मकर संक्रांति कब है? मकर संक्रांति क्यों मनाया जाता है वैज्ञानिक कारण | makar sankranti kyu manai hai

By | January 13, 2023

मकर संक्रान्ति (Makar Sankranti)

मकर सक्रांति का त्यौहार भारत में हर दिन एक त्यौहार की तरह मनाया जाता है जहां हमेशा किसी ना किसी धर्म से जुड़ा कोई न कोई त्यौहार हर रोज कोई ना कोई त्यौहार होता है. भारत में अनेकों धर्म के लोग निवास करते हैं और इसीलिए हर दिन अनेकों त्यौहार भी आते रहते हैं. हमारे देश में त्योहारों का विशेष महत्व होता है और इन त्योहारों के पीछे सनातन संस्कृति या कोई वैज्ञानिक तथ्य जरूर जुड़ा होता है जिसके आधार पर ही इन त्योहारों को मनाया जाता है. आज हम बात करेंगे, भारत में मनाए जाने वाले मकर संक्रान्ति (Makar Sankranti) के बारे में. आज के हमारे इस आर्टिकल में हम जानेंगे कि आखिर मकर संक्रान्ति (Makar Sankranti) का त्यौहार क्यों, कब और कैसे मनाया जाता है. इन सभी के बारे में जानने की कोशिश करेंगे.

क्यों मनाया जाता है मकर संक्रान्ति (Makar Sankranti Kyn Manayi Jati Hai)

Makar sankranti ka tyohar

जैसा कि आप सभी जानते हैं कि हमारे देश में मनाए जाने वाले हर त्यौहार और पर्व के पीछे एक विशेष कारण जुड़ा होता है जिसके कारण ही हम इन तुम्हारो को मनाते हैं. बात करें मकर सक्रांति के त्यौहार की तो इस त्यौहार को मनाने के पीछे बहुत ही विशेष कारण छिपा हुआ है. हिंदी महीनों के अनुसार पोष के महीने में जब भगवान सूर्यनारायण धनु राशि को छोड़कर मकर राशि में प्रवेश करते हैं, तो उस दिन को मकर सक्रांति के रूप में मनाया जाता है. मकर संक्रान्ति (Makar Sankranti) के बाद से ही सूर्य उत्तर दिशा की ओर बढ़ने लगता है अर्थात सूर्य उत्तरायण हो जाता है. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि पृथ्वी का झुकाव 6 महीने उत्तर की ओर तथा 6 महीने दक्षिण की ओर बदलता है और यह प्राकृतिक प्रक्रिया है इसीलिए मकर सक्रांति का त्यौहार मनाया जाता है. मकर संक्रान्ति (Makar Sankranti) के दिन से ही दिन बड़े और राते छोटी होना शुरू हो जाती है.

कब मनाया जाती है मकर संक्रान्ति का त्यौहार (Makar Sankranti kab manayi jati hai)

मकर सक्रांति के त्यौहार को मनाने के समय की बात करें तो हिंदी महीनों के अनुसार मकर सक्रांति को पोष के महीने में मनाया जाता है जो कि जनवरी महीने के 14 या 15 तारीख के दिन मनाया जाता है.

कहां कहां मनाया जाता है मकर संक्रान्ति का त्यौहार (Makar Sankranti ka tyohar kahan manaya jata hai)

भारत देश में मनाए जाने वाले वैसे तो अनेकों त्योहार है जो कि देश और विदेश तक मनाए जाते हैं, लेकिन इन सभी त्यौहारों और पर्वों में मकर सक्रांति का एक ऐसा त्यौहार है जो कि भारत देश के ही अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग नामों से मनाया जाता है. पंजाब तथा जम्मू कश्मीर के क्षेत्र में मकर सक्रांति को लोहड़ी के नाम से मनाया जाता है तथा इसके पीछे कहा जाता है कि इस दिन भगवान कृष्ण ने लोहिता राक्षसी का वध किया था और इसी खुशी में मकर संक्रान्ति (Makar Sankranti) के त्यौहार को मनाया जाता है.

