जीण माता मंदिर कहां स्थित है | जीण माता कैसे पहुंचें

By | December 16, 2022

Jeen Mata Mandir Sikar Rajasthan जीण माता मंदिर सीकर, राजस्थान

जीण माता मंदिर कहां स्थित है| Jeen Mata Mandir Sikar Rajasthan जीण माता मंदिर राजस्थान के सीकर शहर के पास ओरान पर्वत में स्थित है। जीण माता को भगवती दुर्गा का एक रूप माना जाता है, इसके अलावा जीण माता पुट को शक्ति पीठ के नाम से भी जाना जाता है और उनका पूरा नाम जयंतीमाला था।  आज कई समाजों में लोग जीण माता को अपनी कुलदेवी के रूप में पूजते हैं। माना जाता है कि Jeen Mata mandir Rajasthan जीण माता मंदिर एक हजार साल पुराना है। इसके विकास का समय अज्ञात है, ऐसा माना जाता है कि हस्तिनापुर से निष्कासन के बीच पांडवों ने वर्तमान शैली में मंदिर का पुनर्निर्माण किया था। जीण माता का अभ्यारण्य प्रारंभिक परिस्थितियों से यात्रा की स्थिति थी और कई बार मरम्मत करके इसे पुनर्निर्मित किया गया था। अभयारण्य के चारों ओर हरे-भरे वनस्पतियों और जीव जंतु द्वारा शांति का एक कमाल का दर्शय प्रदान करती है। जीण माता अभयारण्य की इंजीनियरिंग बेहद ही शानदार है। इसके मुख्य गलियारे में उकेरी गई वनस्पतियों, हस्तशिल्प और देवताओं की मूर्तियां की शानदार प्रतिमा उपलब्ध हैं।

जीणमाता मंदिर सीकर राजस्थान

जीणमाता मंदिर सीकर राजस्थान

जीण माता मंदिर कहां स्थित है | जीण माता मंदिर के बारे में

Jeen mata mandir kahan esthit hai जीण माता का मंदिर कहां है: श्री जीण माता का परिचय लोकप्रिय कविताओं, गीतों और कहानियों में मिलता है। लोक कथाओं के अनुसार श्री जीण माता का जन्म राजस्थान के चुरू जिले के घांघू गांव के अधिपति चौहान वंश के राजा घंघ के घर में हुआ था। जीणमाता मंदिर सीकर राजस्थान के बड़े भाई का नाम हर्ष था। माता जीण मंदिर सीकर राजस्थान को शक्ति का अवतार माना जाता है और हर्ष को भगवान शिव का अवतार माना जाता है।

जीण माता मंदिर का इतिहास | Jeen mata history in hindi

जीण माता मंदिर का इतिहास (Jeen mata history in hindi): जीण माता को मां दुर्गा का अवतार माना जाता है और उनके भाई हर्ष को भैरव का अवतार माना जाता है। जीन माता चौहान वंश की कुलदेवी हैं। हजारों वर्षों से जीणमाता मंदिर सीकर राजस्थान में अखंड ज्योति जल रही है। उसकी चमत्कारी शक्ति देवी के रूप में प्रकट होती है, जैसे वह शक्तिपीठ के रूप में पूजनीय है। जीण माता मंदिर के अंदर 8 शिलालेख हैं, जो अलग-अलग समय से संरक्षित हैं, सबसे पुराना शिलालेख संवत 1029 का है। लेकिन उस शिलालेख के भीतर मंदिर के निर्माण की कोई तारीख नहीं लिखी गई है।

