अम्बामाता मन्दिर उदयपुर (Ambamata Temple Udaipur)
अम्बामाता मन्दिर उदयपुर: राजस्थान में हजारों की संख्या में सनातन धर्म से जुड़े देवी-देवताओं के प्राचीन मंदिर स्थित है. इन मंदिरों के साथ ही राजस्थान में वीर सपूतों के इतिहास से जुड़ी इमारतें भी स्थित है जो कि राजस्थान के गौरवशाली इतिहास को आज तक जीवित रखने में सफल हुई है. राजस्थान वैसे तो एक रेतीला प्रदेश है किंतु यहां का इतिहास यहां का खानपान तथा यहां का पहनावा और यहां की हस्तशिल्प कला देश और दुनिया में अपनी अलग ही पहचान रखती है, जिसके कारण हर वर्ष लाखों की संख्या में पर्यटक राजस्थान भ्रमण करने के लिए आते हैं और यहां की कला संस्कृति इतिहास को देखकर आनंदीत महसूस करते हैं|
भारत में हमेशा से ही महिलाओं को माता के रूप में पूजनीय स्थान दिया जाता है और हम नवरात्रि के समय में मां दुर्गा के नौ अवतारों की पूजा करते हैं, जो कि यह दर्शाता है कि सनातन धर्म में महिला को देवी का स्थान दिया गया है. राजस्थान में वैसे तो आनेको देवियों के मंदिर स्थित हैं, किंतु राजस्थान के उदयपुर शहर में अम्बामाता मन्दिर (Ambamata Temple) स्थित है जो कि अपने इतिहास अपनी बनावट तथा अपनी जटिल नक्काशी दार बनावट के कारण अपनी अलग ही पहचान रखता है. यदि आप राजस्थान के किसी भी शहर की यात्रा करते हैं तो आपको उदयपुर शहर में स्थित अम्बामाता मन्दिर (Ambamata Temple) की यात्रा आवश्यक रूप से करनी चाहिए. अम्बामाता मन्दिर (Ambamata Temple) की यात्रा आपको राजस्थान प्रदेश की यात्रा को यादगार बनाने में सहायता कराएगी. आपको बताते चलें कि राजस्थान के उदयपुर शहर में स्थित अम्बामाता मन्दिर (Ambamata Temple) का निर्माण 961 ईसवी में हुआ था. इस मंदिर को 10 वीं सदी का सबसे अच्छा संरक्षित मंदिर माना जाता है|
अम्बामाता मन्दिर (Ambamata Temple Udaipur ) जिस गांव में स्थित है उस गांव को राजस्थान का खजुराहो माना जाता है. मंदिर में मां दुर्गा की शक्ति के रूप में देवी अंबिका की पूजा की जाती है, जो की शक्ति का एक स्रोत कहा जाता है. आज हमारे इस आर्टिकल में हम आपको मंदिर के इतिहास, वास्तुकला, शिल्पकला तथा बनावट के बारे में संपूर्ण जानकारी उपलब्ध करवाने की कोशिश करेंगे जिससे कि आपको मंदिर की यात्रा करने मैं किसी भी समस्या का सामना ना करना पड़े|
मंदिर का फोन नंबर- NA
फेशबुक – NA
मंदिर का पूरा पता – HMJ7+FM3, Shavri Colony, Udaipur, Rajasthan 3130011
मंदिर की रेलवे स्टेशन से दूरी- 7.2 KM
बस स्टेशन से दूरी – 6.3 KM
अम्बामाता मन्दिर का इतिहास (Ambamata Temple History In Hindi)
जब भी हम किसी स्थान विशेष पर भ्रमण के लिए जाते हैं तो हम उस स्थान के बारे में, वहां से जुड़ी हुई समस्त जानकारी जुटाने की कोशिश करते हैं, जिससे हमें उस स्थान विशेष के बारे में पता चलता है और यदि हम जिस स्थान पर जा रहे हैं उसके बारे में हमें जानकारी उपलब्ध होती है तो वहां की सभी चीजों को देखने का हमारा नजरिया कुछ अलग हो जाता है. इसीलिए यदि हम किसी भी ऐतिहासिक यह धार्मिक स्थल पर घूमने जाते हैं तो हमें उसके इतिहास के बारे में जान लेना चाहिए. यदि आप राजस्थान के उदयपुर शहर में स्थित जगत मंदिर अर्थात अम्बामाता मन्दिर (Ambamata Temple) भ्रमण के लिए आ रहे हैं तो आपको बता दें कि इस मंदिर का निर्माण 961 ईसवी में हुआ था, जिसमें एक प्रार्थना हॉल, मां दुर्गा की प्रारूप देवी अंबिका की प्रतिमा, मंडप, एक छोटा बरामदा, कई खिड़कियां तथा नक्काशी द्वारा बनाई गई है. इस मंदिर की निर्माण पिरामिड शैली में निर्माण हुआ है|
मंदिर की इतिहास की जब हम बात करते हैं तो कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण महाराजा राज सिंह ने करवाया था.