राजस्थान, छत्तीसगढ़, गोवा, तेलंगाना, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड आदि प्रदेशों में मकर सक्रांति को मकर सक्रांति के नाम से ही मनाया जाता है, जबकि तमिलनाडु मैं इसको ताई पोंगल या उझवर तिरुनल के नाम से मनाया जाता है. गुजरात तथा उत्तराखंड में उत्तरायण तो वही पश्चिम बंगाल में पोष संक्रांति के नाम से मनाया जाता है. इसके साथ ही विदेशों में भी मकर सक्रांति को विशेष नाम के साथ मनाया जाता है. जहां नेपाल में माझे मकर सक्रांति या खिचड़ी सक्रांति तो वही म्यानमार में थीआन और श्रीलंका में उझ्वर तिरुनल के नाम से मनाया जाता है.

मकर संक्रान्ति का महत्व (Makar Sankranti ka mahatva)

जब भी हम किसी त्योहार और पर्व को मनाते हैं तो उस त्यौहार और पर्व को मनाने के पीछे विशेष महत्व जरूर होता है और इसीलिए इन त्योहारों का आयोजन किया जाता है. बात करें मकर सक्रांति के महत्व के बारे में तो इस त्यौहार के पीछे लोगों की धारणा है कि मकर सक्रांति के दिन किया हुआ दान का पुण्य उन्हें बढ़कर 100 गुना प्राप्त होता है. मकर सक्रांति के दिन घी एवं कंबल का दान करने को बहुत शुभ माना जाता है, कहा जाता है कि ऐसा करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है. मकर संक्रान्ति (Makar Sankranti) के अवसर पर मां गंगा के तट पर स्नान करना तथा दान करना बहुत ही शुभ माना जाता है. इस दिन गंगासागर में अर्थात प्रयाग में स्नान करने को महा स्नान की संज्ञा भी दी जाती है. मकर सक्रांति के दिन भगवान सूर्यनारायण धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करते हैं जो कि सभी राशियों को प्रभावित करते हैं, किंतु मकर राशि तथा कर्क राशि में भगवान सूर्यनारायण का प्रवेश करना अत्यंत शुभ माना जाता है.

मकर संक्रान्ति का ऐतिहासिक महत्व (Makar Sankranti atihasik mahatva)

सनातन संस्कृति से जुड़े हुए पर्व और त्योहारों को इतिहास की दृष्टि से देखा जाए तो इन सभी पर्व और त्योहारों का ऐतिहासिक दृष्टि से भी बहुत महत्वपूर्ण महत्व होता है. भारत में तथा दुनिया भर में मनाए जाने वाले मकर संक्रान्ति (Makar Sankranti) के त्यौहार के ऐतिहासिक महत्व की बात करें तो इस दिन भगवान सूर्य अपने पुत्र शनि से मिलने स्वयं उसके घर जाते हैं और ऐसा माना जाता है कि भगवान शनिदेव मकर राशि के स्वामी है इसीलिए इस दिन को भगवान सूर्यनारायण मकर राशि में प्रवेश करते हैं, इसीलिए भी मकर सक्रांति का महत्व बढ़ जाता है, साथ ही इस दिन गंगा जी भागीरथ के पीछे चलकर कपिल मुनि के आश्रम से होती हुई सागर में जाकर मिली थी इसलिए भी मकर संक्रान्ति (Makar Sankranti) को देश और दुनिया में विशेष त्योहारों के रूप में मनाया जाता है.

कैसे मनाते हैं मकर संक्रान्ति (Makar Sankranti kaise Manate hain)

मकर सक्रांति के दिन से ही दिन के समय में वृद्धि होने लगती है और इस दिन तिल तथा गुड्ड के लड्डू बनाए जाते हैं तथा गजक बनाई जाती है साथ ही भारत के अधिकतर हिस्सों में इस त्यौहार को पतंग उड़ा कर भी मनाया जाता है. विशेषत: गुजरात में पतंग उड़ाने की प्रथा बहुत पुराने समय से चली आ रही है. हमारे देश के विभिन्न हिस्सों में विभिन्न तौर तरीकों से मकर संक्रान्ति (Makar Sankranti) के इस त्यौहार को मनाया जाता है. जहां राजस्थान तथा कुछ अन्य प्रदेशों में इस दिन कांच से बनी हुई गोलियां खेली जाती हैं तो कुछ हिस्सों में पतंग उड़ाई जाती है और इस तरह इस त्यौहार को सेलिब्रेट किया जाता है. आप के शहर में मकर संक्रान्ति (Makar Sankranti) को कैसे मानते है आप हमे कमेन्ट करके अपने शहर के नाम के साथ इस त्यौहार को मानाने के तरीके के बारे में बता सकते है.

