई से अप्रैल अथवा सितंबर अक्टूबर ही है क्योंकि इसके बाद अधिक सर्दी अथवा अधिक बरसात में वहां यात्रा करना अत्यंत दुष्कर है ।
  • बद्रीनाथ मंदिर जाने से पहले आपको अपने साथ गर्म कपड़े अवश्य ले जाना चाहिए क्योंकि बद्रीनाथ मंदिर के आसपास का तापमान रात के समय में काफी कम हो जाता है इसलिए यदि आप अपने साथ ऊनी कपड़े ले जाएंगे तो आपको रात्रि में आसानी रहेगी ।
  • यदि आप बद्रीनाथ मंदिर की यात्रा पर जाना चाहते हैं तो यह जानकारी आवश्यक रूप से ले लेनी चाहिए कि वहां शराब और मांसाहार पर पूरी तरीके से प्रतिबंध है । 
  • बद्रीनाथ मंदिर के अंदर किसी भी तरह की फोटोग्राफी मंदिर प्रशासन की ओर से प्रतिबंध लगाया गया है। 
  • बद्रीनाथ मंदिर जमीन कल से काफी ऊपर बना है इसलिए अक्सर वहां जाने वाले यात्री मंदिर के ऊपर पहुंच कर आग सीजन की कमी से बीमार महसूस करते हैं तो था कभी-कभी चक्कर भी आ जाता है इसलिए आप तभी बद्रीनाथ मंदिर जहां जब पूरी तरीके से स्वस्थ हों तथा यह भी सलाह दी जाती है कि मंदिर जाने से पूर्व एक बार चिकित्सक से अपनी जांच अवश्य करा लें ।

बद्रीनाथ मंदिर के रोचक तथ्य 

1- बद्रीनाथ मंदिर में कभी भी संत नहीं बजाया जाता इसके पीछे मान्यता है कि भगवान विष्णु ने इस स्थान पर मां लक्ष्मी के लिए शंखचूड़ नामक एक राक्षस का वध किया था । मां लक्ष्मी को उस निशाचर की याद न आए इसलिए बद्रीनाथ मंदिर में शंख नहीं बजाया जाता है।

2- बद्रीनाथ मंदिर 6 महीने खुला रहता है 6 महीने बंद रहता है इसके पीछे का कारण यह है कि भगवान विष्णु 6 महीने सृष्टि का पालन करते हैं तथा 6 महीने आराम करते हैं। ।

3- आदि गुरु शंकराचार्य ने इस मंदिर का उत्तरदायित्व दक्षिण के ब्राह्मणों के हाथ में दे दिया था इसलिए तब से लेकर आज तक ऐसी परंपरा चली आ रही है कि बद्रीनाथ मंदिर का पुजारी केरल का ही ब्राह्मण होता है।

4- बद्रीनाथ धाम के अंदर एक कुंड है जिसमें खौलता हुआ पानी देखा जा सकता है लेकिन वास्तविक रूप में वह पानी गर्म नहीं होता है लोग उसी से स्नान भी करते हैं ।

बद्रीनाथ मंदिर कैसे जाएं?

  • बद्रीनाथ मंदिर हवाई जहाज से कैसे जाएं- हवाई जहाज से मंदिर की यात्रा करने के लिए आपको बद्रीनाथ के सबसे नजदीक के हवाई अड्डे जाली ग्रांट हवाई अड्डे पर उतरना होगा । जोकि बद्रीनाथ मन्दिर से 314 किमी की दूरी पर है। जहां से बद्रीनाथ के लिए सीधे टैक्सी मिल जाएगी।
  • बद्रीनाथ मंदिर  रेलमार्ग से कैसे जाएं – रेलमार्ग से बद्रीनाथ मंदिर जाने के लिए आपको अपने आस पास के किसी स्टेशन से ऋषिकेश रेलवे स्टेशन का टिकट लेना होगा। हालांकि ऋषिकेश की बद्रीनाथ से दूरी भी 295 किमी है । लेकिन ऋषिकेश से बद्रीनाथ के लिए यातायात के साधन हमेशा उपलब्ध रहते हैं । 
  • बद्रीनाथ मंदिर  सड़क मार्ग से कैसे जाएं – बद्रीनाथ मंदिर जाने के लिए सड़क की बहुत अच्छी व्यवस्था है । दिल्ली के आनंद विहार और कश्मीरी गेट बस अड्डे से सीधी बसें बद्रीनाथ तक आती है । बद्रीनाथ के लिए राष्ट्रीय राजमार्ग 58 को गाजियाबाद से सीधे जोड़ा गया है।

Frequently Ask questions ( MCQS)

1- बद्रीनाथ मंदिर किस नदी पर स्थित है?

बद्रीनाथ मंदिर अलकनंदा नदी के किनारे पर्वत श्रंखलाओं के बीच स्थित है। 

2- बद्रीनाथ मंदिर क्यों प्रसिद्ध है?

हिंदू धर्म के चार प्रमुख मंदिरों में से एक होने के कारण बद्रीनाथ मंदिर विश्व भर में प्रसिद्ध है । बद्रीनाथ मंदिर को भारत के सबसे महत्वपूर्ण मंदिरों में से एक माना जाता है । हजारों की संख्या मे लोग यहां प्रतिदिन आते हैं।

3- बद्रीनाथ मंदिर में कौन भगवान हैं?

बद्रीनाथ मंदिर भगवान विष्णु का निवास स्थान माना जाता है । भगवान विष्णु हर साल 6 महीने सृष्टि का संचालन करते हैं तथा 6 महीने विश्राम करते हैं। ऐसा माना जाता है कि भगवान विष्णु के विश्राम के 6 महीने बद्रीनाथ मंदिर में ही बीतते हैं।

4- चार धाम कौन से हैं ?

सनातन धर्म के अनुसार बद्रीनाथ मंदिर का विशेष महत्व प्राप्त है । वेद और पौराणिक ग्रंथों के अनुसार पूरे भारत में चार धाम विष्णु जी को समर्पित है –

पूर्व में – जगन्नाथ पुरी धाम (उड़ीसा)

पश्चिम में- द्वारिकाधीस मंदिर ( गुजरात)

उत्तर में- बद्रीनाथ धाम ( उत्तराखंड)

दक्षिण में- रामेश्वरम धाम ( तमिलनाडु)।

5- बद्रीनाथ मंदिर में मुख्य पुजारी कौन है?

बद्रीनाथ मंदिर के मुख्य पुजारी श्री ईश्वर प्रसाद नंबूदरी जी हैं। ऐसी मान्यता है कि आदि गुरु शंकराचार्य ने इस मंदिर का उत्तरदायित्व दक्षिण के ब्राह्मणों के हाथ में दे दिया था इसलिए तब से लेकर आज तक ऐसी परंपरा चली आ रही है कि बद्रीनाथ मंदिर का पुजारी केरल का ही ब्राह्मण होता है।

6- बद्रीनाथ मंदिर की खोज किसने की थी ?

बद्रीनाथ मंदिर की खोज नौवीं शताब्दी में आदि गुरु शंकराचार्य जी ने किया था ।

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