खाटू श्याम का इतिहास | History of khatu shyam ji in hindi

By | December 15, 2022

खाटू श्याम का इतिहास | History of khatu shyam ji in hindi

खाटूश्यामजी का दरबार खुला बस १० मिनट में भक्त कर पाएंगे दर्शन। खाटूश्यामजी मंदिर के पट Feb 07, २०२३ को सुबह ४ बजे आमजन के लिए खुल गए हैं। खाटूश्यामजी बाबा का मेला भी मार्च के महीने में लगने बाला है। इसके मद्देनरमंदिर प्रशाशन ने मंदिर में बद्लाभ किये है। दर्शन का समय सुबह 4.30 बजे से रात 10 बजे तक रखा गया है. बिजली के तार अब अंडरग्राउंड है लखदातार ग्राउंड को टीन शेड से ढका गया है 75 फीट ग्राउंड में जिगजैग के बीच एक बड़ा 8 फीट की जगह रखी गयी है. इस बार दिव्यांग वीआईपी लेन से ही दर्शन करेंगे श्याम बाबा की मूर्ति के सामने एक कांच लगा दिया है भक्त प्रशाद नहीं चढ़ा पाएंगे 40 जगहों पर दानपात्र लगाए गए हैं अब खाटू शयाम बाबा के दर्शन के लिए 14 सीधी लाइन लगाई गयी हैं इंक्वायरी सेंटर को जानबूझ कर मंदिर चौक के बाहर रखा है ताकि भक्त बिना परेशानी के मंदिर के बहार जानकारी ले सकें

 

खाटू श्याम जी मंदिर सीकर का इतिहास, Khatu Shyam Mandir Sikar Rajasthan

Khatu shyam mandir ki jankari Hindi: राजस्थान के सीकर जिले से 65 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है खाटू श्याम जी का मंदिर जो कि पूरे भारत में बहुत ही प्रसिद्ध है। यह प्राचीन सफेद संगमरमर का मंदिर हिंदू देवता भगवान श्री कृष्ण को समर्पित है, साथ ही इस मंदिर का उल्लेख महान महाकाव्य ‘महाभारत’ में भी मिलता है। वर्तमान समय में खाटू श्याम का मंदिर सबसे लोकप्रिय तीर्थ स्थलों में से एक माना गया हैं और दिन प्रतिदिन इस मंदिर की मान्यता ओर बढ़ती जा रही है, क्योंकि इस मंदिर के दर्शन के लिए श्रद्धालु दूर-दूर से हाथ में झंडा लिए पैदल ही आते हैं। वैसे तो साल भर इस मंदिर में भक्तों की भीड़ रहती ही है, लेकिन महीने में एकादशी के दिन और फाल्गुन के महीने में होली से ठीक पहले एकादशी को यहां एक बड़ा मेला लगता है। होली पर इस मेले के अवसर पर देश-विदेश से श्रद्धालु खाटू श्याम मंदिर के दर्शन के लिए आते हैं। इसके साथ ही खाटू श्याम के मंदिर में स्थित तालाब में डुबकी लगाना हिंदुओं द्वारा पवित्र माना जाता है।और मंदिर में स्थित श्याम उद्यान अपने मनमोहक दृश्यों से पर्यटकों को बहेत ही आकर्षित करता है।

khatu shyam ji ke pat kab se khulenge | खाटू श्याम जी के पट कब से खुलेंगे

खाटू श्याम का इतिहास|  खाटूश्यामजी मंदिर के पट Feb 07, २०२३ को सुबह ४ बजे आमजन के लिए खुल गए हैं। खाटूश्यामजी बाबा का मेला भी मार्च के महीने में लगने बाला है। इसके मद्देनरमंदिर प्रशाशन ने मंदिर में बद्लाभ किये है।

