श्री रंग नाथ स्वामी मंदिर ( Shri rangnath swami mandir )
भारत मंदिरों की भूमि है । दुनिया भर से तमाम सारे लोग मंदिर घूमने के लिए भारत आते हैं। बहुत प्राचीन समय से ही मंदिरों के प्रति भारतीयों की आस्था जग जाहिर है । इन मंदिरों में कहीं पर विशेष प्रकार की कलाकृतियां , विशेष प्रकार के रंग रोगन मंदिरों को और प्रभावशाली बनाते हैं । ऐसे ही मंदिरों की सूची में आज हम बात करते हैं कर्नाटक राज्य के श्री रंगम के रंगनाथ स्वामी मंदिर की ।
कहां स्थित है रंगनाथ स्वामी मंदिर ?
श्री रंगनाथ स्वामी जी का मंदिर कर्नाटक राज्य के श्रीरंगम में स्थित है । यह हिंदुओं का एक पवित्र धार्मिक स्थल है। यह मंदिर हिंदू देवता भगवान विष्णु को समर्पित है। यहां भगवान विष्णु की पूजा श्री रंगनाथस्वामी के रूप में की जाती है। कावेरी नदी के तट पर स्थित, इस रंगनाथ स्वामी मंदिर को भूलोक का वैकुंठ या भगवान विष्णु का निवास माना जाता है।
रंगनाथ स्वामी मंदिर का इतिहास
रंगनाथ स्वामी मंदिर का इतिहास बहुत ही प्राचीन है । इस मंदिर के गर्भगृह को हंबी नामक एक नर्तकी द्वारा सन् 817 ई बनाया गया था । सन् 894 ई मे गंग वंश के राजा थिरुमलायरा ने इसका विधिवत जीर्णोद्धार कराया ।
इतिहास में यह भी मिलता है कि सन् 1117 ई मे श्रीरामानुजाचार्य जी यहां आए। उस समय शास्त्रार्थ का बहुत अधिक प्रचलन था । तभी उनकी बहस उस समय वहां के एक जैन शासक बिट्टदेव से हुई । इस बहस में रामानुजाचार्य की जीत हुई और फलस्वरूप बिट्टदेव ने वैष्णव मत को स्वीकार कर लिया ।जिसके बाद से उनका नाम विष्णु वर्धन हो गया ।
राजा विष्णुवर्धन ने रामानुजाचार्य के ज्ञान से प्रसन्न होकर उन्हें अपने राज्य के आठ गांव और ढेर सारा धन दिया । जिसे रामानुजाचार्य ने वहीं धर्मार्थ ही वितरित कर दिया ।
इसके अलावा इस मंदिर के निर्माण में हैदर अली और टीपू सुल्तान की भी बड़ी भूमिका है । टीपू सुल्तान ने मंदिर की देख रेख में विशेष योगदान दिया है ।
रंगनाथ मंदिर की प्रचलित कथा
स्वामी रंगनाथ जी का मंदिर कावेरी नदी के किनारे स्थित है । इसलिए वहां की बहुत प्रचलित कथा है ।
कावेरी नदी को गंगा नदी के समान ही पवित्र माना जाता है । हजारों की संख्या में लोग कावेरी नदी में स्नान करके अपने पापों से मुक्ति पाते हैं । जैसे जैसे कावेरी में स्नान करने वाले लोगों की संख्या बढ़ने लगी वैसे ही कावेरी में पाप भी बढ़ने लगा । एक समय ऐसा आया जब कावेरी पूरी तरह से पाप युक्त हो गई । दुखी होकर कावेरी ने वहीं रंगपटना में भगवान विष्णु की तपस्या की । तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु कावेरी के सामने प्रकट हुए और कावेरी की इच्छानुसार तीन वरदान दिए ।भगवान विष्णु ने पहला वरदान कावेरी को गंगा से अधिक पवित्र रहने का दिया ।दूसरे वरदान में श्री रंगपट्टनम को विशाल तीर्थस्थल बनाने का वचन दिया। तीसरा वरदान कावेरी ने अपने भक्तों के लिए मांगा कि जो भी व्यक्ति रंगनाथ के दर्शन करेगा । भगवान विष्णु उसकी हर प्रार्थना स्वीकार करेंगे ।
उसी समय से श्री रंगनाथ स्वामी की लोकप्रियता के साथ साथ वहां जाने वाले श्रद्धालुओं की संख्या भी दिनों दिन बढ़ती जाती है।
पुराणों के अनुसार रंगनाथ स्वामी मंदिर की कौन सी कथा प्रचलित है ?