1. जीण माता का जीवन परिचय

जीणमाता मंदिर सीकर राजस्थान से जुड़ी पौराणिक कथा

जीण माता का जन्म एक चौहान वंश से राजा घंघ के घंघू गांव में हुआ था। जीण का एक बड़ा भाई हर्ष था, दोनों भाइयों में बहुत प्यार था। लोग जीण को देवी और हर्ष को शिव का रूप मानते थे। कहा जाता है कि एक दिन जीण अपनी भाभी के साथ झील से पानी लेने गई थी। इसी बीच जीण और उसकी भाभी इस बात पर बहस करते हैं कि हर्ष किससे ज्यादा प्यार करता है। उसने यह शर्त रखी कि हर्ष, जिसका घड़ा सबसे पहले उसके सिर से गिरेगा, उसे अधिक प्यार करेगा। दोनों फिर घड़ा लेकर हर्ष के सामने पहुँची, पहले हर्ष ने अपनी पत्नी की घड़ा को नीचे उतारा इसके साथ ही जीण की भाभी यह शर्त जीत गई थी। उसके बाद जीण माता क्रोधित हो गई और अरावली पर्वत की चोटी पर भगवती की तपस्या करने चली गई। और जब हर्ष उन्हें मनाने के लिए गए, तो तब जीण माता अपनी तपस्या में लीन थी। उसके बाद हर्ष भी भगवान भैरव की तपस्या करने लगे और बाद में वे दोनों जीण माता धाम और हर्षनाथ भैरव के नाम से प्रसिद्ध हुए।

जीणमाता मंदिर सीकर राजस्थान किसने बनवाया | जीण माता मंदिर कहां स्थित है

जीण माता मंदिर कहां स्थित है:- जीण माताजी का मंदिर जयपुर से लगभग 108 किमी दूर है।| जीणमाता मंदिर का निर्माण 1064 एसवी मै, पृथ्वी राज चौहान प्रथम के शाशन काल मै हरण ने करवाया था। यह लेख हैश पर्वत पैर शिलालेख मै मिलता है। जीणमाता मंदिर सीकर राजस्थान को महाराजा माधव सिंह द्वारा बनवाया गया था।

जीण माता के चमत्कार: औरंगजेब ने जीण माता मंदिर को तोड़ने की कोशिश की 

प्रचलित लोक मान्यता के अनुसार एक बार मुगल बादशाह औरंगजेब ने राजस्थान के सीकर में स्थित जीण माता और भैरव बाबा के मंदिर को तोड़ने के लिए अपने सैनिकों को भेजा था। जब स्थानीय लोगों को इस बात का पता चला तो वे बहुत दुखी हुए। मुग़ल बादशाह औरंगजेब के इस व्यवहार से दुखी होकर लोग जीण माता की पूजा करने लगे। इसके बाद जीण माता ने अपना चमत्कार दिखाया और वहां मधुमक्खियों के झुंड ने मुगल सेना पर हमला कर दिया। मधुमक्खियों के डंक मारने से घोड़े और सैनिक मैदान को छोड़कर भाग गई। कहा जाता है कि बादशाह की हालत खुद पे खुद बहुत गंभीर हो गई थी, इसलिए सम्राट ने अपनी गलती स्वीकार करते हुए मां को एक अखंड ज्योति जलाने का वचन दिया और कहा कि वह इस ज्योति जलाने के लिए हर महीने आधा किलो तेल चढ़ाएगा। इसके बाद औरंगजेब की तबीयत में सुधार होने लगा।

 

जीण माता का मेला कहां लगता है? Jeen Mata ka prashidh Mela kahan lagta hai?

जीण माता का मेला कहां लगता है?: चैत्र सुदी एकम से नवमी (नवरात्र में) और असोज सुदी एकम से नवमी तक, जीण माता मंदिर में हर साल दो बड़े मेले आयोजित किए जाते हैं, जिसमें देश भर से हजारों श्रद्धालु आते हैं। द्विवार्षिक नवरात्रि समारोह (हर साल चैत्र और अश्विन/आसोज के महीने में शुक्ल पक्ष नवरात्रि मेले के समय) के दौरान भक्तों की मंडली बहुत रंगीन दिखती है।