दर्शन का समय सुबह 4.30 बजे से रात 10 बजे तक रखा गया है.
बिजली के तार अब अंडरग्राउंड है
लखदातार ग्राउंड को टीन शेड से ढका गया है
75 फीट ग्राउंड में जिगजैग के बीच एक बड़ा 8 फीट की जगह रखी गयी है.
इस बार दिव्यांग वीआईपी लेन से ही दर्शन करेंगे
श्याम बाबा की मूर्ति के सामने एक कांच लगा दिया है भक्त प्रशाद नहीं चढ़ा पाएंगे
40 जगहों पर दानपात्र लगाए गए हैं
अब खाटू शयाम बाबा के दर्शन के लिए 14 सीधी लाइन लगाई गयी हैं
इंक्वायरी सेंटर को जानबूझ कर मंदिर चौक के बाहर रखा है ताकि भक्त बिना परेशानी के मंदिर के बहार जानकारी ले सकें

Khatu Shyam Mandir Kahan hai- खाटू श्याम जी का मंदिर कहां पर है

खाटू श्याम जी मंदिर जयपुर से 80 किलोमीटर दूर रींगस के पास सीकर डिस्टिक मै पड़ता है|

Shri, Shyam Mandir Rd, Commettie, Khatoo, Rajasthan 332602

Jai khatushaym baba di

 

Khatu Shyam Ji Kon The खाटू श्याम जी कौन थे ?

खाटू श्याम जी कौन थे : – भगवान खाटू श्याम जी एक हिंदू देवता हैं जिनकी पूजा विशेष रूप से पश्चिमी भारत में की जाती है। उन्हें बर्बरीक के नाम से भी जाना जाता है। हिंदू पौराणिक महाकाव्य ‘महाभारत’ के अनुसार, खाटू श्याम को घटोत्कच के पुत्र और बलवान गदाधारी भीम के पोते थे जिनका पहले नाम बर्बरीक था बाद में इन्हें श्री कृष्ण के अवतार खाटू श्याम जी के रूप में पूजा जाने लगा। ऐसा माना जाता है कि जो कोई भी सच्चे मन और ईमानदारी से खाटू श्याम जी की अर्चना करता है ‌उनकी खाटू श्याम जी सभी परेशानियां दूर करते हैं।

खाटू श्याम जी को कलियुग का देवता माना जाता है। ऐसा कहा जाता है  कि उन्हें भगवान श्री कृष्ण से वरदान मिला था कि उन्हें कृष्ण के अपने नाम (श्याम) से पूजा जाएगा और उसी तरह उनकी पूजा की जाएगी। राजस्थान में, उन्हें खाटू श्याम जी के रूप में सम्मानित किया जाता है और गुजरात में, उन्हें बलियादेव के रूप में जाना जाता है, इस हिंदू देवता की विशेष रूप से पश्चिमी भारत में राजस्थान में अत्यधिक पूजा की जाती है।

Khatu Shyam खाटू श्याम को हारे का सहारा क्यों कहते हैं

हारे का सहारा खाटू श्याम: –  बार्बरिक जब महाभारत युद्ध मै शामिल होने के लिए जब अपनी माता हिडम्बा से आज्ञा लेने के लिए गए तो उनकी माता को लगा कौरव पांडवों से जयदा सक्तिसाली है। कौरवों के पास भगवन श्री कृष्ण की चतुरंगनी सेना थी। भीष्म पिता महा , गुरु दुरोंड , करण्ड सहित सभी महा रथी कौरवों के साथ थे। बरवारिक की माता हिडम्बा ने वचन लिया की हो पछ कमजोर होगा तुम उसी की तरफ से युद्ध लड़ोगे। इसी बजह से भागभन श्री कृष्ण ने बर्बरीक को हरे का सहारा कहा और वरदान दिया की वो कल युग मै हरे का सहारा, तीन बाण धारी, के नाम से जाने जायेंगे। भगवान श्री कृष्ण के नाम से पूजे जायेंगे।

खाटू श्याम जी के उपाय

खाटू श्याम जी को खुस करने के लिए २४ एकादशी के उपवास रखे जाते हैं। और खाटू श्याम जी जब जयते हैं तो अपने साथ दूध चूरमा पेड़ा लेकर जाते है|