हिंदू धर्म में पुराणों के अनुसार, श्री रंगनाथन भगवान विष्णु के अवतार हैं। एक प्रचलित कथा के अनुसार वैदिक काल में कावेरी नदी के तट पर गौतम ऋषि का एक आश्रम था। उस समय अन्य क्षेत्रों में सूखा पड़ा हुआ था , पानी की भारी किल्लत थी। एक दिन कुछ ऋषि पानी की तलाश में गौतम ऋषि के आश्रम में पहुंचे।
जैसी गौतम ऋषि की सामर्थ्य थी उसके अनुसार उन्होंने उन सभी का सत्कार किया और उन्हें भोजन कराया। लेकिन ऋषि उससे ईर्ष्या करने लगे। बहुत अच्छी भूमि के लालच में ऋषियों ने मिलकर छल से गौतम ऋषि पर गाय की हत्या का आरोप लगाया और उनकी पूरी भूमि पर कब्जा कर लिया ।
इसके बाद गौतम ऋषि श्रीरंगम गए और उन्होंने श्री रंगनाथ की पूजा की और उनकी सेवा की। गौतम ऋषि की सेवा से प्रसन्न होकर श्री रंगनाथ ने उन्हें दर्शन दिए और पूरे क्षेत्र को उनके नाम कर दिया। ऐसा माना जाता है कि ऋषि गौतम के अनुरोध पर स्वयं ब्रह्मा ने इस मंदिर का निर्माण किया था।
श्री रंगनाथ स्वामी मंदिर की बनावट कैसे है?
श्री रंगनाथ स्वामी मंदिर अपनी अनोखी बनावट के लिए भी प्रसिद्ध है । मंदिर की दीवारें किले के समान हैं और उन पर विभिन्न प्रकार की नक्काशियां उकेरी गई हैं । इन नक्काशियों के माध्यम से भगवान विष्णु के 24 अवतारों को प्रदर्शित किया गया है । मंदिर के अंदर दीवारों पर हिंदू पौराणिक कथाओं को प्रदर्शित किया गया है ।
मंदिर का प्रवेश द्वारा बहुत ही भव्य है । मंदिर के गर्भगृह तक पहुंचने के लिए स्टील की पाइप से बने सकरे रास्ते से जाना पड़ता है। मंदिर के अंदर भगवान रंगनाथ जी को शेषनाग के द्वारा बनी नैया पर लेटा हुआ दिखाया गया है ।
रंगनाथ मंदिर के प्रमुख उत्सव
रंगनाथ मंदिर में हर साल शुक्ल पक्ष की सप्तमी के दिन रंग जयंती का आयोजन किया जाता है। यह उत्सव रंगनाथ स्वामी की जयंती के रूप में मनाया जाता है । यह मेला आठ दिनों की अवधि तक चलता है । मान्यता है कि कृष्ण दशमी के दिन इस पवित्र स्थान पर बहने वाली कावेरी नदी में स्नान करने से आठ तीर्थ करने के बराबर पुण्य मिलता है। शास्त्रों के माध्यम से पता चलता है कि आदि शंकराचार्य और रामानुजाचार्य ने अपने समय में इस गौरवशाली मंदिर का दौरा किया था और भजन किया था।
रंगनाथ मंदिर खुलने का समय
स्वामी रंगनाथ जी का मंदिर सुबह 8 बजे श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया जाता है । 1 बजे के बाद तीन घंटे तक मंदिर में अन्य पूजा पाठ होता है उसके बाद शाम 4 बजे पुनः मौदिर का गेट श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया जाता है । इसलिए सुबह आठ बजे से 1 बजे तक तथा शाम 4 बजे से रात 8 बजे तक आप किसी भी समय जाकर स्वामी रंगनाथ जी के दर्शन प्राप्त कर सकते हैं|
रंगनाथ भगवान कौन थे ?