जीण माता का मंदिर कहां स्थित है: जीण माता मंदिर मेले के अवसर पर राजस्थान के बाहर के क्षेत्रों से भी कई लोग आते हैं। मंदिर के बाहर मेले के अवसर पर सपेरे बड़े उत्साह से बीन बजाते हैं। राजस्थान के सुदूर अंचलों से आने वाले लड़के बाल मुंडवाते हैं, रात को जागते हैं और अपनी क्षमता के अनुसार सवामणि, छत्रचंवर, झरी, नौबत, कलश आदि चढ़ाते हैं। अखंडदीप बारह महीने तक मंदिर में जलता रहता है।

जीण माता मंदिर के आसपास के दर्शनीय स्थल Jeen Mata Ke Aas Pass Darshniyen Esthal 

सालासर बालाजी मंदिर : यह मंदिर सुजानगढ़ जिले में स्थित है, जहां वीर हनुमान जी को दाढ़ी और मूंछ वाली मूर्ति के रूप में स्थापित किया गया है, यह धाम भी सभी हिन्दुओं के लिए एक प्रसिद्ध तीर्थस्थल है है।

गौरीशंकर मंदिर : यह असाधारण मंदिर अपने सुंदर डिजाइन और शिल्प कौशल के लिए जाना जाता है। यह मंदिर एक उत्कृष्ट स्थापत्य कला के रूप में प्रसिद्ध है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है।

गणेश्वर : गणेश्वर एक प्रसिद्ध पिकनिक स्थल और उत्खनन स्थल है। इस स्थल पर 4,000 साल पुरानी सभ्यता के अवशेष मिले हैं। इस शहर का एक और आकर्षण सल्फरस हॉट स्प्रिंग्स है। माना जाता है कि इस झरने में डुबकी लगाने से कई बीमारियां दूर हो जाती हैं।

मोहन दास महाराज समाधि स्थल : सन् 1850 (1794 ई.) में मोहन दास महाराज ने एक पत्थर के खम्भे को साक्षी मानकर मंदिर के समीप समाधि ले ली थी। सालासर मंदिर में आने वाले सभी भक्तों को समाधि अवश्य देखनी चाहिए। इस स्थान के दर्शन किए बिना उनका दर्शन अधूरा रहता है।

खाटूश्याम जी का मंदिर : इस मंदिर का निर्माण 1027 ई. में रूप सिंह चौहान ने करवाया था। इस मंदिर से जुड़ी कई किंवदंतियां हैं, और चमत्कार बिल्कुल अनोखा लगता है। यह मंदिर आपकी यात्रा योजना में अवश्य शामिल होना चाहिए।

जीण माता मंदिर कैसे पहुंचे Jeen Mata Mandir Kiase Pahunchen 

जीण माता का मंदिर कहां स्थित है इसकी जानकारी के लिए आपको हमारे साथ राजस्थान के सीकर सहर की यात्रा करनी पड़ेगी | जीण माता राजस्थान के सीकर जिले में स्थित धार्मिक महत्त्व का एक गाँव है। यह सीकर से 29 किलोमीटर दक्षिण में स्थित है। यहाँ की कुल जनसंख्या 4359 है। यहाँ पर जीणमाता (शक्ति की देवी) एक प्राचीन मन्दिर स्थित है। जीणमाता का यह पवित्र मंदिर सैकड़ों वर्ष पुराना माना जाता है। राजस्थान की राजधानी जयपुर सेेेे 108 किलोमीटर हैै l

Jeen Mata Mandir in Hindi  जीण माता मंदिर सड़क मार्ग, रेल मार्ग और हवाई मार्ग के द्वारा आसानी से पहुँचा जा सकता है।

हवाई मार्ग के द्वारा जीण माता मंदिर कैसे पहुंचे :  जीण माता मंदिर का सबसे निकटतम हवाई अड्डा जयपुर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा है, जो कि मंदिर से121 किमी की दूरी पर स्थित है। हवाई अड्डे से उतरकर आप टैक्सी, कैब या कार किराए पर लेकर जीण माता मंदिर तक पहुंच सकते हैं। यह हवाई अड्डा शहर को भारत के अन्य प्रमुख शहरों से जोड़ता है।