खाटू श्याम जी का धड़ कहां पर है

खाटू के श्याम मंदिर में श्याम के मस्तक स्वरूप की पूजा होती है, जबकि पास ही में स्थित रींगस में धड़ स्वरूप की पूजा की जाती है| भगवान श्रीकृष्ण ने बर्बरीक को वरदान दिया था कि कलयुग में उसकी पूजा श्याम (कृष्ण स्वरूप) के नाम से होगी।

खाटू श्याम मंदिर का इतिहास | History Of Khatu Shaym JI Mandir In Hindi

खाटू श्याम मंदिर का इतिहास (history of khatu shyam ji in hindi): – ऐसा माना जाता है महाभारत के कई साल बाद बर्बरीक का सिर कलियुग की शुरुआत में राजस्थान के खाटू गांव में पाया गया था। इस सिर को देखकर लोग थोड़े हैरान हुए कि यह सिर आखिर किसका  हो सकता है और आखिर इस सिर का क्या किया जाए। फिर सबकी रजामंदी से यह सिर एक पुजारी को दे दिया गया। इस घटना के बाद वहां के एक शासक ने एक मंदिर बनाने का सपना देखा, जिसके बाद उनके कहे अनुसार वहां एक मंदिर बनाया गया। इसके साथ ही वहां खाटू श्याम की मूर्ति भी स्थापित की गई थी।

खाटू श्याम मंदिर को अन्य मंदिर से अत्यधिक माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि अगर भक्त सच्चे दिल से बाबा के दरबार में अपने दुखों या समस्याओं को बताते हैं, तो वे उनकी सभी समस्याओं को दूर करते हैं और वांछित परिणाम लाते हैं।

खाटू श्याम मंदिर से जुड़ी पौराणिक कथा

खाटू श्याम  मंदिर का इतिहास : – भगवान शिव ने बर्बरीक की भक्ति से प्रसन्न होकर उन्हें तीन ऐसे बाण दिए जो निशाने पर लगकर वापस लौट जाते थे, इसलिए बर्बरीक बहुत शक्तिशाली हो गया और जब कुरुक्षेत्र में युद्ध शुरू हुआ, तो उसने पांडवों के रूप में लड़ने की इच्छा व्यक्त की। भगवान श्री कृष्ण बर्बरीक को दिए गए तीन बाणों का आशीर्वाद अच्छी तरह से जानते थे कि यदि बर्बरीक युद्ध में भाग लेता है, तो पांडव आसानी से जीत जाएंगे और न्याय व्यक्त नहीं किया जाएगा। भगवान श्री कृष्ण जी ने ब्राह्मण का रूप धारण कर बर्बरीक से उसका सिर मांगा और बिना किसी हिचकिचाहट के उसका सिर काटकर कृष्ण जी के चरणों में बलिदान कर दिया। भगवान श्री कृष्ण जी बर्बरीक के इस बलिदान से बहुत प्रसन्न हुए और उनसे वादा किया कि आज से मैं तुम्हें अपना नाम और शक्ति दूंगा, तुम तीनों लोगों में खाटू श्याम के नाम से जाने जाओगे। तब से खाटू के स्थान के नाम से खाटू श्याम का जन्म हुआ और राजस्थान के सबसे बड़े तीर्थ स्थान के रूप में कृष्ण के साथ-साथ बर्बरीक की भी व्यवस्थित रूप से पूजा होने लगी, यह बर्बरीक के खाटू श्याम बनने की कहानी है।

खाटू श्याम मंदिर की खोज किसने की थी

खाटू श्याम  मंदिर का इतिहास : कहा जाता है कि बर्बरीक का सिर स्वयं भगवान कृष्ण द्वारा रूपवती नदी को अर्पित किया गया था। बाद में सिर राजस्थान के सीकर जिले के खाटू गांव में दफन पाया गया। इसका पता तब चला जब एक गाय इस सिर के ऊपर से दूध देने लगी। इसके पश्चात इस सिर को एक ब्राह्मण को दिया गया था जिसने इसकी पूजा की।

