महालक्ष्मी मंदिर उदयपुर का इतिहास (Mahalaxmi Temple)
- मंदिर का फोन नंबर- NA
- फेशबुक – Mahalaxmi Temple
- मंदिर का पूरा पता – HMGP+V42, Bhatiyani Chohatta, Near mamaji ki haveli,
Udaipur, Rajasthan 313001 - मंदिर की रेलवे स्टेशन से दूरी- 2.9 KM
- बस स्टेशन से दूरी – 2.4 KM
सनातन धर्म में माता लक्ष्मी का कितना बड़ा स्थान माना गया है यह दो किसी से भी छिपा हुआ नहीं है. मां लक्ष्मी को धन की देवी कहा जाता है और भक्तगण मां लक्ष्मी की पूजा धन प्राप्ति का वर पाने के लिए ही करते हैं. सनातन धर्म में माता लक्ष्मी की पूजा दीपावली, धनतेरस तथा नवरात्री के मौके पर अक्सर की जाती है. यह तो हम सभी को पता है क्योंकि दीपावली को घरों में पूजन के समय लक्ष्मी जी की फोटो जरूर रखी जाती है, लेकिन आज हम बात करने जा रहे हैं राजस्थान के उदयपुर शहर में स्थित महालक्ष्मी मंदिर (Mahalaxmi Temple) के बारे में जो कि मेवाड़ का ऐतिहासिक महालक्ष्मी मंदिर है और यह मंदिर अपने यहां होने वाले विशेष पर्व दीपावली के कारण देश और दुनिया में काफी प्रसिद्ध है. दीपावली के दिन उदयपुर शहर के इस मंदिर में ₹500000 कीमत वाला सोने से बना हुआ बेस माता लक्ष्मी की प्रतिमा को पहनाया जाता है|
महालक्ष्मी मंदिर उदयपुर का इतिहास(Mahalaxmi Temple) में स्थित लक्ष्मी माता की मूर्ति का लगभग 25 तोला सोने तथा चांदी के आभूषणों से श्रृंगार किया जाता है. मंदिर में लक्ष्मी मां को पहनाने वाला बेस की लंबाई लगभग 7.50 फिट होती है|
जब भी हम घरों में मां लक्ष्मी का पूजन करते हैं तो हमारे घरों में रखी गई, माता लक्ष्मी की तस्वीर में कमल के फूल पर मां लक्ष्मी विराजमान रहते हैं, लेकिन इस मंदिर में ऐसा बिल्कुल नहीं है. मंदिर में मां लक्ष्मी जी की मूर्ति हाथी पर विराजमान है और जिसके दोनों हाथों में कमल के पुष्प है|
इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि मंदिर में स्थित मां लक्ष्मी की मूर्ति समुद्र मंथन के दौरान प्रकट हुई थी.
इस मंदिर का निर्माण तकरीबन 400 साल पहले का बताया जाता है. कहा जाता है कि उदयपुर शहर के महालक्ष्मी मंदिर (Mahalaxmi Temple) का निर्माण महाराजा जगत सिंह के समय हुआ था. इस मंदिर के निर्माण के लिए जिस सामग्री का उपयोग किया गया, वह सामग्री जगदीश मंदिर निर्माण में उपयोग की गई थी तथा शेष बची सामग्री से महालक्ष्मी मंदिर का निर्माण करवाया गया था और जिसके बाद भी बची हुई सामग्री से मंदिर के सामने ही भगवान गणेश का मंदिर बनवाया गया|
यदि आप राजस्थान के किसी भी शहर में भ्रमण के लिए आ रहे है तो आपको उदयपुर शहर में स्थित महालक्ष्मी मंदिर (Mahalaxmi Temple) का भ्रमण आवश्यक रूप से करना चाहिए. महालक्ष्मी मंदिर का भ्रमण आपकी यात्रा को हमेशा आपके लिए यादगार बनाए रखने में आपकी सहायता करेगा. हमारे इस आर्टिकल में हम आपको मंदिर के इतिहास तथा यात्रा से जुड़ी समस्त जानकारी उपलब्ध करवाने की कोशिश करेंगे, जिससे कि आपको मंदिर यात्रा के दौरान किसी भी तरह की समस्या का सामना ना करना पड़े.