हिंदू धर्म में मुख्य रूप से तीन देवता माने जाते हैं ।
१) भगवान ब्रम्हा जिन्होंने सृष्टि की रचना की
२) भगवान विष्णु जो सृष्टि को चला रहे हैं
३) भगवान शिव जो संहारकर्ता हैं ।
प्रथ्वी पर सबसे अधिक बार अवतार लेने वाले देवता भगवान विष्णु हैं । श्री रंगनाथ स्वामी जी को भी भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है । श्री रंगनाथ स्वामी को उनके श्रद्धालु भगवान विष्णु के रूप में मानते वे पूजते हैं ।
कैसे पहुंचे रंगनाथ मंदिर
वायुमार्ग द्वारा कैसे पहुंचे रंगनाथ मंदिर
अगर आप वायुमार्ग से स्वामी रंगनाथ मंदिर जाना चाहते हैं तो यहां का नजदीकी एयरपोर्ट बैंगलोर का केंपेगोवड़ा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा है ।
रेलमार्ग द्वारा कैसे पहुंचे रंगनाथ मंदिर
श्री रंगम रेलवे स्टेशन से आप रंगनाथ स्वामी मंदिर पर आसानी के साथ पहुंच सकते हैं । देश भर के सभी बड़े और प्रसिद्ध स्थानों से रेलगाड़ी यहां इस स्टेशन तक आती है ।
सड़क मार्ग द्वारा कैसे पहुंचे रंगनाथ मंदिर
अगर आप वायुयान और रेलमार्ग से इस मंदिर की यात्रा करने का विचार नहीं बना रहे तो सड़क मार्ग द्वारा इस मंदिर को आसानी के साथ घूमा जा सकता है । त्रिची चेन्नई ट्रंक रोड इस एरिया की सबसे मशहूर सड़क है । इसके माध्यम से आप इस मंदिर तक आसानी कै साथ पहुंच सकते हैं ।
Frequently Ask Question ( FAQ)
भूलोक का वैकुंठ किस मंदिर को कहा जाता है ?
भूलोक का वैकुंठ रंगनाथ स्वामी मंदिर को कहा जाता है ।
रंगनाथ स्वामी भगवान कौन थे ?
स्वामी रंगनाथ जी को उनके श्रद्धालु भगवान विष्णु का अवतार मानते हैं ।
रंगनाथ मंदिर कब बनाया गया?
रंगनाथ स्वामी मंदिर का इतिहास बहुत ही प्राचीन है । इस मंदिर के गर्भगृह को हंबी नामक एक नर्तकी द्वारा सन् 817 ई बनाया गया था । सन् 894 ई मे गंग वंश के राजा थिरुमलायरा ने इसका विधिवत जीर्णोद्धार कराया । इस मंदिर के जीर्णोद्धार में रामानुजाचार्य जी का भी योगदान रहा है ।
स्वामी रंगनाथ मंदिर कहां स्थित है ?
श्री रंगनाथ स्वामी जी का मंदिर कर्नाटक राज्य के श्रीरंगम में स्थित है ।यहां भगवान विष्णु की पूजा श्री रंगनाथस्वामी के रूप में की जाती है। कावेरी नदी के तट पर स्थित, इस रंगनाथ स्वामी मंदिर को भूलोक का वैकुंठ या भगवान विष्णु का निवास माना जाता है।
रंगनाथ मंदिर की कथा किससे संबंधित है?
रंगनाथ मंदिर की कथा पौराणिक ग्रंथों के अनुसार गौतम ऋषि से संबंधित है ।कुछ अन्य विद्वानों के अनुसार इसी मंदिर की एक और कहानी कावेरी नदी से संबंधित है|