कुछ वक्त के बाद क्षेत्र के तत्कालीन शासक रूप सिंह चौहान को उनके सपने में भगवान श्री कृष्ण ने मंदिर बनाने का आदेश दिया । इस प्रकार पहला खाटू श्याम मंदिर 1027 ई. में  अस्तित्व में आया। मंदिर का निर्माण चंद्र कैलेंडर के फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की 11वीं तिथि को किया गया था। यह वही दिन है जब बर्बरीक ने महाभारत युद्ध से पहले अपना सिर कृष्ण को अर्पित किया था।

किंवदंती के कुछ संस्करणों में, यह रूप सिंह चौहान की रानी थी – नर्मदा कंवर जिन्होंने खाटू श्याम का सपना देखा था। अद्वितीय काले पत्थर में एक पत्थर की मूर्ति भी मिली थी। इस मूर्ति का रूप एक योद्धा की तरह था। बड़ी मूंछ है और चेहरे पर वीर का भाव था। उसकी आंखें खुली और सतर्क थी यह वही मूर्ति है जिसकी आज मुख्य रूप से मंदिर में पूजा की जाती है।

खाटू श्याम न केवल क्षेत्र के क्षेत्रीय देवता हैं बल्कि सीकर और उसके आसपास के कई राजपूत चौहान परिवारों के कुल-देवता या पारिवारिक देवता भी हैं।

खाटू श्याम मंदिर कैसे जाएं |खाटू श्याम  मंदिर का इतिहास

खाटू श्याम मंदिर सड़क मार्ग, रेल मार्ग और हवाई मार्ग के द्वारा आसानी से पहुँचा जा सकता है।

रेल मार्ग के द्वारा  खाटू श्याम मंदिर कैसे जाएं – खाटू श्याम मंदिर से लगभग 18.5 किलोमीटर की दूरी पर निकटतम रेलवे स्टेशन रिंगस जंक्शन है। दिल्ली और जयपुर से रिंगस के लिए कई ट्रेनें जाती हैं।

हवाई मार्ग के द्वारा खाटू श्याम मंदिर कैसे जाएं– खाटू श्याम मंदिर से लगभग 95 किलोमीटर की दूरी पर सबसे निकटतम हवाई अड्डा जयपुर इंटरनेशनल एयरपोर्ट है।

सड़क मार्ग के द्वारा खाटू श्याम मंदिर कैसे जाएं – सबसे अच्छा सड़क मार्ग सवाई जय सिंह एक्सप्रेसवे से जयपुर-सीकर रोड और आगरा-बीकानेर रोड, एनएच 11 है। इसके अलावा कई निजी और सरकारी वाहन भी जयपुर और खाटू की सेवा प्रदान करते हैं।

खाटू श्याम मंदिर के आसपास घूमने की जगहें

दोस्तों जब आप खाटू श्याम मंदिर के दर्शन करने जाते हैं और आपके पास समय होता है, तो आप सीकर के आसपास की इन जगहों पर जा सकते हैं।

गौरीशंकर मंदिर : यह असाधारण मंदिर अपने सुंदर डिजाइन और शिल्प कौशल के लिए जाना जाता है। यह मंदिर एक उत्कृष्ट स्थापत्य कला के रूप में प्रसिद्ध है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है।

जीन मंदिर : देश का अद्भुत सांस्कृतिक मंदिर, जीन मंदिर खाटू श्याम से 25 किमी की दूरी पर स्थित है जहां मां दुर्गा की पूजा की जाती है।

सालासर बालाजी मंदिर: यह मंदिर खाटू श्याम धाम से लगभग 100 किमी दूर सुजानगढ़ जिले में स्थित है, जहां वीर हनुमान जी को दाढ़ी और मूंछ वाली मूर्ति के रूप में स्थापित किया गया है, यह धाम भी सभी हिन्दुओं के लिए एक प्रसिद्ध तीर्थस्थल है है। खाटू श्याम जैसा भारत का तीर्थ स्थान है।

