इस्कॉन मंदिर जयपुर राजस्थान (ISKCON Temple, Jaipur)
पधारो म्हारे देश यदि आप राजस्थान आते हैं तो आपको आने से पहले ही यह ख्याल जरूर आ जाता होगा और यह आपने कभी ना कभी जरूर सुना होगा. राजस्थान में मेहमानों के लिए कहा जाता है, पधारो म्हारे देश जो कि काफी हद तक सही भी है. राजस्थान में आने वाले पर्यटकों को खम्मा घणी और पधारो म्हारे देश बहुत बार सुनने को मिलता है. हम बात कर रहे हैं. जयपुर के इस्कॉन मंदिर(ISKCON Temple, Jaipur) की यह मंदिर अपने नाम के अनुसार ही अपनी पहचान भी रखता है. यह मंदिर भगवान श्री कृष्ण तथा राधा रानी को समर्पित मंदिर है. इस मंदिर का नाम अंग्रेजी भाषा के शब्दों से बनाया गया है. मंदिर का पूरा नाम अंतर्राष्ट्रीय कृष्णभावनामृत संघ अर्थात इस्कॉन. इस संस्था की स्थापना भक्तिवेदांत स्वामी प्रभु पद ने 1966 में न्यूयॉर्क में की थी. इस संस्था का उद्देश्य 5000 साल पहले गठित हुई घटनाओं पर आधारित श्रीमद्भगवद्गीता का प्रचार तथा भगवान कृष्ण की महिमा का गुणगान करना है|
इस्कॉन मंदिर को राधा कृष्ण मंदिर भी कहा जाता है. जयपुर के मानसरोवर के गिरिधारी दाऊजी मंदिर अर्थात इस्कॉन मंदिर जयपुर ही नहीं बल्कि देश विदेश में काफी प्रसिद्ध मंदिर है. यहां हर साल लाखों पर्यटक भगवान श्री कृष्ण तथा राधा रानी के दर्शन करने आते रहते हैं. इस मंदिर की महिमा का गुणगान आप कहीं भी सुन सकते हैं. कृष्ण भगवान के जन्माष्टमी का पर्व पूरी दुनिया में ही धूमधाम से मनाया जाता है और यह पर्व जयपुर के इस्कॉन टेंपल में भी बहुत ही धूमधाम तरीके से मनाया जाता है. इस दिन आपको गगनभेदी जयकारो की गूंज सुनाई देगी. जन्माष्टमी का पर्व मंदिरों के साथ ही घरों में भी बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है. इस दिन के बारे में कहा जाता है कि भगवान श्री कृष्ण का जन्म कृष्ण जन्माष्टमी को हुआ था इसीलिए इसे इतनी धूमधाम और हर्ष उल्लास के साथ मनाया जाता है.
इस्काॅन मंदिर जयपुर (ISKCON Temple, Jaipur) इतिहास
इस्कॉन मंदिर(ISKCON Temple, Jaipur) की स्थापना श्रीकृष्णकृपा श्रीमूर्ति श्री अभयचरणारविन्द भक्तिवेदान्त स्वामी प्रभुपादजी ने सन 1966 में न्यूयॉर्क शहर में किया था. इसका मुख्य उद्देश्य विश्व में भगवान श्री कृष्ण की महिमा को पहुंचाने का था.वह इसी के लिए इसकी स्थापना की गई थी. इस्कॉन के मंदिर पूरे विश्व में ही देखने को मिलते हैं. इस्कॉन अपने शुरुआती 10 वर्षों के भीतर ही पूरे विश्व में 108 मंदिरों की स्थापना कर चुका था. यदि हम बात करें आज की तो पूरी दुनिया में इस्कॉन के आज तकरीबन 400 मंदिर स्थापित है, भगवान श्री कृष्ण के इस्कॉन मंदिर के मुख्य रूप से 4 नियम बताए जाते है|
तामशिकभोजन छोड़ना होता है इस भोजन के अंतर्गत उन्हें मांस, मछली, लहसुन, प्याज, इत्यादि जैसे तामसिक भोजन से दूर रहना होता है.
दूसरा नियम अनैतिक आचरण से भी भक्तों को दूर रहना आवश्यक है, अनैतिक कार्य जैसे वैश्यालय, जुआ पब इत्यादि पर जाना.
भक्तों को रोजाना एक घंटा कम से कम शास्त्रों का अध्ययन करना अनिवार्य है, इस समय के दौरान आप गीता और भारतीय धर्म इतिहास से जुड़े शास्त्रों का अध्ययन कर सकते हैं.