मकर संक्रान्ति पर लगने वाले मेला (Makar Sankranti per lagane bala mela)

हमारे देश में मनाए जाने वाले सभी त्यौहारों और पर्वों के अवसर पर किसी ना किसी स्थान विशेष पर किसी ना किसी मेले का आयोजन जरूर होता है. सनातन धर्म संस्कृति में मकर सक्रांति का विशेष महत्व बताया जाता है, इस दिन को धार्मिक तथा आध्यात्मिक दोनों ही तरीकों से मकर संक्रांति के दिन को विशेष बताया जाता है. इस दिन किया हुआ दान तथा किया गया स्नान बहुत ही विशेष होता है. मकर सक्रांति के दिन गंगासागर में स्नान करने की परंपरा बहुत पुरानी है. मकर संक्रान्ति (Makar Sankranti) के दौरान पश्चिम बंगाल में एक विशेष मेले का आयोजन किया जाता है जिसमें देश विदेश से काफी बड़ी संख्या में श्रद्धालु स्नान के लिए आते है, गंगासागर स्नान के बारे में कहा जाता है कि सारे तीर्थों का पुण्य एक तरफ तथा एक तरफ गंगासागर में मकर सक्रांति के अवसर पर किए गए स्नान का पुण्य एक तरफ दोनों ही बराबर माने गए हैं. गंगासागर मेला बंगाल के कोलकाता के निकट हुगली नदी के तट पर लगता है जहां पर मकर सक्रांति के दौरान बहुत ही बड़ी संख्या में श्रद्धालु स्नान करने के लिए आते हैं जहां गंगा तथा सागर का मिलन होता है उसी स्थान को गंगासागर के नाम से जाना जाता है.

आधुनिक जमाने में मकर संक्रान्ति (Makar Sankranti)

मकर सक्रांति बहुत प्राचीन समय से मनाए जाने वाला एक धार्मिक तथा वैज्ञानिक त्यौहार है किंतु आधुनिकता इतनी बढ़ गई है कि लोगों को इतना समय ही नहीं मिल पाता जिसके कारण वह पर्व और त्योहारों को अच्छे से मना सकें, इसीलिए आधुनिक तौर-तरीकों में मकर संक्रान्ति (Makar Sankranti) के अवसर को भी अन्य त्योहारों की तरह ही मोबाइल तथा सोशल मीडिया पर एक दूसरे को छोटे-छोटे शुभकामना संदेश भेजकर वह सुंदर और आकर्षक बधाई कार्ड भेज कर मकर संक्रान्ति (Makar Sankranti) को भी आधुनिक तरीके से मनाया जाता है.

मकर संक्रान्ति पर विशेष सावधानी (Makar Sankranti vishesh Sabdhani)

मकर सक्रांति के इस अवसर पर पतंग उड़ाना आम बात है किसी भी पर्व और त्यौहार को मनाने में प्राचीन समय से चली आ रही परंपराओं के अनुसार ही हमें पर्व और त्योहार को मनाना चाहिए किंतु आज के समय में पतंग उड़ाने को एक प्रतियोगिता के तौर पर देखा जाने लगा है और इस प्रतियोगिता में सब एक दूसरे से विजय होना चाहते है जिस के लिए वो कांच से बने हुए मांझे का उपयोग करते हैं जो कि हमारे लिए और पक्षियों के लिए भी बहुत हानिकारक है इसीलिए आप सभी से विशेष अनुरोध है कि किसी भी तरह से कांच के बने मांझे का उपयोग ना करें.

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