कहा जाता है कि महाराणा राज सिंह को आंखों की बीमारी थी जिसको राजवैद्य भी ठीक करने में असमर्थ थे, जिसके बाद महाराजा राज सिंह को यह सलाह दी गई कि वह गुजरात की एक अर्बुनदछा पहाड़ी पर स्थित अंबिका माता के मंदिर जाकर दर्शन करें और इसी वजह से महाराजा राज सिंह गुजरात पहुंचे थे, जिससे महाराजा राज सिंह को रात में मंदिर से जुड़े कुछ सपने आने लगे, जिसमें मां अंबा ने राज सिंह से यह कहा था कि उदयपुर में एक मंदिर का निर्माण करवाया जाए और इसीलिए महाराणा राज सिंह ने 961 में अर्बुनदछा पहाड़ी अम्बामाता मन्दिर (Ambamata Temple) का निर्माण करवाया था|
अम्बामाता मन्दिर की वास्तु कला (Ambamata Temple Architecture In Hindi)
जब भी हम किसी प्राचीन धार्मिक स्थल या ऐतिहासिक इमारत का भ्रमण करते हैं तो हम उस स्थान विशेष की बनावट को देखकर आश्चर्यचकित रह जाते हैं, उस बनावट को ही वहां की वास्तुकला कहते हैं. उदयपुर शहर के अम्बामाता मन्दिर (Ambamata Temple) की वास्तुकला की बात करें तो इस मंदिर की वास्तुकला बहुत ही जबरदस्त है. मंदिर का निर्माण पिरामिड शैली में किया गया है, जिसमें प्रवेश मंडप, मुख्य मंदिर के मध्य खुला आंगन, प्रवेश मंडप से मुख्य मंदिर करीब 50 फीट की दूरी पर स्थित है. मंदिर के सभा मंडप का बाहरी भाग दिगपाल, सुरसुंदरी तथा विभिन्न वीणा धारिणी सरस्वती तथा विविध देवी देवताओं की सैकड़ों मूर्तियों से सुसज्जित किया गया है.
मंदिर के पिछले भाग में एक ताक में महिषासुर की प्रतिमा भी अपना विशेष स्थान रखती है. मंदिर के उत्तर एवं दक्षिण भाग में भी अनेकों रूपों में भगवान और देवी देवताओं की मूर्तियां स्थापित की गई है.अम्बामाता मन्दिर (Ambamata Temple) की दीवारों पर ऊपर से नीचे की तरफ कीचक मुख गंज श्रंखला की कारीगरी दिखाई पड़ती है. मंदिर की मूर्तियां नीले हरे रंग के पत्थर में बनाई गई है, जो कि मनमोहक दृश्य उपस्थित करती हैं|
मंदिर के गर्भ ग्रह की परिक्रमा के लिए सभा मंडप के दोनों और छोटे-छोटे प्रवेश द्वार बनाए गए हैं जिससे कि मंदिर के गर्भ ग्रह की परिक्रमा आसानी से की जा सकती है|
(Ambamata Temple) अम्बामाता मन्दिर घूमने का उपयुक्त समय
यदि आप राजस्थान प्रदेश के किसी भी शहर विशेष की यात्रा के लिए आ रहे हैं तो आपको बता दें कि राजस्थान एक रेतीला प्रदेश है, जहां पर अधिकांश समय गर्मी का मौसम रहता है और इस दौरान राजस्थान में तापमान 40 डिग्री से भी ऊपर चला जाता है और तेज गर्म धूल भरी आंधियां चलती है, जिससे राजस्थान की यात्रा बिल्कुल भी सहज नहीं होती है. इसीलिए यदि आप राजस्थान की यात्रा करना चाहते हैं तो आपको अक्टूबर से मार्च के बीच के समय का चयन करना चाहिए, इस दौरान राजस्थान में कुछ ही समय पहले बारिश हुई होती है जिससे चारों तरफ हरियाली रहती है और अक्टूबर से मार्च के समय के बीच राजस्थान में सर्दी का माहौल रहता है, इससे आपकी यात्रा के दौरान आपको किसी प्रकार की समस्या का सामना नहीं करना पड़ेगा और आप आसानी से अम्बामाता मन्दिर (Ambamata Temple) की यात्रा कर सकेंगे.