इस्कॉन मंदिर के अनुसार धर्म, दया, तपस्या, सत्य, शुद्धता ही है जो भी इनका पालन करता है, वह धर्म का पालन करता है.
पूरे विश्व में कई विशाल मंदिर तथा स्कूल इस्कॉन चल रही है, जो पूरे विश्व में हिंदू धर्म तथा कृष्ण भक्ति का प्रचार कर रही है|
इस्काॅन मंदिर(ISKCON Temple, Jaipur) विशेष उत्सव
वैसे तो कृष्ण जन्माष्टमी के बारे में आप सभी जानते होंगे. कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व भगवान श्री कृष्ण के जन्म दिन के रूप में मनाया जाता है. इस दिन देश-विदेश में कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व काफी धूमधाम से मनाया जाता है. भारत में तो इसकी अलग ही महिमा है. भारत के सभी घरों में स्थित कुछ लोग जन्माष्टमी का व्रत रखते हैं, तो यहां के मंदिरों में कृष्ण भगवान की कई झांकियां निकालते है, जिनमें छोटे बच्चे भगवान श्री कृष्ण की जैसी ड्रेस पहन कर उनके जैसे मुख लगाकर तथा बांसुरी हाथ में लिए दिखाई देते हैं. इस दिन जयपुर के इस्कॉन मंदिर में भी इस पर्व को बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है. इस्कॉन मंदिर में या आराध्य गोविंददेवजी मंदिर में मंगला झांकी के समय हजारों की संख्या में श्रद्धालु आना शुरू हो जाते हैं, जिनकी व्यवस्था के लिए मंदिर परिसर में हजार कार्यकर्ता सुबह से ही मंदिर में होने वाली इस महापर्व की तैयारियों में लग जाते हैं|
इस दौरान पुलिस का सख्त पहरा रहता है, इस दौरान मंदिर में आने वाले सभी भक्तों पर पुलिस की कड़ी नजर निगरानी होती है. मंदिर में रात्रि 10:11 बजे भगवान श्री कृष्ण की कथा का सुनाई जाती है, तथा रात्रि 12:00 बजे भगवान श्री कृष्ण का जन्म माना जाता है, उस समय इक्कीस तोपों की सलामी दी जाती है, और गोविंदा अभिषेक किया जाता है. दिल में होने वाले पंचामृत अभिषेक के लिए 365 किलो दही, 11 किलो घी, 85 किलो बुरा, 125 लीटर दूध तथा 11 किलो शहद का उपयोग करके पंचामृत अभिषेक तैयार किया जाता है. इस दिन मंदिर में ठाकुर जी को खीरसा एवं रबड़ी कुल्लड़ तथा पंजीरी का भोग लगता है. जो भक्तों में बांट दी जाती है|
इस्काॅन मंदिर(ISKCON Temple, Jaipur) मंदिर खोलने तथा बंद होने का समय
किसी मंदिर या टूरिस्ट स्थान पर घूमने जाते हैं तो हमें उस स्थान के खुलने तथा बंद होने के बारे में जानकारी आवश्यक रूप से कर लेनी चाहिए, जिससे कि हमें अपनी यात्रा के दौरान किसी भी असुविधा का सामना ना करना पड़े. यदि आप जयपुर के इस्कॉन मंदिर घूमने आ रहे हैं, तो आपको बता दें की जयपुर का यह इस्कॉन मंदिर सुबह 4:00 बजे से 1:00 बजे तक तथा दोपहर 4:00 बजे से रात्रि 9:00 बजे तक श्रद्धालुओं के लिए खुला रहता है. इस दौरान आप कभी भी मंदिर में भगवान श्री कृष्ण राधा रानी के दर्शन कर सकते हैं और मंदिर की भव्यता का आनंद ले सकते हैं.