रेल मार्ग के द्वारा जीण माता मंदिर कैसे पहुंचे : जीण माता मंदिर का सबसे निकटतम रेलवे स्टेशन जीन माता मंदिर से 26.9 किमी की दूरी पर स्थित है। रेलवे स्टेशन से उतरकर आप टैक्सी, कैब या कार किराए पर लेकर जीण माता मंदिर तक पहुंच सकते हैं। इस रेलवे स्टेशन से कई ट्रेनें गुजरती हैं जो इसे भारत के कई अन्य शहरों से जोड़ती हैं।

सड़क मार्ग के द्वारा जीण माता मंदिर कैसे पहुंचे: सीकर शहर जीन माता मंदिर से केवल 29 किमी दूर है। जीण माता गांव में स्थित मंदिर तक पहुंचने के लिए कोई भी राज्य या स्थानीय परिवहन की बसों में सवार हो सकता है।

जीण माता की कथा | Jeen Mata ki Story

Jeen Mata ki Story : जीन माता, जिसे जयंती माता के नाम से भी जाना जाता है, राजस्थान, भारत में पूजी जाने वाली एक प्रतिष्ठित हिंदू देवी है। जीण माता की कहानी पौराणिक कथाओं और किंवदंतियों में डूबी हुई है, और यह माना जाता है कि वह एक बहादुर और निडर योद्धा देवी थीं, जिन्होंने अपने राज्य के लोगों की रक्षा की।

कहानी यह है कि कई शताब्दियों पहले, इंद्र सिंह नाम का एक शक्तिशाली राजा था जिसने उस क्षेत्र पर शासन किया था जिसे अब राजस्थान के रूप में जाना जाता है। राजा की जयंती नाम की एक सुंदर बेटी थी जो अपनी बहादुरी और युद्ध कौशल के लिए जानी जाती थी। एक दिन, शिकार यात्रा के दौरान, जयंती डाकुओं के एक समूह से मिलीं, जो स्थानीय ग्रामीणों को आतंकित कर रहे थे। बिना किसी हिचकिचाहट के, जयंती ने अपनी तलवार खींची और डाकुओं की ओर बढ़ी, अकेले ही उन्हें हरा दिया और ग्रामीणों को बचा लिया।

जयंती की वीरता की खबर तेजी से फैली और लोग उन्हें देवी के रूप में पूजने लगे। जल्द ही, उनके सम्मान में एक मंदिर बनाया गया, और वह जीण माता के नाम से जानी जाने लगीं। ऐसा माना जाता है कि जीण माता अपने लोगों को जंगली जानवरों और आक्रमणकारी सेनाओं सहित सभी प्रकार के खतरों से बचाती रही।

जीण माता से जुड़ी एक अन्य कथा सूखे की कहानी बताती है जिसने इस क्षेत्र को प्रभावित किया था। लोगों ने बारिश के लिए देवी से प्रार्थना की, और जीण माता उनके सामने एक शेर की सवारी और धनुष और बाण लेकर प्रकट हुईं। उसने जमीन में एक तीर मारा, और पानी की बौछार शुरू हो गई, सूखा समाप्त हो गया और भूमि में समृद्धि आ गई।

आज जीण माता को साहस, शक्ति और सुरक्षा के प्रतीक के रूप में पूजा जाता है। उनका मंदिर, राजस्थान के सीकर जिले में स्थित है, भक्तों के लिए एक लोकप्रिय तीर्थ स्थल है जो उनका आशीर्वाद लेने और प्रार्थना करने आते हैं।

जीण माता की आरती

जीण माता की आरती इस प्रकार है

जय जय जीण माता, जय जय जीण माता।
तुमको निशदिन ध्यावत, हरि विष्णु विधाता॥

ब्रह्मा रुद्रा सनकादिक, सेवत नृत्य करता।
सेवत सिद्ध योगी, जन तुम्हे ध्याता॥

शुंद्ध दिगम्बर धरते, नंदी भृगु आदि आरते।
तें बैकुंठ का वास होता, वैकुंठ नाम धाता॥