कैसे पहुंचे अम्बामाता मन्दिर (How To Reach Ambamata Temple)
जब भी हम किसी स्थान विशेष की यात्रा के बारे में चर्चा करते हैं तो हम वहां पहुंचने के लिए उपलब्ध परिवहन के साधनों की चर्चा आवश्यक रूप से करते हैं. यदि आप राजस्थान के उदयपुर शहर में स्थित अम्बामाता मन्दिर (Ambamata Temple) के दर्शन करने का विचार कर रहे हैं, तो आपको बता दें कि उदयपुर शहर से यह मंदिर दक्षिण पूर्व में 58 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. अम्बामाता मन्दिर (Ambamata Temple) की यात्रा के लिए आपको देश और दुनिया से शहर की यात्रा करने के लिए हवाई मार्ग, सड़क मार्ग तथा रेल मार्ग तीनों ही उपलब्ध है. आप अपनी इच्छा अनुसार किसी भी मार्ग का चयन करके उदयपुर शहर की यात्रा कर सकते हैं और आसानी से मंदिर दर्शन कर सकते हैं.
हवाई मार्ग से
जब भी हम किसी स्थान विशेष की यात्रा करते हैं तो हम यह जरूर देखते हैं कि वहां पर परिवहन के साधनों में हवाई जहाज का सफर उपलब्ध है या नहीं. यदि आप अपने परिवार के साथ राजस्थान के उदयपुर शहर में स्थित अम्बामाता मन्दिर (Ambamata Temple) घूमने के लिए आ रहे हैं तो आपको बता दें कि उदयपुर शहर की यात्रा के लिए आपको हवाई मार्ग उपस्थित है जो कि उदयपुर शहर के महाराणा प्रताप एयरपोर्ट द्वारा देश के विभिन्न प्रमुख शहरों को जोड़ता है, जिससे आप आसानी से उदयपुर शहर की यात्रा कर सकते हैं. महाराणा प्रताप एयरपोर्ट से आप अपनी सुविधा के अनुसार अपनी आगे की अम्बामाता मन्दिर (Ambamata Temple) आसानी से कर सकते है. जो की 24.7 किलोमीटर की दुरी पर स्थित है.
रेल मार्ग से
जब भी हम किसी स्थान विशेष या किसी धार्मिक या पर्यटक स्थल का भ्रमण करते हैं तो हम वहां के उपलब्ध साधनों के बारे में आवश्यक रूप से चर्चा करते हैं, जिनमें मुख्य रेल परिवहन शामिल होता है. यदि आप उदयपुर शहर के देवली पहाड़ी पर स्थित अम्बामाता मन्दिर (Ambamata Temple) घूमने आ रहे हैं तो आपको बता दें कि रेल मार्ग से उदयपुर शहर को देश के प्रमुख शहरों से जोड़ा गया है, जहां से आप शहर की यात्रा आसानी से कर सकते हैं. उदयपुर रेलवे स्टेशन से आप अम्बामाता मन्दिर (Ambamata Temple) यात्रा के लिए अपनी सुविधा के अनुसार कैब या टैक्सी बुक कर सकते हैं. उदयपुर रेलवे स्टेशन से अम्बामाता मन्दिर (Ambamata Temple) की दुरी मात्र 7.2 किलोमीटर है.
सड़क मार्ग से
परिवहन के साधनों में मुख्य साधन सड़क मार्ग को ही माना गया है. यदि आप उदयपुर शहर के अम्बामाता मन्दिर (Ambamata Temple) भ्रमण के लिए आ रहे हैं तो आप देश के किसी भी हिस्से से सड़क मार्ग द्वारा उदयपुर शहर की यात्रा बिल्कुल आसानी से कर सकते हैं. उदयपुर बस स्टैंड देश से विभिन्न राज्य तथा प्रदेश के शहरों से जुड़ा हुआ है, जहां से आप आसानी से शहर की यात्रा कर सकते हैं. उदयपुर के उदयपुर बस स्टैंड से अम्बामाता मन्दिर (Ambamata Temple) की दुरी मात्र 6.3 किलोमीटर की दुरी पर स्थित है.