इस्काॅन मंदिर (ISKCON Temple, Jaipur) आने के लिए बेहतरीन समय
यदि आप आ इस्कॉन मंदिर जयपुर दर्शन करने के लिए आ रहे हैं तो आपको जयपुर के वातावरण के अनुसार समय का चयन कर लेना चाहिए. राजस्थान एक रेतीला प्रदेश है, जहां पर अधिकांश समय तापमान बहुत अधिक रहता है. लेकिन सर्दी के दौरान यहां का तापमान शांत रहता है और यात्रा के लिए बेहतरीन समय है. यदि आप जयपुर के इस्कॉन मंदिर आ रहे हैं तो आपको कृष्ण जन्माष्टमी के दिन का प्लान बनाना चाहिए, क्योंकि इस दिन मंदिर में विशेष झांकियां आयोजित होती हैं जो कि एक मनमोहक दृश्य प्रस्तुत करती है. लाखों भक्त कृष्ण दर्शन के लिए आते हैं. यदि आप कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर नहीं आना चाहते हैं, तो आप सितंबर से फरवरी के बीच में कभी भी मंदिर दर्शन के लिए आ सकते हैं. यह मंदिर दर्शन का उपयुक्त समय है|
इस्काॅन मंदिर (ISKCON Temple, Jaipur) में होने वाली आरती
सुबह 4:30 a.m. मंगला आरती (Mangala Arati)
सुबह 5:00 a.m. तुलसी आरती (Tulasi Arati)
सुबह 7:30 a.m. गुरु पूजा (Shringar Darshan and Guru-Puja)
सुबह 8:00 a.m. श्रीमद् भगवतगीता अध्ययन (Srimad Bhagavatam Class)
सुबह 8:30 a.m. धोप आरती (Dhoop Arati)
दोपहर 12:00 p.m. राजभोज आरती (Raj Bhoga Arati)
दोपहर 4:00 p.m. पुष्पा आरती (Pushpa Arati )
शाम 7:00 p.m. संध्या आरती (Sandhya Arati)
शाम 7:30 p.m. श्रीमद् भगवतगीता अध्ययन (Srimad Bhagwadgita Class)
शाम 8:30 p.m. शयन आरती (Shayana Arati )
कैसे पहुंचे इस्काॅन मंदिर (ISKCON Temple, Jaipur)
Address: Sri Sri Giridhari Dauji Temple, Village Dholai, New Sanganer Road, opposite Vijay Path, Mansarovar, Jaipur, Rajasthan 302020
यदि आप जयपुर के इस्कॉन मंदिर घूमने आने का विचार बना रहे हैं तो आपको बता दें कि जयपुर प्रदेश की राजधानी है, जिसको तीनों ही मार्गो से देश के विभिन्न हिस्सों तथा प्रमुख शहरों से जोड़ा गया है. आप अपनी सुविधा के अनुसार देश के किसी भी कोने से जयपुर की यात्रा कर सकते हैं और मंदिर दर्शन आसानी से कर सकते हैं|
फ्लाइट से
यदि आप अपने परिवार के साथ हवाई जहाज से मंदिर दर्शन करने की योजना बना रहे हैं तो आपको बता दें कि जयपुर का सांगानेर हवाई अड्डा जयपुर को देश के विभिन्न हिस्सों तथा प्रमुख शहरों से जोड़ता है, जहां आप आसानी से हवाई जहाज की सहायता से पहुंच सकते हैं. सांगानेर हवाई अड्डे से आप इस्कॉन मंदिर दर्शन करने के लिए अपनी सुविधा के अनुसार यहां चलने वाली बसों की सहायता ले सकते हैं, या अपनी सुविधा अनुसार कैब, टैक्सी बुक कर सकते हैं और मंदिर दर्शन कर सकते हैं.
रेल मार्ग से
यदि आप अपने परिवार के साथ इस्कॉन मंदिर दर्शन करने के लिए रेलगाड़ी से आने का विचार बना रहे हैं, तो आपको बताते चलें कि रेल मार्ग से जयपुर को देश के विभिन्न राज्यों से तथा राज्य को प्रमुख शहरों से जोड़ा गया है. जहां से आप आसानी से जयपुर की यात्रा कर सकते हैं और जयपुर रेलवे स्टेशन से आप मंदिर यात्रा के लिए अपनी सुविधा के अनुसार कैब या टैक्सी बुक कर सकते हैं और भगवान श्री कृष्ण राधा रानी के दर्शन कर सकते हैं.
सड़क मार्ग से
यदि आप सड़क मार्ग से आ रहे हैं तो आप देश के किसी भी हिस्से से या प्रदेश के किसी भी शहर से जयपुर की यात्रा सड़क मार्ग द्वारा कर सकते हैं, जहां जयपुर के जयपुर बस स्टैंड से आप मंदिर यात्रा के लिए अपनी सुविधा के अनुसार टैक्सी या कैब बुक कर सकते हैं और मंदिर दर्शन आसानी से कर सकते हैं|