महालक्ष्मी मंदिर का इतिहास (History of Mahalaxmi Temple)
जब भी हम किसी स्थान विशेष पर घूमने के लिए जाते हैं तो हम वहां के इतिहास के बारे में जानने के लिए बहुत ही उत्सुक रहते हैं और यदि बात राजस्थान के किसी धार्मिक या ऐतिहासिक जगह की हो तब तो इतिहास के बारे में जानना हमारे लिए बहुत ही महत्वपूर्ण हो जाता है, क्योंकि राजस्थान का इतिहास ही गौरवशाली इतिहास रहा है. बात करें महालक्ष्मी मंदिर (Mahalaxmi Temple) के इतिहास की तो कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण 400 साल पहले महाराजा जगत सिंह के समय हुआ था|
मंदिर निर्माण के बारे में यह भी कहा जाता है कि उदयपुर शहर के जगदीश मंदिर के निर्माण में उपयोग ली गई जो सामग्री जगदीश मंदिर के पूर्ण होने के बाद बच गई थी उसी सामग्री से महालक्ष्मी मंदिर का निर्माण करवाया गया तथा इसके बाद भी शेष बची सामग्री से महालक्ष्मी मंदिर के सामने भगवान गणेश का मंदिर बनवाया गया था|
मंदिर में वैसे तो रोजाना हजारों भक्त आते रहते हैं किंतु नवरात्रों के पहले दिन से ही यहां पर भक्तों की विशेष भीड़ जुटना प्रारंभ हो जाती है और आठवें दिन मां के जन्मदिन पर भी भक्तों की बहुत लंबी कतारें देखने को मिलती है और इस दिन को मंदिर में उत्सव के रूप में मनाया जाता है. उदयपुर शहर के इस महालक्ष्मी मंदिर (Mahalaxmi Temple) का रखरखाव माली समाज द्वारा किया जाता है क्योंकि माली समाज की मां लक्ष्मी को कुलदेवी माना जाता है और जहां कहीं भी माता लक्ष्मी के मंदिर होते हैं वहां पर उनकी रखरखाव की जिम्मेदारी माली समाज की ही होती है|
महालक्ष्मी मंदिर घूमने का बेहतरीन समय (Mahalaxmi Temple)
वैसे तो राजस्थान प्रदेश एक रेतीला प्रदेश है जहां पर अधिकांश समय धूल भरी आंधियां और तेज गर्मी रहती है और गर्मी के मौसम के दौरान राजस्थान के किसी भी शहर की यात्रा करना कतई सुखद अनुभव नहीं देता है. यदि आप भी राजस्थान के किसी भी शहर की यात्रा करने का विचार कर रहे हैं तो आपको बताते चलें कि आपको यात्रा के लिए अक्टूबर से मार्च के मध्य का समय चुनना चाहिए, इस दौरान राजस्थान में कुछ ही समय पहले बारिश हुई होती है, जिससे चारों तरफ हरियाली छाई हुई रहती है और इस दौरान राजस्थान में सर्दी का मौसम रहता है तो आप आसानी से राजस्थान भ्रमण कर सकते हैं और साथ में राजस्थान की सर्दी का भी आनंद उठा सकते हैं.
महालक्ष्मी मंदिर मंदिर खुलने तथा बंद होने का समय (Open Time of Mahalaxmi Temple)
जब भी हम किसी स्थान विशेष की यात्रा करते हैं तो हम उस स्थान विशेष के खुलने तथा बंद होने के बारे में आवश्यक रूप से जानकारी जुटाते हैं, जिससे कि हमें अपनी यात्रा के दौरान किसी भी तरह की समस्या का सामना ना करना पड़े. यदि आप राजस्थान के उदयपुर शहर में स्थितमहालक्ष्मी मंदिर (Mahalaxmi Temple) भ्रमण के लिए आ रहे हैं तो आपको बता दें की उदयपुर शहर का यह मंदिर सुबह 7 बजे खुलता है जो कि दोपहर 10:00 बजे बंद कर दिया जाता है, जिसके बाद मंदिर शाम को 3:15 बजे खुलता है और रात्रि 12:00 बजे तक खुला रहता है. इस दौरान आप किसी भी समय मंदिर की यात्रा कर सकते हैं और मां लक्ष्मी के दर्शन बहुत ही आसानी से कर सकते हैं|
महालक्ष्मी मंदिर के आसपास पर्यटक स्थल (Mahalaxmi Temple)
यदि आप राजस्थान घुमने आ रहे है और राजस्थान के उदयपुर में आ रहे है तो आप को निम्न पर्यटक स्थानों का पर घुमने का आनंद जरुर लेना चाहिए.