गायत्री मंदिर : खाटू श्याम  परिसर में एक गायत्री माता मंदिर भी है, जिसके दर्शन भक्त यहां जाते हैं।

हनुमान मंदिर : खाटू श्याम में हनुमान जी एक बहुत पुराना मंदिर बना है, यहां जाने से सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है।

श्यामा बागीचा : खाटू श्याम जी मंदिर के पास घूमने के लिए एक और बहुत लोकप्रिय स्थान है श्यामा बागीचा, जो श्री खाटू श्याम जी मंदिर के पास स्थित है। भक्तों के लिए मंदिर जाने से पहले ‘श्यामा कुंड’ में खुद को शुद्ध करने की प्रथा है। इसके अलावा लक्ष्मण गढ़ किला, सीकर संग्रहालय, हर्षनाथ मंदिर, देवगढ़ किला, दंता रामगढ़, गणेश्वरी, जयपुर में पिकनिक स्पॉट यह सभी घूमने के लिए सुप्रसिद्ध स्थान है।

खाटू श्याम जी के मंत्र |खाटू श्याम  मंदिर का इतिहास

खाटू श्याम बाबा और मोरवी पुत्र वर्वरीक को याद करने के लिए मन्त्रों का जाप किया जाता है जिनमे से कुछ इस प्रकार हैं जो हमने नीचे दिए है|

  • जय श्री श्याम देवाय नमः । ।
  • ॐ श्याम देवाय बर्बरीकाय हरये परमात्मने । । प्रणतः क्लेशनाशाय सुह्र्दयाय नमो नमः। ।
  • महा धनुर्धर वीर बर्बरीकाय नमः । ।
  • श्री मोर्वये नमः । ।
  • श्री मोर्वी नन्दनाय नमः । ।
  • ॐ सुह्र्दयाय नमो नमः । ।
  • श्री खाटूनाथाय नमः । ।
  • मोर्वये नमः । ।

खाटू श्याम  मंदिर की आरती का समय

खाटू श्याम मंदिर में 5 प्रकार की आरती होती है। वे कुछ इस प्रकार हैं –

खाटू श्याम जी मंगला आरती का समय

खाटू श्याम मंगला आरती समय सुबह 04.45 से लेकर 05.45 बजे तक होती है। यह आरती तब की जाती है जब खाटू मंदिर के पट खुलता हैं। तब श्री श्याम बाबा की आरती होती है।

खाटू श्याम जी श्रृंगार आरती का समय

खाटू श्याम जी श्रृंगार आरती का समय सुबह 07: 00 से 08: 00 तक बाब की श्रृंगार आरती की जाती है। इसमें खाटू श्याम फूलों से सुशोभित हैं, उन्हें आभूषणों से सजाया जाता है।

 खाटू श्याम जी भोग आरती का समय

खाटू श्याम जी भोग आरती का समय दोपहर 12:15 से 12:30 तक होती है इसमें खाटू श्याम बाबा का भोग लगाया जाता है और आरती की जाती है।

खाटू श्याम जी संध्या आरती का समय

खाटू श्याम जी संध्या आरती का समय शाम 06: 00 से 07:15 तक होती है यह आरती खाटू श्याम के आगमन सूर्यास्त के समय होता है।

खाटू श्याम जी शयन आरती का समय

खाटू श्याम जी शयन आरती का समय रात 09: 00 से 10: 30 बजे तक होती है।  यह आरती खाटू श्याम जी के स्वप्न के लिए की जाती है।

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खाटू श्याम मंदिर के खुलने बंद होने का समय

श्रद्धालुओं के लिए खाटू श्याम मंदिर खुलने व बंद होने का समय कुछ इस प्रकार है

सर्दियों के दौरान मंदिर के खुलने बंद होने का समय।

सर्दियों के दौरान मंदिर के खुलने का समय सुबह 5:30 बजे से दोपहर 1:00 बजे तक का होता है तथा शाम के दौरान मंदिर के खुलने का समय 5:00 शाम से लेकर रात 9:00 बजे तक का होता है।

गर्मी के दिनों में मंदिर खुलने बंद होने का का समय

गर्मी के दिनों में मंदिर के खुलने का समय सुबह 5:00 बजे से लेकर दोपहर 12:30 बजे तक का होता है। वहीं शाम के दौरान मंदिर खुलने का समय 4 बजे ‌से लेकर रात 10:00 बजे तक का होता है।

हर साल फागुन के महीने में लक्खी मेले के दौरान मंदिर 24 घंटे भक्तों के लिए खुला रहता है

खाटू श्याम मंदिर जाने का सबसे अच्छा समय क्या है?