सतगुरु मिला शीष दिया, सब दुःख कलश मिटाया।
मन वांछित फल पाया, जीण जनम सुखदाता॥

आरती करत जन जीण की, हरि विष्णु सुखदाता।
ताकी सहज वास होता, प्रभु कृपा सम्रथ विधाता॥

जय जय जीण माता, जय जय जीण माता।
तुमको निशदिन ध्यावत, हरि विष्णु विधाता॥

जय जय जीण माता।

आशा है कि जीण माता की आरती आपको पसंद आई होगी।

जीण माता का भजन:

जीण माता जीण भवानी, जीण माता जीण भवानी
मंदिर जो साजे उसका, उसकी धूप और चम्पा
उसकी आरती फूलों से, उसका भोग लगाएं
जीण माता जीण भवानी, जीण माता जीण भवानी

जीण माता की जय हो, जीण माता की जय हो
भक्तों की मनोकामना पूर्ण करो माता तुम
दुःख दर्द भरे जीवन में, सुख समृद्धि लाओ तुम
जीण माता की जय हो, जीण माता की जय हो

जीण माता की आरती जो कोई नर गावे
उसके कष्ट मिट जाते, सुख समृद्धि मिल जाते
दुःख दर्द भरे जीवन से, मुक्ति का मार्ग दिखलाते
जीण माता जीण भवानी, जीण माता जीण भवानी।

हम आपको जीन माता के कुछ प्रशिद भजनो की यूट्यूब लिस्ट दे रहें है जो की आपको जीन माता के प्रशिद भजनो की लिस्ट बनाने में मदद करेगी

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Q1. जीणमाता किसकी कुल देवी है?

Ana. जीण माता चौहानों की कुलदेवी है। जीणमाता राजस्थान, पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में पूजी जाने वाली एक प्रसिद्ध हिंदू देवी है। वह माता दुर्गा की एक स्वरूप हैं और उनकी विशेषता वह हैं जो इस क्षेत्र में पाई जाती हैं। जीणमाता को जयंती माता, भवानी माता, जीणवाली माता और जीणा माता के नामों से भी जाना जाता है।

Q2. जीण माता का गांव कौन सा है?

Ans. जीन माता के गांव का नाम घांघू है। माँ दुर्गा सुरूप जीन माता का जन्म इस्थान भी यही गांव है

Q3. जीण माता की पूजा कैसे करें?

Ans. जीण माता की पूजा अपने स्थानीय पारंपरिक प्रथाओं के अनुसार भिन्न हो सकती है, लेकिन नीचे दिए गए चरणों का पालन करके आप जीण माता की पूजा कर सकते हैं:

  1. पूजा स्थल का चयन: जीण माता की पूजा के लिए एक शुभ स्थान चुनें, जहां आप पूजा के लिए एक छोटा सा मंदिर या पूजा स्थल स्थापित कर सकते हैं।
  2. जीण माता के मूर्ति को सजाना: पूजा स्थल में जीण माता की मूर्ति रखें और उसे फूल, धूप, दीप और अर्चना सामग्री से सजाएं।
  3. अग्नि प्रदीप जलाना: पूजा स्थल में एक दीपक जलाएं और उसे धूप दे।
  4. गणेश जी की पूजा करना: शुरूआत में गणेश जी की पूजा करें। इससे पूजा का आरंभ अच्छे से होता है।
  5. मंत्र जाप करना: जीण माता के मंत्र जप करें। “ॐ जीण जीणेश्वरी जीणेश्वराय नमः” यह मंत्र जप किया जाता है।
  6. प्रसाद तैयार करना: जीण माता की पूजा के बाद प्रसाद तैयार करें। आप चावल, मिठाई या फलों का प्रसाद तैयार कर सकते हैं।

जीण माता की कथा भाग 1

 

 

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