- नीमचा माता मंदिर
- जगदीश मंदिर
- हल्दीघाटी
- कुंभलगढ़ किला
- बड़ा महल
- सिटी पैलेस
- सहेलियों की बाड़ी
- चित्तौड़गढ़ का किला
- बागोर की हवेली
- बड़ी झील
- मीनार
- पिछोला झील
- फतेहसागर झील
- दूध तलाई झील
- जयसमंद झील
- जग मंदिर
- आहार म्यूजियम
- वैक्स म्यूजियम
- गुलाब बाग़ और चिड़ियाघर
- शिल्पग्राम
- महाराणा प्रताप स्मारक
कैसे पहुंचे महालक्ष्मी मंदिर (Mahalaxmi Temple)
जब भी हम कही घुमने जाते है तो वहां के उपस्थित परिवहन के साधनों के बारे में आवश्यक रूप से चर्चा करते हैं जिससे कि हमें अपनी यात्रा के दौरान किसी तरह की समस्या का सामना ना करना पड़े. यदि आप राजस्थान के उदयपुर शहर के महालक्ष्मी मंदिर (Mahalaxmi Temple) घूमने आ रहे हैं तो आपको बता दें कि मंदिर दर्शन के लिए आप हवाई मार्ग, सड़क मार्ग तथा रेल मार्ग से आसानी से उदयपुर पहुंच सकते हैं और मंदिर के दर्शन बहुत ही आसानी से कर सकते हैं|
फ्लाइट से
यदि आप अपने परिवार के साथ राजस्थान के उदयपुर शहर स्थित महालक्ष्मी मंदिर (Mahalaxmi Temple) घूमने का विचार बना रहे हैं और आप हवाई मार्ग से आना चाहते हैं, तो आपको बता दें कि आप इस मंदिर की यात्रा हवाई मार्ग के जरिए बहुत ही आसानी से कर सकते हैं. इसके लिए आपको शहर के महाराणा प्रताप हवाई अड्डा उदयपुर की यात्रा करनी होगी. महाराणा प्रताप हवाई अड्डा देश के प्रमुख शहरों को उदयपुर शहर से जोड़ता है, उदयपुर शहर के महाराणा प्रताप हवाई अड्डे पर पहुंचने के बाद, आप अपनी सुविधा के अनुसार अपनी आगे की मंदिर यात्रा के लिए कैब या टैक्सी बुक कर सकते हैं और आसानी से मंदिर यात्रा कर सकते हैं.जो की यहाँ से मात्र 23.3 किलोमीटर की दुरी पर स्थित है|
ट्रेन द्वारा
आपको बता दें कि उदयपुर शहर को देश के विभिन्न शहरों से रेल मार्ग द्वारा जोड़ा गया है, जहां से आप आसानी से उदयपुर शहर की यात्रा कर सकते हैं. उदयपुर शहर की सिटी रेलवे स्टेशन से आप अपनी सुविधा के अनुसार अपनी आगे की महालक्ष्मी मंदिर (Mahalaxmi Temple) की यात्रा के लिए ऑटो या कैब बुक कर सकते हैं जो कि मात्र 2.9 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, और आसानी से मंदिर यात्रा कर सकेंगे|
सड़क मार्ग
परिवहन के साधनों में सबसे अच्छा और सबसे बेहतरीन विकल्प माना जाता है सड़क मार्ग को. यदि आप राजस्थान के उदयपुर शहर स्थित महालक्ष्मी मंदिर (Mahalaxmi Temple) घूमने का विचार कर रहे हैं तो आपको बता दें की शहर को प्रदेश तथा देश के विभिन्न शहरों से सड़क मार्ग द्वारा जोड़ा गया है, जहां से आप आसानी से उदयपुर शहर की यात्रा कर सकते हैं. उदयपुर के सिटी बस स्टैंड से आप अपनी आगे की मंदिर यात्रा के लिए अपनी सुविधा अनुसार कैब या टेक्सी बुक कर सकते है जो की यहाँ से मात्र 2.4 किलोमीटर की दुरी पर स्थित है|