खाटू श्याम मंदिर की भव्यता को देखने के लिए लोग कभी भी आ सकते हैं। मंदिर एक अवर्णनीय आध्यात्मिक ऊर्जा का उत्सर्जन करता है जो हर दिन हजारों लोगों को आकर्षित करता है। खाटू श्याम  मंदिर का इतिहास दुनिया भर से भक्तों से भरा हुआ है। यहां मनाया जाने वाला सबसे महत्वपूर्ण त्योहार श्री कृष्ण जन्माष्टमी है। यह शुभ त्योहार अगस्त के महीने में आता है। इस त्योहार के दौरान मंदिर में भगवान खाटू श्याम जी की स्तुति में भजन गाए जाते हैं। इस दिन दुनिया भर से हजारों भक्त मंदिर में आते हैं।

खाटू श्याम मंदिर जाने का सबसे अच्छा समय फाल्गुन मास की 10 से 12 तारीख तक मंदिर में बड़े उत्सव का आयोजन किया जाता है। इसके अलावा खाटूश्याम मंदिर जाने के अन्य शुभ दिनों में जल झूलानी और एकादशी शामिल हैं। वार्षिक खाटू श्याम मेला बड़ी संख्या में भक्तों को आकर्षित करता है। होली और दिवाली सहित सभी प्रमुख हिंदू त्योहारों पर भक्त इस मंदिर में अनुष्ठान करते हैं। देवी सरस्वती को समर्पित बसंत पंचमी का त्योहार भी बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है।

khatu shyam ji ke pat kab khulenge 2023 (खाटू श्याम मंदिर कब खुलेगा 2023)

सीकर के कलेक्टर अमित यादव का कहना है की खाटू शयम बाबा के मंदिर के पट 31 दिसंबर 2022 और 01 January 2023 को खोल दिए जायेंगे। इस समय आम जनता तीन बन धारीबाबा खाटू शयम क दर्शन कर सकती है। और उनका आशिर्बाद ले सकती है।

२०२३ मै खाटू श्याम मेला कब का है

खाटू श्याम मेला 2023 मै मार्च 05 (रविवार) – मार्च 08 (बुधवार) को है|

बर्बरीक को हारे का सहारा किन कहा जाता है

बर्बरीक ने महाभारत युद्ध मै कमजोर पक्छ की तरफ से लड़ने का निर्दयं किया। उनके इस प्रण्ड की वजह से भगवन श्री कृष्ण ने उनका बलिदान माँगा और उस बलिदान से प्रसन्ना होकर बर्बरीक को बरदान दिया की “कल युग मै तुम मेरे श्याम नाम से पूजे जाओगे और जो भी हारा या कमजोर इंसान तुम्हारे दर पर आएगा उसके सारे काम बन जायेंगे इसलिए खाटू श्याम जी को हारे का सहारा कहा जाता है।

खाटू श्याम जी का मेला 2023 मै कब लगता है|

खाटू श्यामजी मेला 2023- मार्च 05 (रविवार) – मार्च 08 (बुधवार)

खाटू श्याम जी के पिता जी कौन थे

महाबली भीम के पुत्र घटोत्कच और दैत्यराज मूर की पुत्री मौरवी (कामकंटकटा) के अति बलशाली पुत्र बर्बरीक हुए। बर्बरीक को खाटूश्याम, श्याम सरकार, सूर्यावर्चा, शीश के दानी, तीन बाण धारी जैसे नामों से जाना जाता है।

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